ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: शशि सिंह
Updated Thu, 02 Dec 2021 04:56 PM IST
सार
Vrat ke niyam: व्रत रखने का अर्थ केवल निराहार रहना नहीं होता है बल्कि व्रत रखने का अर्थ तन के साथ मन की शुद्धि करना भी होता है। धार्मिक ग्रंथों में व्रत करने से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। यदि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करना हो तो इन नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। यहां जानिए व्रत के नियम।
व्रत रखने के नियम (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : istock
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विस्तार
प्रत्येक धर्म में लोग अपनी आस्था और परंपराओं के अनुसार, व्रत या उपवास करते हैं। हिंदू धर्म में भी देवी-देवताओं के अनुसार, सप्ताह के दिनों, विशेष तिथियों व त्योहार आदि पर व्रत का विधान होता है। लोग अपनी मन्नत के अनुसार भी व्रत करते हैं। व्रत करने का उद्देश्य केवल निराहार रहना नहीं होता है अपितु व्रत एक तप के समान होता है। व्रत रखने से दृढ़ शक्ति जाग्रत होती है और आप भीतर से शुद्ध होते हैं, क्योंकि व्रत में आप सबसे पहले दृढ़ संकल्प लेते हैं। धार्मिक ग्रंथों में व्रत पूजन से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। मान्यता है कि यदि व्रत करते समय इन बातों को ध्यान में न रखा जाए तो व्रत रखना विफल हो सकता है। तो चलिए जानते हैं कि व्रत करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
व्रत रखने से संबंधित महत्वपूर्ण बातें-
- सर्वप्रथम इस बात का ध्यान रखें कि आपको जितने व्रत करने हैं उसका संकल्प अवश्य लें। संकल्प के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
- व्रत में तन के साथ मन का संयम रखना भी आवश्यक होता है। यदि व्रत किया है तो अपने मन में किसी भी वस्तु को देखकर उसे ग्रहण करने का भाव न लाएं।
- व्रत में हल्का सुपाच्य भोजन लेना चाहिए, और किसी भी तरह के तामसिक या गरिष्ठ भोजन से बचना चाहिए।
- व्रत का अर्थ होता है ईश्वर के प्रति कुछ समय समर्पित करना। इसलिए व्रत में केवल ईश्वर का स्मरण करें। उपवास के दौरान मन में किसी प्रकार के गलत विचार न लाएं, किसी की निंदा न करें।
- व्रत में क्रोध नहीं करना चाहिए, क्रोध में मुख से अपशब्द निकल सकते हैं, जिसके कारण आपका पूरा व्रत विफल हो सकता है।
- यदि आपने किसी मन्नत के लिए व्रत का संकल्प लिया है तो किसी ज्योतिष आदि से सलाह लेकर शुभ मुहूर्त में व्रत आरंभ करें।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद आवश्यक होता है।
- इसके अलावा माना जाता है कि स्त्रियों को रजस्वला होने पर व्रत नहीं करना चाहिए। उन दिनों की गिनती न करें और आगे आने वाले व्रत करें।
- यदि व्रत के बीच में सूतक (किसी की मृत्यु या जन्म होने के पश्चात का कुछ समय) पड़ जाएं तो पुनः व्रत आरंभ करने चाहिए।
- यदि आप व्रत करते हैं तो देवी-देवताओं के साथ ही अपने पूर्वजों का स्मरण भी करना चाहिए।
- व्रत पूर्ण हो जाने पर उद्यापन अवश्य करवाना चाहिए। बिना उद्यापन कराए व्रत पूर्ण नहीं माने जाते हैं।
- बीमारी, गर्भावस्था या क्षमता न होने की स्थिति में व्रत नहीं करना चाहिए।