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आरबीआई 'वक्त से पीछे': डिप्टी गवर्नर बोले, इसी रुख ने अब तक हमारी अच्छी मदद की है

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 28 Jan 2022 09:53 PM IST

सार

कुछ तिमाहियों से उदार मौद्रिक नीति जारी करने के चलते आरबीआई की आलोचना हुई है। डिप्टी गवर्नर ने इसे लेकर ही बैंक का पक्ष रखा है। 

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अन्य देशों की तुलना में लंबे समय तक उदार मौद्रिक नीति के रुख को जारी रखने के लिए वक्त से पीछे होने की आलोचना को लेकर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि अब तक इस दृष्टिकोण ने हमारी अच्छी मदद की है। पात्रा ने सामाजिक विकास परिषद द्वारा आयोजित 18वें सीडी देशमुख स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद अर्थव्यवस्था के बुरी तरह प्रभावित होने के बाद भविष्य की लहरों का मुकाबला करने के लिए काफी बेहतर तैयारी की। हालांकि पात्रा ने कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने पर चिंता भी जताई।

कुछ तिमाहियों से उदार मौद्रिक नीति जारी करने के चलते आरबीआई की आलोचना हुई है। आलोचकों ने कहा कि भारतीय केंद्रीय बैंक वक्त से पीछे चल रहा है। यहां तक कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने को मूल उद्देश्य पर भी दबाव नजर आ रहा है। दूसरी ओर दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों ने दरों में बढ़ोतरी की तैयारी कर ली है।

पात्रा ने अपने व्याख्यान में कहा कि यह आलोचना की जाती रही है कि आरबीआई वक्त से पीछे रह गया है लेकिन केवल वक्त ही बता पाएगा कि भारत ने सही किया या नहीं। अब तक तो हमारे नजरिए ने अच्छा नतीजा दिया है। 

विस्तार

अन्य देशों की तुलना में लंबे समय तक उदार मौद्रिक नीति के रुख को जारी रखने के लिए वक्त से पीछे होने की आलोचना को लेकर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि अब तक इस दृष्टिकोण ने हमारी अच्छी मदद की है। पात्रा ने सामाजिक विकास परिषद द्वारा आयोजित 18वें सीडी देशमुख स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद अर्थव्यवस्था के बुरी तरह प्रभावित होने के बाद भविष्य की लहरों का मुकाबला करने के लिए काफी बेहतर तैयारी की। हालांकि पात्रा ने कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने पर चिंता भी जताई।

कुछ तिमाहियों से उदार मौद्रिक नीति जारी करने के चलते आरबीआई की आलोचना हुई है। आलोचकों ने कहा कि भारतीय केंद्रीय बैंक वक्त से पीछे चल रहा है। यहां तक कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने को मूल उद्देश्य पर भी दबाव नजर आ रहा है। दूसरी ओर दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों ने दरों में बढ़ोतरी की तैयारी कर ली है।

पात्रा ने अपने व्याख्यान में कहा कि यह आलोचना की जाती रही है कि आरबीआई वक्त से पीछे रह गया है लेकिन केवल वक्त ही बता पाएगा कि भारत ने सही किया या नहीं। अब तक तो हमारे नजरिए ने अच्छा नतीजा दिया है। 

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