हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। बसौड़ा शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्योहार है। मां शीतला को आरोग्य प्रदान करने वाली देवी बताया गया है। साथ ही माता शीतला की पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है। अगर आप भी माता की कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो शीतला अष्टमी के दिन शीतलाष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें। पौराणिक मान्यता है कि इसकी रचना भगवान शंकर ने जनकल्याण के लिए की थी। इसमें शीतला देवी की महिमा का गुणगान किया गया है। कहा जाता है कि यदि व्यक्ति रोजाना इस स्तोत्र का पाठ करे, तो उस पर हमेशा माता शीतला की कृपा बनी रहती है। अगर आप रोजाना नहीं कर सकते तो शीतला अष्टमी के दिन जरूर करें। इससे आपके सारे कष्ट दूर होने लगेंगे।
शीतलाष्टक स्तोत्र
ॐ श्रीगणेशाय नमः, ॐ श्री शीतलायै नम:
विनियोग
ॐ अस्य श्रीशीतला स्तोत्रस्य महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शीतली देवता, लक्ष्मी बीजम्, भवानी शक्तिः, सर्वविस्फोटक निवृत्तये जपे विनियोगः
ऋष्यादि-न्यास
श्रीमहादेव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीशीतला देवतायै नमः हृदि, लक्ष्मी (श्री) बीजाय नमः गुह्ये, भवानी शक्तये नमः पादयो, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।
ध्यान
ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम्, मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम्।
मानस-पूजन
ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः ॐ वं जल-तत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः
मंत्र
इस मंत्र को 11 बार बोलें-
ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः