न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 03 Dec 2021 09:03 PM IST
सार
ईडी ने मेघालय पुलिस की सीआईडी द्वारा दाखिल एफआईआर व आरोपपत्र के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है। आरोप है कि झा ने हजारों छात्रों के साथ फर्जी डिग्रियां देकर धोखाधड़ी की।
फर्जी डिग्री मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने शिलांग के सीएमजी विश्वविद्यालय, उसके प्रवर्तक कुलपति चंद्र मोहन झा व उनके परिवार की 13 करोड़ से अधिक की संपत्ति अटैच कर ली है। ईडी अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि चंद्र मोहन झा सीएमजी फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। ईडी ने बैंक खातों, एफडी, म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसी और अचल संपत्तियां जब्त करने का अनंतिम आदेश जारी किया था जिसके तहत यह कार्रवाई की गई।
ईडी ने मेघालय पुलिस की सीआईडी द्वारा दाखिल एफआईआर व आरोपपत्र के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है। आरोप है कि झा ने हजारों छात्रों के साथ फर्जी डिग्रियां देकर धोखाधड़ी की। उसकी छोटी सी फैकल्टी के बावजूद सीएमजे विश्वविद्यालय ने 20,570 डिग्रियां गैरकानूनी ढंग से बांटीं। यही नहीं इन डिग्रियों पर जो दस्तखत थे उन पर भी संदेह है।
जांच में पाया गया कि इन फर्जी डिग्रियां बेच कर मिली रकम आरोपी के बैंक खातों में आई जिसे विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया। इस पैसे का इस्तेमाल परिवार के सदस्यों के नाम पर म्यूचुअल फंड, एफडी, बीमा पॉलिसी और अचल संपत्ति खरीदने में किया गया। ईडी अब तक इस मामले में कुल 41.20 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुका है।
विस्तार
फर्जी डिग्री मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने शिलांग के सीएमजी विश्वविद्यालय, उसके प्रवर्तक कुलपति चंद्र मोहन झा व उनके परिवार की 13 करोड़ से अधिक की संपत्ति अटैच कर ली है। ईडी अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि चंद्र मोहन झा सीएमजी फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। ईडी ने बैंक खातों, एफडी, म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसी और अचल संपत्तियां जब्त करने का अनंतिम आदेश जारी किया था जिसके तहत यह कार्रवाई की गई।
ईडी ने मेघालय पुलिस की सीआईडी द्वारा दाखिल एफआईआर व आरोपपत्र के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है। आरोप है कि झा ने हजारों छात्रों के साथ फर्जी डिग्रियां देकर धोखाधड़ी की। उसकी छोटी सी फैकल्टी के बावजूद सीएमजे विश्वविद्यालय ने 20,570 डिग्रियां गैरकानूनी ढंग से बांटीं। यही नहीं इन डिग्रियों पर जो दस्तखत थे उन पर भी संदेह है।
जांच में पाया गया कि इन फर्जी डिग्रियां बेच कर मिली रकम आरोपी के बैंक खातों में आई जिसे विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया। इस पैसे का इस्तेमाल परिवार के सदस्यों के नाम पर म्यूचुअल फंड, एफडी, बीमा पॉलिसी और अचल संपत्ति खरीदने में किया गया। ईडी अब तक इस मामले में कुल 41.20 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुका है।
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