बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 15 Feb 2022 11:03 AM IST
सार
Crude Oil Price May Cross 100 Dollar: रूस और यूक्रेन के बीच जारी मुद्दों के चलते पहले ही क्रूड ऑयल की कीमत आसमान छू रही है। कच्चे तेल की कीमतें 96.3 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर को छू गई हैं जो कि 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों की मानें तो जल्द ही ये 100 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा भी पार कर जाएंगी।
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विस्तार
तेल-गैस सप्लाई पर पड़ेगा असर
गौरतलब है कि रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है और क्रूड ऑयल उत्पादन में भी इसका हिस्सा काफी ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, रूस वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी उत्पादन करता है। दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के कारण जाहिर है कि क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस की सप्लाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ईंधन की कीमतों में आग लग जाएगी। बता दें कि यूरोप की निर्भरता रूस पर अधिक है। यूरोप में 40 फीसदी से ज्यादा गैस रूस से ही आती है। इसका सीधा असर आम आदमी पर होगा। युद्ध की आहट के बढ़ी चिंताओं का असर पहले से ही क्रूड ऑयल के दामों के साथ-साथ शेयर बाजारों पर भी दिख रहा है। भारतीय शेयर बाजार में भी बीते दिनों से भारी गिरावट देखने को मिली है।
क्रूड ऑयल सात साल के शिखर पर
रूस और यूक्रेन के बीच जारी मुद्दों के चलते पहले ही क्रूड ऑयल की कीमत आसमान छू रही है। कच्चे तेल की कीमतें 96.3 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर को छू गई हैं जो कि 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों की मानें तो जल्द ही ये 100 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा भी पार कर जाएंगी। सोमवार को वैश्विक तेल बाजार में करीब 2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। वहीं, यूरोपीय नेचुरल गैस की कीमतों में भी लगभग छह फीसदी की वृद्धि हुई। बता दें कि रूस विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उत्पादक है। यूरोप के देश 20 फीसदी से ज्यादा तेल रूस से ही लेते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कॉपर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है। यानी युद्ध की शुरुआत होने के साथ यूरोपीय देशों के लिए कई तरह की दिक्कतें खड़ी होने वाली हैं।
आपूर्ति न होने से बिगडेंगे हालात
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होता है तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। नेचुरल गैस की सप्लाई प्रभावित होने से बुरा प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों की मानें तो इसमें व्यवधान पैदा होने के कारण देशों को बिजली उत्पादन में भारी कटौती करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन की जंग से तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी और महंगाई अपने चरम पर पहुंच सकती है। भारत में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। बता दें कि फिलहाल मांग के अनुरूप आपूर्ति न होने के कारण तेल की कीमतें बढ़ रही हैं और युद्ध की स्थिति में तय है कि क्रूड ऑयल की कीमतें और तेजी से बढ़ेंगी यहां तक कि 100 डॉलर के पार पहुंच जाएंगी।
निवेशकों की धारणाओं पर असर
युद्ध हर क्षेत्र को प्रभावित करता है और रूस-यूक्रेन के बीच जो हालात बने हुए हैं उनका असर वैश्विक बाजारों पर साफतौर पर दिखने लगा है। युद्ध के दौरान सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण शेयर बाजारों में और गिरावट आने की संभावना है। युद्ध के माहौल में निवेशकों की धारणाएं प्रभावित होंगी और शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है। निवेशकों को इस बात का भी डर सता रहा है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ी तो इसकी आंच केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यूरोप पर इसका सीधा असर होगा। इतना ही नहीं इस तरह का कोई भी टकराव अमेरिका और रूस जैसी सैन्य महाशक्तियों को भी आमने-सामने ला सकता है। अगर ऐसा होता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी।