अल्लू अर्जुन
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
अल्लू अर्जुन सिनेमा की किंवदंती बन चुके हैं। एक बहुत कामयाब फिल्म निर्माता के बेटे अल्लू अर्जुन ने अभिनय तो बहुत छोटेपन से ही शुरू कर दिया था पर हीरो वह फिल्म ‘गोपी’ से बने। उनकी फिल्मों ने ही न्यू मिलिनेयल्स को दक्षिण की लार्जर दैन लाइफ फिल्मों का चस्का लगाया। यूट्यूब और सैटेलाइट चैनलों पर उनकी फिल्में दुनिया में सबसे ज्यादा देखी गई फिल्में बन चुकी हैं। ये भी रोचक है कि ओटीटी पर रिलीज होने के बाद भी दर्शक उनकी फिल्म ‘पुष्पा पार्ट 1’ देखने अब भी लगातार सिनेमाघरों तक आ रहे हैं। ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने अल्लू अर्जुन से हैदराबाद में ये खास मुलाकात की और उनसे भारतीय सिनेमा के बदलते परिदृश्य, हिंदी सिनेमा में उनकी पारी और उनकी आने वाली फिल्मों के बारे में विस्तार से बात की। इसके कुछ अंश आप अमर उजाला अखबार में पढ़ चुके हैं। यहां प्रस्तुत है अल्लू अर्जुन का समग्र इंटरव्यू:
पुष्पा
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
तो ‘पुष्पा पार्ट 1’ से वह हासिल हो गया जो आप चाहते थे, तगड़ी कमाई, तमाम भाषाओं में धमक और अलग अलग राज्यों के बीच चमक? जाहिर है ये आनंद के पल हैं..
ये बहुत शानदार रहा है। मेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद रहा है और वह है ज्यादा से ज्यादा दर्शकों का मनोरंजन करना। मेरे दर्शकों का जितना विस्तार हो सके, उतना ही ये और आनंददायक होता जाता है। और, एक कलाकार के तौर पर हर कोई यही चाहता है कि वह विशाल और विस्तृत क्षेत्रों के दर्शकों का मनोरंजन कर सके। मैं इस बात से खुश हूं कि मैं पहले से कहीं ज्यादा लोगों के बीच तक पहुंच सका।
अल्लू अर्जुन
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
आप हिंदी में सहज रहते हैं, बात करने में?
हां, थोड़ा थोड़ा।
पुष्पा
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
‘पुष्पा पार्ट 1’ हिंदी में आपकी थिएटर में रिलीज हुई पहली फिल्म है। दर्शक के तौर पर मेरा ध्यान आपकी फिल्मों की तरफ कोई छह सात साल पहले जाना शुरू हुआ। मैंने ‘सन ऑफ सत्यमूर्ति’ देखी, ‘सर्रयैनोडू’ और ‘डीजे’ जैसी फिल्में देखी हैं। ये वही समय है जब आपकी फिल्मों ने यूट्यूब और टीवी चैनलों हंगामा करना शुरू किया? शायद ‘पुष्पा पार्ट वन’ की कहानी इसी में छुपी है।
हां, जरूर, जरूर, जरूर। मुझे भी क्या लगा कि इतने सारे लोग हैं जो मुझे यूट्यूब और सैटेलाइन चैनलों पर देख रहे हैं। मैं इन सबके बारे में सोचता रहता था। फिर अगर सोशल मीडिया पर इनकी प्रतिक्रियाओं देखों तो वे भी निराली हैं। मैं उत्तर भारत के भ्रमण पर जाता तो वहां भी देखता कि एक धड़कन तो है। वे लोग भी पूछते रहते थे कि आप अपनी फिल्में हिंदी में सिनेमाघरों में रिलीज क्यों नहीं करते। और, हां, यही वजह है कि हमने ‘पुष्पा पार्ट 1’ को हिंदी में सिनेमाघरों में रिलीज किया। हम ये प्रयोग पहले ‘अला वैकुंठपुरमुलू’ के साथ करना चाहते थे लेकिन मुझे इस फिल्म की श्रेणी को लेकर भरोसा नहीं था कि ये हिंदी में काम करेगी या नहीं, फिर मुझे लगा कि हिंदी मार्केट में लॉन्च होने के लिए ‘पुष्पा’ एक बेहतर श्रेणी की फिल्म रहेगी।
अला वैकुंठपुरमुलू
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
ऐसा इसलिए कि इस फिल्म में लोकरुचि के बेहतर अवयव हैं?
मेरे हिसाब से इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने के लक्षण हैं। इसको बनाने का तरीका बेहतर और अधिक वैश्विक है। ‘अला वैकुंठपुरमुलू’ बहुत तेलुगु केंद्रित फिल्म है। और, इसे बनाया ही बहुत तेलुगु केंद्रित तरीके से गया था। ‘पुष्पा पार्ट 1’ को भी तेलुगु केंद्रित फिल्म के तौर पर ही बनाया गया है लेकिन इसका आकर्षण ऐसा रखा गया कि ये हर क्षेत्र के लोगों को पसंद आ सके।