वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे सभी कर्मचारी ईपीएस के तहत आते हैं, जिनका मूल वेतन (डीए के साथ बेसिक पे) 15,000 रुपये तक है। इस मामले से जुड़े सूत्र ने बताया कि ईपीएफओ के सदस्यों ने ज्यादा योगदान पर अधिक पेंशन देने की मांग की है। इसलिए इस बात पर जोरशोर से विचार किया जा रहा है कि उन लोगों के लिए एक नई पेंशन योजना या उत्पाद लाया जाए, जिनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक है।
ईपीएफओ ने 2014 में मासिक पेंशन योग्य मूल वेतन को 15,000 रुपये तक सीमित करने के लिए योजना में संशोधन किया था। 15,000 रुपये की सीमा सिर्फ सेवा में शामिल होने के समय लागू होती है। संगठित क्षेत्र में वेतन संशोधन और मूल्यवृद्धि की वजह से इसे एक सितंबर, 2014 से 6,500 रुपये से ऊपर संशोधित किया गया था।
इसलिए नए उत्पाद की जरूरत
सूत्र ने कहा कि उन लोगों के लिए एक नए पेंशन उत्पाद की आवश्यकता है, जो या तो कम योगदान करने के लिए मजबूर हैं या जो इस योजना की सदस्यता नहीं ले सके हैं, क्योंकि सेवा में शामिल होने के समय उनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक था।
11-12 मार्च को आ सकता है नया प्रस्ताव
सूत्र के अनुसार, इस नए पेंशन उत्पाद पर प्रस्ताव 11 और 12 मार्च को गुवाहाटी में ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में आ सकता है। बैठक के दौरान सीबीटी की ओर से नवंबर, 2021 में पेंशन संबंधी मुद्दों पर गठित एक उपसमिति भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
मूल वेतन की सीमा 25 हजार करने की मांग
मासिक मूल वेतन की सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने की मांग की गई है। इस मुद्दे पर विचार-विमर्श भी किया गया, लेकिन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पाई। उद्योग के अनुमान के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी ईपीएस-95 के दायरे में आ सकते हैं।
ईपीएफओ ने दिसंबर में 14.6 लाख सदस्य जोड़े
ईपीएफओ ने दिसंबर 2021 तक वास्तविक आधार पर 14.6 लाख नए सदस्य जोड़े। यह एक साल पहले की समान अवधि के 12.54 लाख के मुकाबले 16.4 फीसदी अधिक है। श्रम मंत्रालय ने कहा कि नवंबर, 2021 के मुकाबले दिसंबर में वास्तविक आधार पर ग्राहकों की संख्या 19.98 फीसदी बढ़ी है। बयान में कहा गया कि ईपीएफओ से बाहर निकलने वाले सदस्यों की संख्या जुलाई 2021 से घट रही है। सबसे अधिक नामांकन 22-25 वर्ष के आयु वर्ग में हुआ।