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Kumbh Sankranti 2022: कुंभ संक्रांति आज, सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए करें ये आसान उपाय

Kumbh Sankranti 2022: कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है।  

ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Sun, 13 Feb 2022 02:21 PM IST

सार

Kumbh Sankranti 2022: कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है।  कुंभ संक्रांति के दौरान गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है।  कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है।

Kumbh Sankranti 2022: कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है।  
– फोटो : अमर उजाला

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Kumbh Sankranti 2022:  आज कुंभ संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में विचरण करता है। जब ये ग्रह एक से दूसरी राशि में जाता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। जिस राशि में सूर्य आता है उसी के नाम से संक्रांति होती है। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही इस दिन स्नान-दान जैसे शुभ काम करने की भी परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है।  कुंभ संक्रांति के दौरान गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है।  कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति के मुहूर्त और उपाय के बारे में। 

कुंभ संक्रांति 2022 मुहूर्त
कुंभ संक्रांति आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 03:41 बजे 
पुण्यकाल  आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 मिनट से 
पुण्यकाल समाप्त: 13 फरवरी, रविवार, दोपहर12:35 मिनट पर. 
महापुण्यकाल: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 बजे से प्रातः 08:53 तक

कुंभ संक्रांति पर इन उपायों से दूर होगी दरिद्रता 

  • कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान और दान पुण्य करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। 
  • सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने और मंत्र जाप आदि से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
  • गरीबों को या किसी ब्राह्मण को दान में गेहूं, तांबा, कंबल, गरम कपड़े, लाल वस्त्र या लाल फूल का दान देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और दोष दूर होता है। 
  • संक्रांति के अवसर सूर्योदय पूर्व स्नान करने से पाप मिटते हैं और दरिद्रता दूर होती है। जो लोग संक्रांति पर स्नान करते हैं, उनको ब्रह्म लोक में स्थान प्राप्त होता है। 

कुंभ संक्रांति पर करें सूर्य देव की पूजा
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य को ग्रहों का देवता और आत्मा का कारक माना जाता है। लिहाजा सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश यानी कुंभ संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों या कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही उनकी विधि-विधान से पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पूजा के बाद सूर्य भगवान की आरती और स्तुति करना भी शुभ होता है।  इसके अलावा सूर्य चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है। इससे सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है। 

विस्तार

Kumbh Sankranti 2022:  आज कुंभ संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में विचरण करता है। जब ये ग्रह एक से दूसरी राशि में जाता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। जिस राशि में सूर्य आता है उसी के नाम से संक्रांति होती है। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही इस दिन स्नान-दान जैसे शुभ काम करने की भी परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है।  कुंभ संक्रांति के दौरान गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है।  कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति के मुहूर्त और उपाय के बारे में। 

कुंभ संक्रांति 2022 मुहूर्त

कुंभ संक्रांति आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 03:41 बजे 

पुण्यकाल  आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 मिनट से 

पुण्यकाल समाप्त: 13 फरवरी, रविवार, दोपहर12:35 मिनट पर. 

महापुण्यकाल: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 बजे से प्रातः 08:53 तक

कुंभ संक्रांति पर इन उपायों से दूर होगी दरिद्रता 

  • कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान और दान पुण्य करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। 
  • सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने और मंत्र जाप आदि से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
  • गरीबों को या किसी ब्राह्मण को दान में गेहूं, तांबा, कंबल, गरम कपड़े, लाल वस्त्र या लाल फूल का दान देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और दोष दूर होता है। 
  • संक्रांति के अवसर सूर्योदय पूर्व स्नान करने से पाप मिटते हैं और दरिद्रता दूर होती है। जो लोग संक्रांति पर स्नान करते हैं, उनको ब्रह्म लोक में स्थान प्राप्त होता है। 


कुंभ संक्रांति पर करें सूर्य देव की पूजा

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य को ग्रहों का देवता और आत्मा का कारक माना जाता है। लिहाजा सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश यानी कुंभ संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों या कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही उनकी विधि-विधान से पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पूजा के बाद सूर्य भगवान की आरती और स्तुति करना भी शुभ होता है।  इसके अलावा सूर्य चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है। इससे सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है। 

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