न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 02 Apr 2022 10:02 AM IST
सार
जस्टिस रमण ने कहा कि एक स्वतंत्र निकाय अलग-अलग जांच से उत्पन्न समस्या को खत्म करेगा और इन केंद्रीय जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रताड़ना के आरोप से बचाया जा सकेगा।
केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के आरोपों व इनकी साख पर सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने अहम राय प्रकट की है। सीजेआई रमण ने सीबीआई, ईडी व गंभीर अपराध जांच कार्यालय (SFIO) के लिए एक स्वतंत्र निकाय (independent umbrella body) बनाने की आवश्यकता जताई, जिसके अधीन ये सब काम करें।
जस्टिस रमण ने कहा कि एक स्वतंत्र निकाय अलग-अलग जांच से उत्पन्न समस्या को खत्म करेगा और इन केंद्रीय जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रताड़ना के आरोप से बचाया जा सकेगा। 19 वें डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में ‘लोकतंत्र : जांच एजेंसियों की भूमिका’ विषय पर विचार प्रकट करते हुए जस्टिस रमण ने यह बात कही। डीपी कोहली सीबीआई के पहले निदेशक थे। शुक्रवार को यह व्याख्यान दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि हम सामाजिक वैधता और सार्वजनिक विश्वास को बहाल करें। इस दिशा में पहला कदम राजनीति कार्यपालिका के साथ सांठगांठ खत्म करना है।
सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल
उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में सीबीआई की सक्रियता व निष्क्रियता से उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। इसलिए एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय बनाना जरूरी है, जिससे सीबीआई, ईडी व एसएफआईओ समेत अन्य जांच एजेंसियां एक छत के नीचे काम कर सकें। इससे जहां अलग-अलग जांच का सिलसिला खत्म होगा वहीं, इन एजेंसियों को भी राजनीतिक प्रताड़ना के आरोपों से मुक्ति मिलेगी।
सीजेआई ने कहा कि भारत का अब तक का अनुभव है कि लोकतंत्र हमारे जैसे बहुलतावादी समाज के लिए श्रेष्ठ साबित हुआ है, लेकिन हमारी समृद्ध विविधता को तानाशाहीपूर्ण शासन के जरिए कायम नहीं रखा जा सकता।
विस्तार
केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के आरोपों व इनकी साख पर सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने अहम राय प्रकट की है। सीजेआई रमण ने सीबीआई, ईडी व गंभीर अपराध जांच कार्यालय (SFIO) के लिए एक स्वतंत्र निकाय (independent umbrella body) बनाने की आवश्यकता जताई, जिसके अधीन ये सब काम करें।
जस्टिस रमण ने कहा कि एक स्वतंत्र निकाय अलग-अलग जांच से उत्पन्न समस्या को खत्म करेगा और इन केंद्रीय जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रताड़ना के आरोप से बचाया जा सकेगा। 19 वें डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में ‘लोकतंत्र : जांच एजेंसियों की भूमिका’ विषय पर विचार प्रकट करते हुए जस्टिस रमण ने यह बात कही। डीपी कोहली सीबीआई के पहले निदेशक थे। शुक्रवार को यह व्याख्यान दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि हम सामाजिक वैधता और सार्वजनिक विश्वास को बहाल करें। इस दिशा में पहला कदम राजनीति कार्यपालिका के साथ सांठगांठ खत्म करना है।
सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल
उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में सीबीआई की सक्रियता व निष्क्रियता से उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। इसलिए एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय बनाना जरूरी है, जिससे सीबीआई, ईडी व एसएफआईओ समेत अन्य जांच एजेंसियां एक छत के नीचे काम कर सकें। इससे जहां अलग-अलग जांच का सिलसिला खत्म होगा वहीं, इन एजेंसियों को भी राजनीतिक प्रताड़ना के आरोपों से मुक्ति मिलेगी।
सीजेआई ने कहा कि भारत का अब तक का अनुभव है कि लोकतंत्र हमारे जैसे बहुलतावादी समाज के लिए श्रेष्ठ साबित हुआ है, लेकिन हमारी समृद्ध विविधता को तानाशाहीपूर्ण शासन के जरिए कायम नहीं रखा जा सकता।
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