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अमेरिका की जैवलिन मिसाइल?: यूक्रेन में रूसी टैंकों का बन गई काल, 300 फायर में 280 तोपों को कर चुकी है तबाह

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 05 Mar 2022 11:37 AM IST

सार

जैवलिन मिसाइल इतनी हल्की है कि एक अकेला सैनिक ही इसे लेकर चल सकता है और इसका संचालन कर सकता है। रूस को जैसे ही पता चला कि यूक्रेन के पास जैवलिन मिसाइल है, उसने अपने टैंकों को पीछे हटा लिया है। 

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यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ा यु्द्ध दसवें दिन में प्रवेश कर चुका है। जेलेंस्की की कमतर आंकी जाने वाली सेना पहले दिन से ही पुतिन को कड़ी टक्कर दे रही है। यू्क्रेन की ओर से लगातार दावे किए जा रहे हैं कि, उसने रूस के सैकड़ों बख्तरबंद वाहनों और टैंकों को नेस्तनाबूत कर दिया है। भले ही इस दावे पर भरोसा किया जाना मुश्किल हो, लेकिन यूक्रेनी सैनिकों के हाथों में अमेरिका की जो जैवलिन मिसाइल है, उसकी क्षमता पर भरोसा करना ही पड़ेगा। इसी जैवलिन मिसाइल के दम पर यूक्रेन की सेना रूसी तोपखाने को तबाह कर रही है, तो उनके एयरक्राफ्ट को भी ध्वस्त कर दे रही है। ऐसे में इस मिसाइल की खासियतों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जिसने रूस को परेशान कर दिया है और कीव को अब तक उसके कब्जे से दूर रखा हुआ है। 

93 प्रतिशत मारक क्षमता
अमेरिकी पत्रकार जैक मर्फी ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से दावा किया है कि, यूक्रेनी सैनिकों के पास अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई एंटी टैंक मिसाइल जैवलिन है। यह मिसाइल रूसी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को मारने में सक्षम है। जैक मर्फी का दावा है कि इसी मिसाइल के दम पर यूक्रेन अब तक 280 रूसी बख्तरबंद वाहनों को तबाह कर चुका है। जबकि, उसने इन एंटी टैंक मिसाइलों से सिर्फ 300 फायर ही किए हैं। यानी इस यह मिसाइल 93 प्रतिशत मारक क्षमता से काम करती है। 

सबसे कमजोर जगह को बनाती है निशाना 
रेथॉम मिसाइल्स एंड डिफेंस और लॉकहीड मार्टिन द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई जैवलिन मिसाइल टारगेट को हमेशा ऊपर से हिट करती है। दरअसल, कोई भी टैंक या बख्तरबंद वाहन दोनों तरफ से मजबूत होता है। इसके अपेक्षाकृत उसका ऊपरी हिस्सा कमजोर होता है। मिसाइल को इसी तकनीकी से तैयार किया गया है कि वह टैंक के सबसे कमजोर हिस्से को टारगेट करके हमला करती है। जरूरत पड़ने पर इसके सीधे भी दागा जा सकता है।

अकेला सैनिक ही हिट कर सकता है टारगेट 
जैवलिन मिसाइल को इतना हल्का और संचालन में इतना कारगर बनाया गया है कि, इसे एक अकेला सैनिक ही चला सकता है। एक सैनिक छोटी सी मिसाइल को अपने कंधे पर रखकर टारगेट को हिट कर सकता है। अमेरिकी पत्रकार मर्फी के मुताबिक, जैवलिन की पहली खेप 2018 में यूक्रेन पहुंची थी। यह समझौता 75 मिलियन डॉलर का था। 

मिसाइल के कारण पीछे हटे रूसी टैंक
जैक मर्फी के मुताबिक, रूसी सेना को जैसे ही पता चला कि यूक्रेन के पास जैवलिन मिसाइलें हैं, डोनाबास से उन्होंने अपने टैंकों को पीछे कर लिया। दरअसल, शहरी क्षेत्रों में प्रवेश के बाद रूसी टैंक सीधे मिसाइलों की जद में आ गए और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। 

विस्तार

यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ा यु्द्ध दसवें दिन में प्रवेश कर चुका है। जेलेंस्की की कमतर आंकी जाने वाली सेना पहले दिन से ही पुतिन को कड़ी टक्कर दे रही है। यू्क्रेन की ओर से लगातार दावे किए जा रहे हैं कि, उसने रूस के सैकड़ों बख्तरबंद वाहनों और टैंकों को नेस्तनाबूत कर दिया है। भले ही इस दावे पर भरोसा किया जाना मुश्किल हो, लेकिन यूक्रेनी सैनिकों के हाथों में अमेरिका की जो जैवलिन मिसाइल है, उसकी क्षमता पर भरोसा करना ही पड़ेगा। इसी जैवलिन मिसाइल के दम पर यूक्रेन की सेना रूसी तोपखाने को तबाह कर रही है, तो उनके एयरक्राफ्ट को भी ध्वस्त कर दे रही है। ऐसे में इस मिसाइल की खासियतों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जिसने रूस को परेशान कर दिया है और कीव को अब तक उसके कब्जे से दूर रखा हुआ है। 

93 प्रतिशत मारक क्षमता

अमेरिकी पत्रकार जैक मर्फी ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से दावा किया है कि, यूक्रेनी सैनिकों के पास अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई एंटी टैंक मिसाइल जैवलिन है। यह मिसाइल रूसी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को मारने में सक्षम है। जैक मर्फी का दावा है कि इसी मिसाइल के दम पर यूक्रेन अब तक 280 रूसी बख्तरबंद वाहनों को तबाह कर चुका है। जबकि, उसने इन एंटी टैंक मिसाइलों से सिर्फ 300 फायर ही किए हैं। यानी इस यह मिसाइल 93 प्रतिशत मारक क्षमता से काम करती है। 

सबसे कमजोर जगह को बनाती है निशाना 

रेथॉम मिसाइल्स एंड डिफेंस और लॉकहीड मार्टिन द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई जैवलिन मिसाइल टारगेट को हमेशा ऊपर से हिट करती है। दरअसल, कोई भी टैंक या बख्तरबंद वाहन दोनों तरफ से मजबूत होता है। इसके अपेक्षाकृत उसका ऊपरी हिस्सा कमजोर होता है। मिसाइल को इसी तकनीकी से तैयार किया गया है कि वह टैंक के सबसे कमजोर हिस्से को टारगेट करके हमला करती है। जरूरत पड़ने पर इसके सीधे भी दागा जा सकता है।

अकेला सैनिक ही हिट कर सकता है टारगेट 

जैवलिन मिसाइल को इतना हल्का और संचालन में इतना कारगर बनाया गया है कि, इसे एक अकेला सैनिक ही चला सकता है। एक सैनिक छोटी सी मिसाइल को अपने कंधे पर रखकर टारगेट को हिट कर सकता है। अमेरिकी पत्रकार मर्फी के मुताबिक, जैवलिन की पहली खेप 2018 में यूक्रेन पहुंची थी। यह समझौता 75 मिलियन डॉलर का था। 

मिसाइल के कारण पीछे हटे रूसी टैंक

जैक मर्फी के मुताबिक, रूसी सेना को जैसे ही पता चला कि यूक्रेन के पास जैवलिन मिसाइलें हैं, डोनाबास से उन्होंने अपने टैंकों को पीछे कर लिया। दरअसल, शहरी क्षेत्रों में प्रवेश के बाद रूसी टैंक सीधे मिसाइलों की जद में आ गए और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। 

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