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अध्ययन में दावा: मूल स्ट्रेन से अधिक संक्रामक है ओमिक्रॉन का यह उप वंश, पढ़िए पूरी जानकारी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 01 Feb 2022 06:16 PM IST

सार

ओमिक्रॉन का बीए.2 वैरिएंट मूल कोरोना संक्रमण की तुलना में ज्यादा तेजी से फैलता है साथ ही इसके कुछ खास लक्षण नहीं होते इसलिए इसका पता लगाना काफी कठिन हो जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह और अधिक संक्रामक भी हो सकता है। 

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कोरोना वायरस के अत्यधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन का एक उप वंश मूल वायरस से भी अधिक संक्रामक है। यह दावा डेनमार्क में किए गए एक अध्ययन में किया गया है। शोधार्थियों ने डेनमार्क के 8541 घरों और 17975 लोगों पर ओमिक्रॉन के उप वंश बीए.2 बनाम बीए.2 के संक्रमण का परीक्षण किया।

इस अध्ययन में सामने आया है कि बीए.2 का तेजी से प्रसार उपवंश की अंतर्निहित बढ़ी हुई संक्रामकता से संबंधित हो सकता है। शोधार्थियों के अनुसार अध्ययन के दौरान कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीए.2 उप वंश की शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की मजबूत क्षमता के बारे में भी सबूत मिले हैं।

यह अध्ययन स्टैटेंस सीरम संस्थान (एसएसआई) के शोधार्थियों ने किया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि बीए.2 से संक्रमित परिवारों में फिर से संक्रमण की दर 39 फीसदी पाई जबकि बीए.1 से संक्रमित परिवारों में यह दर केवल 29 फीसदी रही। ऐसे में बीए.2 उपवंश बीए.1 के मुकाबले अधिक संक्रामक मिला है।

शोधार्थियों ने आगे कहा कि दोनों ही उप वंशों के लिए ऐसे लोगों में संक्रमित होने का खतरा अधिक रहा जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। लेकिन, बीए.2 को लेकर उनमें भी संक्रमण का खतरा रहा जो टीके की खुराक लगवा चुके हैं। टीका न लगवाने वाले बीए.2 से संक्रमितों से अधिक तेजी से संक्रमण फैल सकता है।

बीए.2 से संक्रमित ऐसे लोगों से जिन्हें कोविड रोधी टीका लग चुका है, बीए.1 से संक्रमिक टीका लगवा चुके लोगों के मुकाबले संक्रमण कम फैलता है। इस अध्ययन में एसएसआई के अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगेन स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के वैज्ञानिक भी शामिल थे।

विस्तार

कोरोना वायरस के अत्यधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन का एक उप वंश मूल वायरस से भी अधिक संक्रामक है। यह दावा डेनमार्क में किए गए एक अध्ययन में किया गया है। शोधार्थियों ने डेनमार्क के 8541 घरों और 17975 लोगों पर ओमिक्रॉन के उप वंश बीए.2 बनाम बीए.2 के संक्रमण का परीक्षण किया।

इस अध्ययन में सामने आया है कि बीए.2 का तेजी से प्रसार उपवंश की अंतर्निहित बढ़ी हुई संक्रामकता से संबंधित हो सकता है। शोधार्थियों के अनुसार अध्ययन के दौरान कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीए.2 उप वंश की शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की मजबूत क्षमता के बारे में भी सबूत मिले हैं।

यह अध्ययन स्टैटेंस सीरम संस्थान (एसएसआई) के शोधार्थियों ने किया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि बीए.2 से संक्रमित परिवारों में फिर से संक्रमण की दर 39 फीसदी पाई जबकि बीए.1 से संक्रमित परिवारों में यह दर केवल 29 फीसदी रही। ऐसे में बीए.2 उपवंश बीए.1 के मुकाबले अधिक संक्रामक मिला है।

शोधार्थियों ने आगे कहा कि दोनों ही उप वंशों के लिए ऐसे लोगों में संक्रमित होने का खतरा अधिक रहा जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। लेकिन, बीए.2 को लेकर उनमें भी संक्रमण का खतरा रहा जो टीके की खुराक लगवा चुके हैं। टीका न लगवाने वाले बीए.2 से संक्रमितों से अधिक तेजी से संक्रमण फैल सकता है।

बीए.2 से संक्रमित ऐसे लोगों से जिन्हें कोविड रोधी टीका लग चुका है, बीए.1 से संक्रमिक टीका लगवा चुके लोगों के मुकाबले संक्रमण कम फैलता है। इस अध्ययन में एसएसआई के अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगेन स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के वैज्ञानिक भी शामिल थे।

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