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Mini Moon: अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन की बड़ी छलांग, सूर्य के बाद अब बनाया 'कृत्रिम चंद्रमा', जानिए इसके बारे में सब कुछ

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सार

धरती पर ही चंद्रमा पर अध्ययन को और बेहतर करने के उद्देश्य से चीन ने एक कृत्रिम चंद्रमा का निर्माण किया है। इससे पहले चीन कृत्रिम सूर्य का निर्माण भी कर चुका है।

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21वीं सदी में साल 2021 चीन के लिए अब तक का सबसे सफल साल रहा। इस दौरान चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने सफलता के कई नए आयाम छुए। चीन ने धरती पर ही एक कृत्रिम सूर्य बनाने के बाद अब एक कृत्रिम चंद्रमा का निर्माण किया है। इस कृत्रिम चंद्रमा के माध्यम से वैज्ञानिक वहां के वातावरण की स्थितियों और पर्यावरण के हिसाब से नए उपकरणों की जांच और भविष्य के अभियानों की तैयारी कर सकेंगे।

गियांगसू प्रांत के पूर्वी शहर शुझोउ में स्थित कृत्रिम चंद्रमा का ‘अपनी तरह का पहला’ केंद्र गुरुत्वाकर्षण बल को समाप्त कर देगा। यह केंद्र इच्छानुसार अवधि तक कम गुरुत्वाकर्षण का वातावरण बनाए रख सकता है। इससे चीन की अंतरिक्षयात्रियों के शून्य गुरुत्वाकर्षण प्रशिणक्ष पर अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी। इसके साथ ही वह नए रोवर और प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने में भी अधिक सक्षम होगा।

कई परीक्षणों को अंजाम देने में मिलेगी बड़ी सहायता
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम की अगुवाई करने वाले चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के ली रुइलिन का कहना है कि एक विमान या ड्रॉप टावर में कम गुरुत्वाकर्षण की स्थिति बनाई जा सकती है लेकिन यह स्थिति बहुत कम समय के लिए होती है। जबकि इस कृत्रिम चंद्रमा के सिम्युलेटर में कम गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव इच्छानुसार अवधि तक बनाए रखा जा सकता है। 

इस वैज्ञानिक के प्रयोगों पर आधारित है यह कार्यक्रम
ली ने कहा कि इंपैक्ट टेस्ट जैसे कुछ परीक्षणों में ऐसी स्थिति का आवश्यकता कुछ सेकंड के लिए ही होती है लेकिन अन्य कई परीक्षण ऐसे हैं जिनके लिए ऐसी स्थिति की कई दिनों तक जरूरत होती है। बता दें कि इस विचार की उत्पत्ति रूस में जन्मे फिजिसिस्ट आंद्रे गीम के प्रयोगों से जुड़ी है जिन्होंने एक चुंबक की सहायता से एक मेढक को हवा में स्थित किया था। इस प्रयोग के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार भी मिला था।

आकार में दो फीट व्यास का है चीन का कृत्रिम चंद्रमा
जानकारी के अनुसार इस कृत्रिम चंद्रमा या ‘मिनी मून’ का व्यास लगभग दो फीट है। इसकी कृत्रिम सतह वैसी चट्टानों और धूल से बनाई गई है जो उतनी ही हल्की हैं जितनी चंद्रमा पर होती हैं। यहां हम आपको बता दें कि चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल शूल्य नहीं है। यहां गुरुत्वाकर्षण बल धरती के मुकाबले 1/6 है। चंद्रमा धरती का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और गुरुत्वाकर्षण बल में अंतर चुंबकीय क्षेत्र की वजह से होता है।

बहुत महात्वाकांक्षी हैं चीन की अंतरिक्ष संबंधी योजनाएं
चीन अपने चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के चौथे चरण का पूरा करने वाला है। इस कार्यक्रम के तहत भविष्य के चेंज-6, चेंज-7 और चेंज-8 अभियानों के जरिए चंद्रमा पर शोध केंद्र स्थापित करने की संभावनाएं तलाश की जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस महात्वाकांक्षी कार्यक्रम में चीन की यह नई उपलब्धि महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। चीन की योजना चेंज-7 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए लॉन्च करने की है।

विस्तार

21वीं सदी में साल 2021 चीन के लिए अब तक का सबसे सफल साल रहा। इस दौरान चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने सफलता के कई नए आयाम छुए। चीन ने धरती पर ही एक कृत्रिम सूर्य बनाने के बाद अब एक कृत्रिम चंद्रमा का निर्माण किया है। इस कृत्रिम चंद्रमा के माध्यम से वैज्ञानिक वहां के वातावरण की स्थितियों और पर्यावरण के हिसाब से नए उपकरणों की जांच और भविष्य के अभियानों की तैयारी कर सकेंगे।

गियांगसू प्रांत के पूर्वी शहर शुझोउ में स्थित कृत्रिम चंद्रमा का ‘अपनी तरह का पहला’ केंद्र गुरुत्वाकर्षण बल को समाप्त कर देगा। यह केंद्र इच्छानुसार अवधि तक कम गुरुत्वाकर्षण का वातावरण बनाए रख सकता है। इससे चीन की अंतरिक्षयात्रियों के शून्य गुरुत्वाकर्षण प्रशिणक्ष पर अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी। इसके साथ ही वह नए रोवर और प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने में भी अधिक सक्षम होगा।

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