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Vastu Tips: घर में सीढ़ियां कौन सी दिशा में होनी चाहिए? जानिए वास्तु शास्त्र के नियम

शुभ फल की प्राप्ति के लिए ध्यान रहे कि सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे -5 ,7 ,9 ,11 ,15 , 17  आदि।

अनीता जैन ,वास्तुविद
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 22 Jan 2022 12:18 PM IST

सार

सीढ़ियों के नीचे पितरों का स्थान माना गया है इसलिए यहाँ कबाड़ एकत्रित करके न रखें अन्यथा ऐसा करने से वहाँ निवास करने वालों को तरह-तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। किचन,पूजाघर, शौचालय ,स्टोररूम भी यहां नहीं होना चाहिए।

शुभ फल की प्राप्ति के लिए ध्यान रहे कि सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे -5 ,7 ,9 ,11 ,15 , 17  आदि।
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

सीढ़ियां बनाते वक्त किसी भी इमारत या भवन में यदि वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो उस स्थान पर रहने वाले सदस्यों के लिए यह कामयाबी एवं सफलता की सीढ़ियां बन सकती हैं। बस इतना सा आप समझ लें कि सीढ़ियों से ही प्राणिक ऊर्जा ऊपरी मंजिल तक पहुंचती है। वास्तु में सीढ़ियों का क्या महत्त्व होता है? इन्हें किस दिशा में और कितनी बनाएं ? आज इन सब बातों पर चर्चा कर रहीं हैं हमारी जानी मानी वास्तु एक्सपर्ट अनीता जैन।

  • भवन के दक्षिण-पश्चिम यानि कि नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व होने से यहां सीढ़ियां बनाने से इस दिशा का भार बढ़ जाता है जो वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिशा में सीढ़ियों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  • दक्षिण या पश्चिम दिशा में इनका निर्माण करवाने से भी कोई हानि नहीं है। अगर जगह का अभाव है तो वायव्य या आग्नेय कोण में भी निर्माण करवाया जा सकता है, परन्तु इससे बच्चों को परेशानी होने की संभावना होती है।
  • घर का मध्य भाग यानि कि ब्रह्म स्थान अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है अतः भूलकर  भी यहां सीढ़ियों का निर्माण नहीं कराएं अन्यथा वहां रहने वालों को विभिन्न प्रकार की दिक्क़तों का सामना करना पड़ सकता है।
  • ईशान कोण की बात करें तो इस दिशा को तो वास्तु में हल्का और खुला रखने की बात कही गई है अतः यहां सीढ़ियां बनवाना अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो सकता है। ऐसा करने से पेशेगत दिक्कतें, धनहानि या क़र्ज़ में डूबने जैसी समस्याएं सामने आती हैं। बच्चों का करिअर बाधित होता है।
  • शुभ फल की प्राप्ति के लिए ध्यान रहे कि सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे -5 ,7 ,9 ,11 ,15 , 17  आदि। सीढ़ियों के शुरू व अंत में दरवाज़ा होना वास्तु नियमों के अनुसार होता है लेकिन नीचे का दरवाज़ा ऊपर के दरवाज़े के बराबर या थोड़ा बड़ा हो। इसके अलावा एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी का अंतर 9 इंच सबसे उपयुक्त माना गया है। सीढ़ियां इस प्रकार हों कि चढ़ते समय मुख पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा की ओर हो। और उतरते वक्त चेहरा उत्तर या पूर्व की ओर हो।

इन बातों भी रखें ध्यान

  • जहां तक हो सके गोलाकार सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो,निर्माण इस प्रकार हो कि चढ़ते समय व्यक्ति दाहिनी तरफ मुड़ता हुआ जाए अर्थात क्लॉकवाइज़।
  • खुली सीढ़ियां वास्तुसम्मत नहीं होतीं अतः इनके ऊपर गुमटी होनी चाहिए ।
  • टूटी-फूटी,असुविधाजनक सीढ़ी अशांति तथा गृह क्लेश उत्पन्न करती हैं।
  • सीढ़ियों के नीचे का स्थान खुला ही रहना चाहिए ऐसा करने से घर के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  • सीढ़ियों के नीचे पितरों का स्थान माना गया है इसलिए यहाँ कबाड़ एकत्रित करके न रखें अन्यथा ऐसा करने से वहाँ निवास करने वालों को तरह-तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। किचन,पूजाघर, शौचालय ,स्टोररूम भी यहां नहीं होना चाहिए।

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