एजेंसी, लंदन।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 01 Feb 2022 12:49 AM IST
सार
कनाडा में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के व्याख्याता डैरेन बायलर ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ साल पहले की तुलना में अब कम उइगर नजरबंदी शिविरों में हिरासत में लिए जा रहे हैं। यह सब अंतरराष्ट्रीय दबाव का ही नतीजा है।
चीन में उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न में कमी। (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
कनाडा में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के व्याख्याता डैरेन बायलर ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ साल पहले की तुलना में अब कम उइगर नजरबंदी शिविरों में हिरासत में लिए जा रहे हैं। यह सब अंतरराष्ट्रीय दबाव का ही नतीजा है। हालांकि, उनका कहना है कि हजारों लोग अब भी लापता हैं।
ब्रिटेन में शेफील्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी एशियाई अध्ययन के व्याख्याता डेविड टोबिन ने शिनजियांग और उइगरों के साथ चीनी रिश्तों के लंबे इतिहास की व्याख्या की। उन्होंने कहा, चीन में शिनजियांग को शासित करने की धारणा है कि उइगर समुदाय के लोग बर्बर थे और 1949 में चीनी बनकर इनसान बन गए। ऑस्ट्रेलिया में जेम्स कुक विवि में वरिष्ठ व्याख्याता अन्ना हेस कहती हैं, शिनजियांग प्रांत में चीनी अत्याचार में कमी का एक बड़ा कारण पश्चिमी देशों का शीतकालीन खेलों से पहले बनाया गया दबाव है।
चीन में बेहद मुश्किल हुआ पत्रकारों के लिए काम करना : रिपोर्ट
चीन में मीडिया की आजादी बेहद तेजी से घट रही है। विदेशी पत्रकारों के एक समूह फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट क्लब (एफसीसी) की ओर से जारी रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। एफसीसी रिपोर्ट के मुताबिक, वहां पत्रकारों को शारीरिक हमले, हैकिंग, ऑनलाइन ट्रोलिंग और वीजा से इनकार का सामना करना पड़ता है। चीन और हांगकांग में स्थानीय पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है। रिपोर्ट में पाया गया है कि विदेशी पत्रकारों को चीन में इतने गंभीर रूप से परेशान किया जा रहा है कि कई संवाददाताओं ने चीन छोड़ दिया है।