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Taliban vs ISIS-K: तालिबान के ठिकानों को निशाना बना रहा आईएस-के, संकट में दुनिया की शांति

आईएसआईएस (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

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ईरान के पूर्व में स्थित आमू नदी के दक्षिण से हिंदूकुश पर्वत के उत्तर में स्थित विस्तृत भू भाग का नाम खुरासान हुआ करता था। खुरासान यानी, सूर्योंदय का इलाका। आईएस-के अपने आतंकी एजेंडे के लिहाज से खुरासान प्रांत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, उत्तर भारत व मध्य एशिया के होने का दावा करता है।

दो कट्टरपंथी सुन्नी आतंकी संगठनों तालिबान और आईएस-के की दुश्मनी, आईएस-के की ताकत और क्षेत्र के भविष्य से जुड़े ज्वलंत सवालों के जवाब दे रही हैं वेस्ट पॉइंट स्थित अमेरिकी सैन्य अकादमी में सहायक प्रोफेसर आमिरा जादोन और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में चरमपंथ के अध्येता एंड्र्यू माइन्स।

कौन है इस्लामिक स्टेट खुरासान?
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) या दाएश नाम के खूंखार आतंकी संगठन का एक क्षेत्रीय गुट है इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएस-के)। आईएस-के को आईएसआईएस के केंद्रीय नेतृत्व से समर्थन है।

  • जनवरी 2015 में अस्तित्व में आने के कुछ ही समय के भीतर इसने उत्तरी व उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया था। इसके बाद इसने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में घातक हमले शुरू कर दिए।
  • 2018 में इसे दुनिया चार शीर्ष खतरनाक आतंकी संगठनों में शुमार किया गया था।
  • 2019 में अमेरिका और अफगान सेना के हमलों के बाद इसके 1,400 से अधिक लड़ाकों ने परिवारों समेत आत्मसमर्पण कर दिया था। तब इस संगठन को खत्म मान लिया गया था।
सहयोगी कौन हैं?
इसकी स्थापना पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के पूर्व सदस्यों ने की थी। इसकी सबसे बड़ी ताकत इन लड़ाकों और कमांडरों की स्थानीय विशेषज्ञता है।

आईएस-के ने नांगरहार के दक्षिणी जिलों में खुद को मजबूत किया। यह तोरा बोरा पहाड़ियों का वही इलाका है, जो अल-कायदा का गढ़ हुआ करता था।
इसे इस्लामिक स्टेट से 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की मदद मिली।

लक्ष्य : इस्लामी राज्य यानी खिलाफत की स्थापना के लिए मध्य और दक्षिण एशिया पर कब्जा करना है।
तरीके : पहला तो यह कि क्षेत्र में पहले मौजूद जिहादी समूहों खुद में मिला ले, या फिर उन्हें हराकर अकेला सबसे बड़ा जिहादी समूह बनकर उभरे। फिलहाल रणनीति यही है कि आतंकी हमलों के जरिये अराजकता और अनिश्चितता पैदा कर दे, ताकि लोगों को अपनी सरकार पर शंका होने लगे।

तालिबान को मानता है रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी
आईएस-के जिहादियों के बीच तालिबान को अफगानिस्तान की सीमाओं तक सीमित सरकार बनाने वाला समूह बताता है। इसके विपरीत आईएस-के वैश्विक स्तर पर खिलाफत का एजेंडा लेकर चल रहा है। अपनी स्थापना के बाद से ही आईएस-के तालिबान के ठिकानों को निशाना बना रहा है। तालिबान ने भी अमेरिकी और अफगानी बलों के सहयोग से आईएसके को बहुत नुकसान पहुंचाया।

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ईरान के पूर्व में स्थित आमू नदी के दक्षिण से हिंदूकुश पर्वत के उत्तर में स्थित विस्तृत भू भाग का नाम खुरासान हुआ करता था। खुरासान यानी, सूर्योंदय का इलाका। आईएस-के अपने आतंकी एजेंडे के लिहाज से खुरासान प्रांत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, उत्तर भारत व मध्य एशिया के होने का दावा करता है।

दो कट्टरपंथी सुन्नी आतंकी संगठनों तालिबान और आईएस-के की दुश्मनी, आईएस-के की ताकत और क्षेत्र के भविष्य से जुड़े ज्वलंत सवालों के जवाब दे रही हैं वेस्ट पॉइंट स्थित अमेरिकी सैन्य अकादमी में सहायक प्रोफेसर आमिरा जादोन और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में चरमपंथ के अध्येता एंड्र्यू माइन्स।

कौन है इस्लामिक स्टेट खुरासान?

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) या दाएश नाम के खूंखार आतंकी संगठन का एक क्षेत्रीय गुट है इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएस-के)। आईएस-के को आईएसआईएस के केंद्रीय नेतृत्व से समर्थन है।

  • जनवरी 2015 में अस्तित्व में आने के कुछ ही समय के भीतर इसने उत्तरी व उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया था। इसके बाद इसने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में घातक हमले शुरू कर दिए।
  • 2018 में इसे दुनिया चार शीर्ष खतरनाक आतंकी संगठनों में शुमार किया गया था।
  • 2019 में अमेरिका और अफगान सेना के हमलों के बाद इसके 1,400 से अधिक लड़ाकों ने परिवारों समेत आत्मसमर्पण कर दिया था। तब इस संगठन को खत्म मान लिया गया था।

सहयोगी कौन हैं?

इसकी स्थापना पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के पूर्व सदस्यों ने की थी। इसकी सबसे बड़ी ताकत इन लड़ाकों और कमांडरों की स्थानीय विशेषज्ञता है।

आईएस-के ने नांगरहार के दक्षिणी जिलों में खुद को मजबूत किया। यह तोरा बोरा पहाड़ियों का वही इलाका है, जो अल-कायदा का गढ़ हुआ करता था।

इसे इस्लामिक स्टेट से 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की मदद मिली।

लक्ष्य : इस्लामी राज्य यानी खिलाफत की स्थापना के लिए मध्य और दक्षिण एशिया पर कब्जा करना है।

तरीके : पहला तो यह कि क्षेत्र में पहले मौजूद जिहादी समूहों खुद में मिला ले, या फिर उन्हें हराकर अकेला सबसे बड़ा जिहादी समूह बनकर उभरे। फिलहाल रणनीति यही है कि आतंकी हमलों के जरिये अराजकता और अनिश्चितता पैदा कर दे, ताकि लोगों को अपनी सरकार पर शंका होने लगे।

तालिबान को मानता है रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी

आईएस-के जिहादियों के बीच तालिबान को अफगानिस्तान की सीमाओं तक सीमित सरकार बनाने वाला समूह बताता है। इसके विपरीत आईएस-के वैश्विक स्तर पर खिलाफत का एजेंडा लेकर चल रहा है। अपनी स्थापना के बाद से ही आईएस-के तालिबान के ठिकानों को निशाना बना रहा है। तालिबान ने भी अमेरिकी और अफगानी बलों के सहयोग से आईएसके को बहुत नुकसान पहुंचाया।

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