न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Mon, 10 Jan 2022 10:50 PM IST
सार
संस्था ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से इस मामले पर 8 मार्च, 2020 और 27 अप्रैल, 2021 को जारी आदेशों को बहाल रखने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : Social Media
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को देशभर में कोविड-19 के मामलों में आई उछाल के मद्देनजर न्यायिक और अर्ध-न्यायिक मंचों के समक्ष मामले दायर करने के लिए समयसीमा में राहत बहाल करने की मांग पर सहमत हो गया। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने इस पर याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश एन नागेश्वर राव और सूर्य कांत की विशेष पीठ ने एससीएओआरए की याचिका पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि सीमा अवधि में छूट के पूर्व के आदेश को बहाल रखा जाए ताकि अदालती मामलों में कानूनी रूप से अनिवार्य अवधि में केस या जवाब दाखिल न करने पर परिणाम न भुगतना पड़े।
संस्था ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से इस मामले पर 8 मार्च, 2020 और 27 अप्रैल, 2021 को जारी आदेशों को बहाल रखने की मांग की थी। एससीएओआरए के अध्यक्ष शिवाजी जाधव ने कहा कि मौजूदा महामारी के दौर में कल तक 1.79 लाख कोरोना के मामले देश में सामने आए जिनमें से 147 लोग मारे गए हैं। इनमें से अकेले दिल्ली में 22,751 मामले सामने आए और 17 लोगों की मौत हो गई। ऐसे में इसमें राहत पर गौर किया जाए।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को देशभर में कोविड-19 के मामलों में आई उछाल के मद्देनजर न्यायिक और अर्ध-न्यायिक मंचों के समक्ष मामले दायर करने के लिए समयसीमा में राहत बहाल करने की मांग पर सहमत हो गया। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने इस पर याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश एन नागेश्वर राव और सूर्य कांत की विशेष पीठ ने एससीएओआरए की याचिका पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि सीमा अवधि में छूट के पूर्व के आदेश को बहाल रखा जाए ताकि अदालती मामलों में कानूनी रूप से अनिवार्य अवधि में केस या जवाब दाखिल न करने पर परिणाम न भुगतना पड़े।
संस्था ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से इस मामले पर 8 मार्च, 2020 और 27 अप्रैल, 2021 को जारी आदेशों को बहाल रखने की मांग की थी। एससीएओआरए के अध्यक्ष शिवाजी जाधव ने कहा कि मौजूदा महामारी के दौर में कल तक 1.79 लाख कोरोना के मामले देश में सामने आए जिनमें से 147 लोग मारे गए हैं। इनमें से अकेले दिल्ली में 22,751 मामले सामने आए और 17 लोगों की मौत हो गई। ऐसे में इसमें राहत पर गौर किया जाए।
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