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संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पांच लाख और अफगान कर सकते हैं पलायन

एजेंसी, जेनेवा
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 28 Aug 2021 04:10 AM IST

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शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग ने कहा है अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां हालात अनिश्चित हैं। हालात के और बिगड़ने के आसार के बीच उच्चायोग ने वहां से पांच लाख से ज्यादा और लोगों के पलायन करने की आशंका जताई है।

शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि इसके साथ ही अन्य देशों में रह रहे अफगान शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 22 लाख हो जाएगी। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान और ईरान में रह रहे हैं। एजेंसी ने कहा है कि पूरे अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा और चुनी हुई सरकार के अपदस्थ होने से वहां के नागरिकों पर गंभीर असर होगा और उनके विस्थापन का कारण बनेगा।

बता दें कि दुनियाभर के देश काबुल में अपना दूतावास खाली कर रहे हैं। सभी देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के मिशन पर हैं। भारत भी अपने नागरिकों की वतन वापसी करा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने और वहां से भारत आने के इच्छुक सिखों और हिंदुओं को शरण देने का निर्देश दिया है। 

अलग-अलग देशों में पनाह ले रहे अफगान नागरिक
अफगान नागरिकों का अपने देश से पलायन जारी है। वे अलग-अलग देशों में पनाह ले रहे हैं। बीते सप्ताह में अब तक कई बड़े अफगानी नेता और सांसद भारत पहुंच चुके हैं। वर्दक के सांसद वहीदुल्लाह कलीमजई, अब्दुल अजीज हकीमी, अब्दुल कादिर जजई, मालेम लाला गुल, अफगानिस्तान के उच्च सदन के वरिष्ठ सलाहकार समेत करीब 12 सांसद और नेताओं ने भारत में शरण ली है। अफगान मुख्य वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला का परिवार वर्तमान में भारत में रहता है और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे अन्य लोग देश में रह चुके हैं और अध्ययन कर चुके हैं।

करीब 30 हजार अफगानी हर रोज छोड़ रहे देश 
ऐसे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए शरणार्थियों का बड़ा संकट पैदा होने वाला है। अमेरिकी मीडिया का अनुमान है कि पिछले दस दिनों के दौरान हर दिन करीब 30 हजार अफगानी देश छोड़ रहे हैं। ज्यादातर लोग पैदल या सड़क मार्ग से होते हुए सीमावर्ती पाकिस्तान, ईरान और अल्बानिया की ओर जा रहे हैं। कुछ लोग भारत की तरफ बढ़ रहे हैं।

विस्तार

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग ने कहा है अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां हालात अनिश्चित हैं। हालात के और बिगड़ने के आसार के बीच उच्चायोग ने वहां से पांच लाख से ज्यादा और लोगों के पलायन करने की आशंका जताई है।

शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि इसके साथ ही अन्य देशों में रह रहे अफगान शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 22 लाख हो जाएगी। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान और ईरान में रह रहे हैं। एजेंसी ने कहा है कि पूरे अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा और चुनी हुई सरकार के अपदस्थ होने से वहां के नागरिकों पर गंभीर असर होगा और उनके विस्थापन का कारण बनेगा।

बता दें कि दुनियाभर के देश काबुल में अपना दूतावास खाली कर रहे हैं। सभी देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के मिशन पर हैं। भारत भी अपने नागरिकों की वतन वापसी करा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने और वहां से भारत आने के इच्छुक सिखों और हिंदुओं को शरण देने का निर्देश दिया है। 

अलग-अलग देशों में पनाह ले रहे अफगान नागरिक

अफगान नागरिकों का अपने देश से पलायन जारी है। वे अलग-अलग देशों में पनाह ले रहे हैं। बीते सप्ताह में अब तक कई बड़े अफगानी नेता और सांसद भारत पहुंच चुके हैं। वर्दक के सांसद वहीदुल्लाह कलीमजई, अब्दुल अजीज हकीमी, अब्दुल कादिर जजई, मालेम लाला गुल, अफगानिस्तान के उच्च सदन के वरिष्ठ सलाहकार समेत करीब 12 सांसद और नेताओं ने भारत में शरण ली है। अफगान मुख्य वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला का परिवार वर्तमान में भारत में रहता है और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे अन्य लोग देश में रह चुके हैं और अध्ययन कर चुके हैं।

करीब 30 हजार अफगानी हर रोज छोड़ रहे देश 

ऐसे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए शरणार्थियों का बड़ा संकट पैदा होने वाला है। अमेरिकी मीडिया का अनुमान है कि पिछले दस दिनों के दौरान हर दिन करीब 30 हजार अफगानी देश छोड़ रहे हैं। ज्यादातर लोग पैदल या सड़क मार्ग से होते हुए सीमावर्ती पाकिस्तान, ईरान और अल्बानिया की ओर जा रहे हैं। कुछ लोग भारत की तरफ बढ़ रहे हैं।

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