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Supreme Court: दोहरे हत्याकांड के आरोपी को दी जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट को लगाई फटकार 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 26 Jan 2022 10:54 PM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस फैसले में न तो कारण था और न ही आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में जोरदार दलीलें मानी गईं। 

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सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई कारण बताए जमानत देने के लिए पटना हाई कोर्ट को फटकार लगाई और हत्या के आरोपी को तुरंत वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हुए इसे रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आदेश यांत्रिक रूप से और अनमने तरीके से पारित किया गया था। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सोमवार को पारित फैसले में हाई कोर्ट के जमानत आदेश का हवाला दिया और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि इसमें न तो कारण थे और न ही आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में जोरदार दलीलें मानी गईं। 

बिना कारण बताए दे दी जमानत 
फैसले में कहा गया कि हाई कोर्ट द्वारा पारित किए गए निर्णय और आदेश में यह देखा जा सकता है कि प्रतिवादी संख्या 2 को जमानत पर रिहा करते समय उच्च न्यायालय द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया है। न ही हाई कोर्ट ने अभियुक्तों के खिलाफ अपराधों की प्रकृति और गंभीरता पर विचार किया। ऐसा लगता है कि हाई कोर्ट ने यांत्रिक और अनमने तरीके से आदेश पारित कर दिया। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने के लिए प्रासंगिक विचारों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा है। जमानत देते समय कई बातें देखी जाती हैं, पहला- गंभीरता की प्रकृति, दूसरा साक्ष्य की प्रकृति और परिस्थितियां जो अभियुक्त के लिए विशिष्ट हैं, तीसरा अभियुक्त के भागने की संभावना, चौथा उसकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के गवाहों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसका समाज पर प्रभाव और पांचवां केस के साथ छेड़छाड़ की संभावना। 

पिता-बेटे की हत्या का आरोप
कानूनी सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि जमानत आदेश में इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया है कि आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर है और उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। वह याचिकाकर्ता के पिता और भाई की हत्या के दोहरे हत्याकांड में शामिल है। इन मामलों की सुनवाई साक्ष्य दर्ज करने के महत्वपूर्ण चरण में है।
 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई कारण बताए जमानत देने के लिए पटना हाई कोर्ट को फटकार लगाई और हत्या के आरोपी को तुरंत वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हुए इसे रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आदेश यांत्रिक रूप से और अनमने तरीके से पारित किया गया था। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सोमवार को पारित फैसले में हाई कोर्ट के जमानत आदेश का हवाला दिया और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि इसमें न तो कारण थे और न ही आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में जोरदार दलीलें मानी गईं। 

बिना कारण बताए दे दी जमानत 

फैसले में कहा गया कि हाई कोर्ट द्वारा पारित किए गए निर्णय और आदेश में यह देखा जा सकता है कि प्रतिवादी संख्या 2 को जमानत पर रिहा करते समय उच्च न्यायालय द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया है। न ही हाई कोर्ट ने अभियुक्तों के खिलाफ अपराधों की प्रकृति और गंभीरता पर विचार किया। ऐसा लगता है कि हाई कोर्ट ने यांत्रिक और अनमने तरीके से आदेश पारित कर दिया। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने के लिए प्रासंगिक विचारों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा है। जमानत देते समय कई बातें देखी जाती हैं, पहला- गंभीरता की प्रकृति, दूसरा साक्ष्य की प्रकृति और परिस्थितियां जो अभियुक्त के लिए विशिष्ट हैं, तीसरा अभियुक्त के भागने की संभावना, चौथा उसकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के गवाहों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसका समाज पर प्रभाव और पांचवां केस के साथ छेड़छाड़ की संभावना। 

पिता-बेटे की हत्या का आरोप

कानूनी सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि जमानत आदेश में इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया है कि आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर है और उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। वह याचिकाकर्ता के पिता और भाई की हत्या के दोहरे हत्याकांड में शामिल है। इन मामलों की सुनवाई साक्ष्य दर्ज करने के महत्वपूर्ण चरण में है।

 

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