वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, प्योंगयांग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 13 Jan 2022 04:23 PM IST
सार
पर्यवेक्षकों ने कहा है कि अब 2022 में किम अपने देश के अंदर अपनी नई छवि पेश करने की तैयारी में हैं। वे संभवतया अपनी विचारधारा देशवासियों के सामने रखेंगे। दक्षिण कोरिया की खुफिया सेवा ने बीते अक्तूबर में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर कोरिया में ‘किम जोंग उनवाद’ का दौर आने वाला है…
उत्तर कोरिया की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की एक बैठक ने पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है। इस बार बैठक की जो तस्वीरें सरकारी मीडिया ने जारी कीं, उनमें सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल और उनके दादा किम इल सुंग की तस्वीरें गायब थीं। जबकि अब तक किम उन दोनों पूर्व राष्ट्रपतियों की बड़ी तस्वीरों के नीचे बैठे नजर आते थे।
पर्यवेक्षकों ने कहा है कि इन तस्वीरों के जरिए किम ने संभवतया यह संदेश दिया है कि अब वे अपने दादा और पिता के साये से बाहर आ गए हैं। दस साल पहले किम जब सर्वोच्च नेता बने थे, तब उनकी उम्र 30 वर्ष से भी कम थी। लेकिन अब वे खुद को अपनी पहचान के साथ शासन करने के योग्य समझ रहे हैं।
कोरोना से बिगड़े हालात
किम ने जब देश और सत्ताधारी पार्टी का नेतृत्व संभाला था, तब ज्यादातर विशेषज्ञों को उम्मीद नहीं थी कि वे लंबे समय तक सत्ता में रह पाएंगे। लेकिन ऐसी राय रखने वाले लोगों को गलत साबित करते हुए किम ने देश और पार्टी पर अपना पूरा नियंत्रण बनाए रखा है। इस बीच देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ी है और कोरोना महामारी ने देश पर कहर ढाया है। लेकिन इन सबसे किम की सत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
वर्कर्स पार्टी की ताजा बैठक से मिले संकेतों का विश्लेषण करते हुए पर्यवेक्षकों ने कहा है कि अब 2022 में किम अपने देश के अंदर अपनी नई छवि पेश करने की तैयारी में हैं। वे संभवतया अपनी विचारधारा देशवासियों के सामने रखेंगे। दक्षिण कोरिया की खुफिया सेवा ने बीते अक्तूबर में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर कोरिया में ‘किम जोंग उनवाद’ का दौर आने वाला है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका वर्ल्ड पीस के एसोसिएट एडिटर और उत्तर कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ मार्क बैरी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा कि अब संभवतया किम खुद को केंद्र में रखना चाहते हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि वे देश के संस्थापक (यानी अपने दादा) और दूसरे राष्ट्रपति (अपने पिता) पर से लोगों का ध्यान हटाएं।
दो विचारधाराओं का नया रूप पेश होगा
अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन के नीति विश्लेषक सू किम के मुताबिक किम की ऐसी ब्रैंडिंग का मतलब उनके नेतृत्व और सत्ता का अधिक मजबूत होना होगा। उत्तर कोरिया की खुफिया एजेंसी में काम कर चुके री जोंग के बेटे ली ह्यीउन ने कहा है- ‘किम इल सुंग की विचारधारा को ‘जुचे’ कहा जाता था। किम जोंग इल ने अपने विचारों को ‘सोनगुन’ कह कर प्रचारित किया था। अब किम जोंग उन भी उसी तरह अपनी विचारधारा सामने रखने की कोशिश में हैं। उसमें शायद उपरोक्त दोनों विचारधाराओं को मिला कर उनका एक नया रूप पेश किया जाएगा।’
‘जुचे’ की विचारधारा के तहत इस बात पर जोर दिया गया था कि उत्तर कोरिया को आत्म निर्भर होते हुए बाकी दुनिया से अलग रहना चाहिए। सोनगुन में कहा गया था कि देश में सबसे पहला स्थान सेना का है। इस विचार के तहत सेना को सबसे ज्यादा संसाधन आवंटित किए जाते हैं।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने अभी तक किम जोंग उन की किसी अलग विचाराधारा का साफ जिक्र नहीं किया है, लेकिन अब तमाम संकेत हैं कि किम अपनी ‘अनोखी’ वैचारिक दिशा देश को बताने वाले हैं।
विस्तार
उत्तर कोरिया की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की एक बैठक ने पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है। इस बार बैठक की जो तस्वीरें सरकारी मीडिया ने जारी कीं, उनमें सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल और उनके दादा किम इल सुंग की तस्वीरें गायब थीं। जबकि अब तक किम उन दोनों पूर्व राष्ट्रपतियों की बड़ी तस्वीरों के नीचे बैठे नजर आते थे।
पर्यवेक्षकों ने कहा है कि इन तस्वीरों के जरिए किम ने संभवतया यह संदेश दिया है कि अब वे अपने दादा और पिता के साये से बाहर आ गए हैं। दस साल पहले किम जब सर्वोच्च नेता बने थे, तब उनकी उम्र 30 वर्ष से भी कम थी। लेकिन अब वे खुद को अपनी पहचान के साथ शासन करने के योग्य समझ रहे हैं।
कोरोना से बिगड़े हालात
किम ने जब देश और सत्ताधारी पार्टी का नेतृत्व संभाला था, तब ज्यादातर विशेषज्ञों को उम्मीद नहीं थी कि वे लंबे समय तक सत्ता में रह पाएंगे। लेकिन ऐसी राय रखने वाले लोगों को गलत साबित करते हुए किम ने देश और पार्टी पर अपना पूरा नियंत्रण बनाए रखा है। इस बीच देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ी है और कोरोना महामारी ने देश पर कहर ढाया है। लेकिन इन सबसे किम की सत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
वर्कर्स पार्टी की ताजा बैठक से मिले संकेतों का विश्लेषण करते हुए पर्यवेक्षकों ने कहा है कि अब 2022 में किम अपने देश के अंदर अपनी नई छवि पेश करने की तैयारी में हैं। वे संभवतया अपनी विचारधारा देशवासियों के सामने रखेंगे। दक्षिण कोरिया की खुफिया सेवा ने बीते अक्तूबर में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर कोरिया में ‘किम जोंग उनवाद’ का दौर आने वाला है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका वर्ल्ड पीस के एसोसिएट एडिटर और उत्तर कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ मार्क बैरी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा कि अब संभवतया किम खुद को केंद्र में रखना चाहते हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि वे देश के संस्थापक (यानी अपने दादा) और दूसरे राष्ट्रपति (अपने पिता) पर से लोगों का ध्यान हटाएं।
दो विचारधाराओं का नया रूप पेश होगा
अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन के नीति विश्लेषक सू किम के मुताबिक किम की ऐसी ब्रैंडिंग का मतलब उनके नेतृत्व और सत्ता का अधिक मजबूत होना होगा। उत्तर कोरिया की खुफिया एजेंसी में काम कर चुके री जोंग के बेटे ली ह्यीउन ने कहा है- ‘किम इल सुंग की विचारधारा को ‘जुचे’ कहा जाता था। किम जोंग इल ने अपने विचारों को ‘सोनगुन’ कह कर प्रचारित किया था। अब किम जोंग उन भी उसी तरह अपनी विचारधारा सामने रखने की कोशिश में हैं। उसमें शायद उपरोक्त दोनों विचारधाराओं को मिला कर उनका एक नया रूप पेश किया जाएगा।’
‘जुचे’ की विचारधारा के तहत इस बात पर जोर दिया गया था कि उत्तर कोरिया को आत्म निर्भर होते हुए बाकी दुनिया से अलग रहना चाहिए। सोनगुन में कहा गया था कि देश में सबसे पहला स्थान सेना का है। इस विचार के तहत सेना को सबसे ज्यादा संसाधन आवंटित किए जाते हैं।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने अभी तक किम जोंग उन की किसी अलग विचाराधारा का साफ जिक्र नहीं किया है, लेकिन अब तमाम संकेत हैं कि किम अपनी ‘अनोखी’ वैचारिक दिशा देश को बताने वाले हैं।
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