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अफगानिस्तान: तालिबान में बदलाव या दिखावा? अधिकारियों को फरमान- अब कोर्ट के आदेश पर ही दें सरेआम सजा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 16 Oct 2021 07:37 AM IST

सार

तालिबान ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक अफगानिस्तान की शीर्ष अदालत सार्वजनिक रूप से हत्या करने का आदेश जारी नहीं करती, तब तक वे सार्वजनिक रूप से दंड देने से बचें।

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अफगानिस्तान में तालिबान के शासन आ जाने के बाद से लोगों में अभी भी दहशत का माहौल है। यह दहशत सिर्फ इसलिए नहीं कि अब से तालिबानी फरमान का पालन करना होगा बल्कि इसलिए भी कि आतंकी संगठन जिस तरह से सार्वजनिक सजा मुकर्रर करता है वह दिल दहलाने वाला होता है। लेकिन इन सब के बीच यहां के नागरिकों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है कि तालिबान ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक अफगानिस्तान की शीर्ष अदालत सार्वजनिक रूप से हत्या करने का आदेश जारी नहीं करती, तब तक वे सार्वजनिक रूप से दंड देने से बचें।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट करते हुए कहा कि अब से मंत्रिपरिषद ने फैसला किया है कि दोषी को सार्वजनिक करने की कोई जरूरत नहीं है और जब तक अदालत आदेश जारी नहीं करती है, तब तक सार्वजनिक रूप से कोई सजा नहीं दी जाएगी। वहीं डॉन अखबार ने भी मुजाहिद के हवाले से इस आदेश की पुष्टि की है।

पिछले महीने अमेरिका ने तालिबानी सजा की निंदा की थी
गौरतलब है कि पिछले महीने, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक प्रकार की सजा के रूप में विच्छेदन और फांसी को बहाल करने की तालिबान की योजनाओं की कड़ी निंदा की थी। एक प्रेस के दौरान, विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका अफगान लोगों के साथ खड़ा है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ, और मांग करता है कि तालिबान इस तरह के किसी भी अत्याचारी दुर्व्यवहार को तुरंत बंद कर दे।
वहीं तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के अनुसार यदि अपराधी को दंडित किया जाता है, तो सजा की व्याख्या की जानी चाहिए ताकि लोगों को अपराध के बारे में पता चल सके।

सितंबर में तालिबान ने सार्वजनिक सजा को फिर से शुरू करने की बात की थी
सितंबर में, कई मीडिया रिपोर्टें सामने आई थीं कि तालिबान के जेलों के प्रभारी अधिकारी और अफगानिस्तान के पूर्व न्याय मंत्री मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा कि देश में फांसी और सार्वजनिक दंड फिर से शुरू होंगे। 

 तालिबानी शासन को अब तक मान्यता नहीं
अफगानिस्तान में सरकार की घोषणा के बाद से तालिबान शासन को मान्यता नहीं मिल पाई है। चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के अलावा, बाकी दुनिया संगठन की कार्यशैली पर नजर रखते हुए प्रतीक्षा करें और देखें की नीति अपना रही है।

विस्तार

अफगानिस्तान में तालिबान के शासन आ जाने के बाद से लोगों में अभी भी दहशत का माहौल है। यह दहशत सिर्फ इसलिए नहीं कि अब से तालिबानी फरमान का पालन करना होगा बल्कि इसलिए भी कि आतंकी संगठन जिस तरह से सार्वजनिक सजा मुकर्रर करता है वह दिल दहलाने वाला होता है। लेकिन इन सब के बीच यहां के नागरिकों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है कि तालिबान ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक अफगानिस्तान की शीर्ष अदालत सार्वजनिक रूप से हत्या करने का आदेश जारी नहीं करती, तब तक वे सार्वजनिक रूप से दंड देने से बचें।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट करते हुए कहा कि अब से मंत्रिपरिषद ने फैसला किया है कि दोषी को सार्वजनिक करने की कोई जरूरत नहीं है और जब तक अदालत आदेश जारी नहीं करती है, तब तक सार्वजनिक रूप से कोई सजा नहीं दी जाएगी। वहीं डॉन अखबार ने भी मुजाहिद के हवाले से इस आदेश की पुष्टि की है।

पिछले महीने अमेरिका ने तालिबानी सजा की निंदा की थी

गौरतलब है कि पिछले महीने, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक प्रकार की सजा के रूप में विच्छेदन और फांसी को बहाल करने की तालिबान की योजनाओं की कड़ी निंदा की थी। एक प्रेस के दौरान, विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका अफगान लोगों के साथ खड़ा है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ, और मांग करता है कि तालिबान इस तरह के किसी भी अत्याचारी दुर्व्यवहार को तुरंत बंद कर दे।

वहीं तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के अनुसार यदि अपराधी को दंडित किया जाता है, तो सजा की व्याख्या की जानी चाहिए ताकि लोगों को अपराध के बारे में पता चल सके।

सितंबर में तालिबान ने सार्वजनिक सजा को फिर से शुरू करने की बात की थी

सितंबर में, कई मीडिया रिपोर्टें सामने आई थीं कि तालिबान के जेलों के प्रभारी अधिकारी और अफगानिस्तान के पूर्व न्याय मंत्री मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा कि देश में फांसी और सार्वजनिक दंड फिर से शुरू होंगे। 

 तालिबानी शासन को अब तक मान्यता नहीं

अफगानिस्तान में सरकार की घोषणा के बाद से तालिबान शासन को मान्यता नहीं मिल पाई है। चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के अलावा, बाकी दुनिया संगठन की कार्यशैली पर नजर रखते हुए प्रतीक्षा करें और देखें की नीति अपना रही है।

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