एजेंसी, न्यूयॉर्क
Published by: Kuldeep Singh
Updated Wed, 15 Dec 2021 04:23 AM IST
सार
रूस के जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रस्ताव पर वीटो करने के साथ ही यूएन की सबसे शक्तिशाली संस्था में वैश्विक ताप वृद्धि को निर्णय निर्धारण में अधिक केंद्रीय बनाने के लिए एक साल तक चली कोशिशें नाकाम हो गईं। इससे पहले भारत ने भी इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। जबकि चीन वोटिंग से बाहर रहा था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
– फोटो : social media
रूस ने जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा बताने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपनी तरह के पहले प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है। इसी के साथ ही यूएन की सबसे शक्तिशाली संस्था में वैश्विक ताप वृद्धि को निर्णय निर्धारण में अधिक केंद्रीय बनाने के लिए एक साल तक चली कोशिशें नाकाम हो गईं। इससे पहले भारत ने भी इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
भारत पहले ही कर चुका प्रस्ताव के खिलाफ मतदान, वोटिंग से बाहर रहा चीन
आयरलैंड और नाइजीरिया के नेतृत्व में इस प्रस्ताव में ‘जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा असर पर जानकारी को’ संघर्षों से निपटने के लिए परिषद की रणनीतियों में शामिल करने का आह्वान किया गया। आयरलैंड के राजदूत गेराल्डिन बायर्ने नैसन ने कहा कि यह काफी समय से लंबित था।
प्रस्ताव में कहा गया है कि खतरनाक तूफान, समुद्र का बढ़ता स्तर, बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखा तथा ताप वृद्धि के अन्य असर सामाजिक तनाव और संघर्ष भड़का सकते हैं जिससे विश्व शांति, सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है।
भारत और चीन ने संघर्ष को जलवायु परिवर्तन से जोड़ने के विचार पर सवाल खड़ा किया। भारत ने इसके विपक्ष में मतदान किया जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया। संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 113 ने इसका समर्थन किया जिसमें परिषद के 15 में से 12 देश शामिल थे।
विस्तार
रूस ने जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा बताने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपनी तरह के पहले प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है। इसी के साथ ही यूएन की सबसे शक्तिशाली संस्था में वैश्विक ताप वृद्धि को निर्णय निर्धारण में अधिक केंद्रीय बनाने के लिए एक साल तक चली कोशिशें नाकाम हो गईं। इससे पहले भारत ने भी इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
भारत पहले ही कर चुका प्रस्ताव के खिलाफ मतदान, वोटिंग से बाहर रहा चीन
आयरलैंड और नाइजीरिया के नेतृत्व में इस प्रस्ताव में ‘जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा असर पर जानकारी को’ संघर्षों से निपटने के लिए परिषद की रणनीतियों में शामिल करने का आह्वान किया गया। आयरलैंड के राजदूत गेराल्डिन बायर्ने नैसन ने कहा कि यह काफी समय से लंबित था।
प्रस्ताव में कहा गया है कि खतरनाक तूफान, समुद्र का बढ़ता स्तर, बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखा तथा ताप वृद्धि के अन्य असर सामाजिक तनाव और संघर्ष भड़का सकते हैं जिससे विश्व शांति, सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है।
भारत और चीन ने संघर्ष को जलवायु परिवर्तन से जोड़ने के विचार पर सवाल खड़ा किया। भारत ने इसके विपक्ष में मतदान किया जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया। संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 113 ने इसका समर्थन किया जिसमें परिषद के 15 में से 12 देश शामिल थे।
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