Desh

अहमदाबाद धमाके : दो हफ्तों तक अलग-अलग जगह मिले थे 29 जिंदा बम, जानें कैसे रची गई पूरी साजिश

सार

आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने कुछ मीडिया संस्थानों में ईमेल भेजकर इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। खास बात यह है कि अहमदाबाद धमाकों में बड़ा फैसला सुनाते हुए विशेष कोर्ट ने अपने आदेश में इस अंदेशे से इनकार नहीं किया है कि आतंकियों ने इन धमाकों के जरिये गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रची थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस तर्क को खारिज नहीं कर सकते।

ख़बर सुनें

26 जुलाई, 2008 में अहमदाबाद में सिलसिलेवार 21 बम धमाकों को अंजाम दे चुके दहशतगर्दों के दिमाग में दहशत की और बड़ी दास्तां लिखने की साजिश चल रही थी। अहमदाबाद, सूरत समेत अलग-अलग शहरों में दो हफ्तों तक पुलिस को 29 जिंदा बम मिले थे। हालांकि इनमें से एक भी नहीं फटा था। 

तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आरआर सरवैया के मुताबिक इन बमों की बैटरी कमजोर थी, जिस कारण बड़ी तबाही बच गई। तत्कालीन डीजीपी आशीष भाटिया के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने इन धमाकों की साजिश का खुलासा 20 दिनों के भीतर कर दिया था। 

15 अगस्त 2008 तक 11 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था। गुजरात के सबसे बड़े बम धमाके की जांच के लिए पांच राज्यों की पुलिस जुटी थी। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक की पुलिस ने कई शहरों में छापे मारे थे।

इंडियन मुजाहिदीन ने ईमेल भेजकर ली थी जिम्मेदारी
आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने कुछ मीडिया संस्थानों में ईमेल भेजकर इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। मेल में गुजरात दंगों की कुछ तस्वीरें थीं। इसमें दावा किया गया था कि यह गोधरा दंगों और 1992 में जामा मस्जिद विध्वंस का बदला है।

मोदी को मारने की साजिश से कोर्ट का इनकार नहीं 
अहमदाबाद धमाकों में बड़ा फैसला सुनाते हुए विशेष कोर्ट ने अपने आदेश में इस अंदेशे से इनकार नहीं किया कि आतंकियों ने इन धमाकों के जरिये गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रची थी। वरिष्ठ अधिवक्ता यतींद्र ओझा ने इस बात की पुष्टि की है कि कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस तर्क को खारिज नहीं कर सकते। साजिशकर्ताओं ने एक बम उस अस्पताल में भी रखा था जहां धमाके के पीड़ितों को भर्ती कराया गया। उनका अनुमान था कि सीएम मोदी घायलों को देखने वहां पहुंचेंगे और धमाके में मारे जाएंगे। 

विस्फोटक से खुली थीं कड़ियां
बम बनाने के लिए इस्तेमाल किये गए विस्फोटकों से ही इस पूरी साजिश की कड़ियां खुली थीं। इंडियन मुजाहिदीन के इशारे पर आतंकियों ने इन धमाकों के लिए बम में एल्युमीनियम नाइट्रेट, फर्टिलाइजर और फ्यूल ऑयल (एएनएफओ) का इस्तेमाल किया था। पहली बार ऐसा प्रयोग हुआ था और पुलिस ने इसे ही सबसे बड़ी कड़ी बनाकर साजिश के तारों को जोड़ा था।

मुंबई पुणे से चुराई कारों में गैस सिलिंडर से किये धमाके
आतंकियों ने मुंबई व पुणे से चोरी की कारों में गैस सिलिंडर से बम धमाके किये गए थे। बमों में इम्प्रोवाइज्ड बॉल बेयरिंग्स लगाई गईं थीं जिससे धमाकों की तीव्रता बढ़े। इन बमों में अलम्यूनियम नाइट्रेट, उर्वरक और जीवश्म तेलों का खतरनाक कॉकटेल इस्तेमाल किया गया था।

पुणे-मुंबई में 2010-11 में भी इसी विस्फोटक से हुए थे धमाके
2010 में पुणे कीजर्मन बेकरी और 2011 में मुंबई में हुए बम धमाकों में भी एएनएफओ के साथ आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था। महाराष्ट्र एंटी टेरर स्क्वाड का दावा था कि 2008 के अहमदाबाद धमाकों के आरोपियों ने साबरमती जेल में बैठकर अपने सूत्रों के जरिये इन धमाकों की साजिश रची थी। 

सजा को हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
विशेष अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि वह सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट का रुख करेंगे। वकील एचएम शेख ने कहा, विशेष अदालत को सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और कुछ दोषियों के बयानों पर पूरी तरह भरोसा कर अपना फैसला नहीं सुनाना चाहिए था। यह फैसला दोषियों के चार बयानों के आधार पर सुनाया गया। अब हम इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

विस्तार

26 जुलाई, 2008 में अहमदाबाद में सिलसिलेवार 21 बम धमाकों को अंजाम दे चुके दहशतगर्दों के दिमाग में दहशत की और बड़ी दास्तां लिखने की साजिश चल रही थी। अहमदाबाद, सूरत समेत अलग-अलग शहरों में दो हफ्तों तक पुलिस को 29 जिंदा बम मिले थे। हालांकि इनमें से एक भी नहीं फटा था। 

तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आरआर सरवैया के मुताबिक इन बमों की बैटरी कमजोर थी, जिस कारण बड़ी तबाही बच गई। तत्कालीन डीजीपी आशीष भाटिया के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने इन धमाकों की साजिश का खुलासा 20 दिनों के भीतर कर दिया था। 

15 अगस्त 2008 तक 11 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था। गुजरात के सबसे बड़े बम धमाके की जांच के लिए पांच राज्यों की पुलिस जुटी थी। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक की पुलिस ने कई शहरों में छापे मारे थे।

इंडियन मुजाहिदीन ने ईमेल भेजकर ली थी जिम्मेदारी

आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने कुछ मीडिया संस्थानों में ईमेल भेजकर इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। मेल में गुजरात दंगों की कुछ तस्वीरें थीं। इसमें दावा किया गया था कि यह गोधरा दंगों और 1992 में जामा मस्जिद विध्वंस का बदला है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: