न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 20 Feb 2022 07:52 PM IST
सार
रवि नारायण सीबीआई के सामने दिल्ली में शनिवार को पेश हुए थे। उन्हें आगे भी पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा जा सकता है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक स्टॉक ब्रोकर की ओर से कथित दुर्व्यवहार के संबंध में चल रही जांच के संबंध में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व सीईओ रवि नारायण से पूछताछ की है। ब्यूरो के अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जांचकर्ताओं ने कोलोकेशन फैसिलिटी और स्टॉक एक्सचेंज के कामकाज पर नारायण का बयान दर्ज करते वक्त कई तीखे सवाल किए।
नारायण सीबीआई जांचकर्ताओं के सामने दिल्ली में शनिवार को पेश हुए थे। उन्हें आगे भी सवालों के लिए पेश होने के लिए कहा जा सकता है। इससे पहले शुक्रवार को सीबीआई ने एमएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्णा से इस मामले के संबंध में पूछताछ की थी। एजेंसी ने चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और पूर्व सीओओ आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और प्रमोटर स्टॉक ब्रोकर संजय गुप्ता के खिलाफ साल 2018 में मामला दर्ज किया था। यह मामला कथित तौर पर शेयर बाजार व्यापार प्रणाली के लिए जल्दी पहुंच प्राप्त करते लाभ कमाने के लिए दर्ज किया गया था। एजेंसी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), एनएसई मुंबई के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी जांच कर रही थी।
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि उक्त निजी कंपनी के मालिक और प्रमोटर ने एनएसई के अज्ञात अधिकारियों के साथ साजिश में एनएसई के सर्वर आर्किटेक्चर का दुरुपयोग किया। एनएसई मुंबई के अज्ञात अधिकारियों ने 2010-2012 के दौरान सह-स्थान सुविधा का उपयोग करते हुए उक्त कंपनी को अनुचित पहुंच प्रदान की थी जिसने इसे स्टॉक एक्सचेंज के एक्सचेंज सर्वर में पहले लॉगिन करने में सक्षम बनाया जिससे बाजार में किसी अन्य ब्रोकर से पहले डाटा प्राप्त करने में मदद मिली।
नारायण अप्रैल 1994 से मार्च 2013 कर एनएसई के एमडी और प्रबंध निदेशक रहे थे। इसके बाद वह अप्रैल 2013 से जून 2017 तक एनएसई के बोर्ड में गैर-कार्यकारी श्रेणी में उपाध्यक्ष के रूप में रहे। बता दें कि एनएसई ने कोलोकेशन सुविधा के तहत ब्रोकरों को एक शुल्क के एवज में अपने सर्वर को एनएसई के डाटा सेंटर में रखने की अनुमति दी थी। इससे उन्हें स्टॉक एक्सचेंज की ओर से वितरित मूल्य फीड तक तेजी से पहुंच प्राप्त करने में मदद मिली।
विस्तार
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक स्टॉक ब्रोकर की ओर से कथित दुर्व्यवहार के संबंध में चल रही जांच के संबंध में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व सीईओ रवि नारायण से पूछताछ की है। ब्यूरो के अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जांचकर्ताओं ने कोलोकेशन फैसिलिटी और स्टॉक एक्सचेंज के कामकाज पर नारायण का बयान दर्ज करते वक्त कई तीखे सवाल किए।
नारायण सीबीआई जांचकर्ताओं के सामने दिल्ली में शनिवार को पेश हुए थे। उन्हें आगे भी सवालों के लिए पेश होने के लिए कहा जा सकता है। इससे पहले शुक्रवार को सीबीआई ने एमएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्णा से इस मामले के संबंध में पूछताछ की थी। एजेंसी ने चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और पूर्व सीओओ आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और प्रमोटर स्टॉक ब्रोकर संजय गुप्ता के खिलाफ साल 2018 में मामला दर्ज किया था। यह मामला कथित तौर पर शेयर बाजार व्यापार प्रणाली के लिए जल्दी पहुंच प्राप्त करते लाभ कमाने के लिए दर्ज किया गया था। एजेंसी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), एनएसई मुंबई के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी जांच कर रही थी।
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि उक्त निजी कंपनी के मालिक और प्रमोटर ने एनएसई के अज्ञात अधिकारियों के साथ साजिश में एनएसई के सर्वर आर्किटेक्चर का दुरुपयोग किया। एनएसई मुंबई के अज्ञात अधिकारियों ने 2010-2012 के दौरान सह-स्थान सुविधा का उपयोग करते हुए उक्त कंपनी को अनुचित पहुंच प्रदान की थी जिसने इसे स्टॉक एक्सचेंज के एक्सचेंज सर्वर में पहले लॉगिन करने में सक्षम बनाया जिससे बाजार में किसी अन्य ब्रोकर से पहले डाटा प्राप्त करने में मदद मिली।
नारायण अप्रैल 1994 से मार्च 2013 कर एनएसई के एमडी और प्रबंध निदेशक रहे थे। इसके बाद वह अप्रैल 2013 से जून 2017 तक एनएसई के बोर्ड में गैर-कार्यकारी श्रेणी में उपाध्यक्ष के रूप में रहे। बता दें कि एनएसई ने कोलोकेशन सुविधा के तहत ब्रोकरों को एक शुल्क के एवज में अपने सर्वर को एनएसई के डाटा सेंटर में रखने की अनुमति दी थी। इससे उन्हें स्टॉक एक्सचेंज की ओर से वितरित मूल्य फीड तक तेजी से पहुंच प्राप्त करने में मदद मिली।
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