Kala Ghoda Art Festival
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
फरवरी का महीना मुंबई के युवाओं के लिए कुछ खास ही होता है। इस महीने देश भर के युवा जुटते हं एक नई उड़ान के लिए जहां वह अपनी चाहत को लगाकर खुशियों के पंख खो जाते हैं काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की गलियों में। इस मेले में रंगमंच होता है, डांस होता है और होता है संस्कृति व कला का अनोखा मेल। साथ में गीत संगीत और ढेर सारी मस्ती तो होती ही है। एक ही जगह बिखरे इन लाखों रंगों में में सराबोर होने के लिए लोग महीनों तक इंतजार करते रहते हैं। काला घोड़ा की पथरीली सड़कें फिर से इस महोत्सव के लिए चकाचौंध होने जा रही हैं। कोरोना काल में जो गलियां बेजान पड़ी थीं, अब दम भरने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से थम गई थी तब काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल ने बिना रुके नौ दिनों में 70 ऑनलाइन प्रोग्राम के जरिये डिजिटल की दुनिया में सफलतापूर्वक दस्तक दी थी। इस बार नौ दिन तक होने वाले काला घोड़ा कार्निवाल की रौनक इन खूबसूरत लोकेशन पर होगी जो 100 साल पुरानी पाम्परिक बिल्डिंग तो हैं लेकिन उनकी खूबसूरती बेमिसाल हैं।
इनमें शामिल हैं, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय जहां पर बच्चों का म्यूज़ियम हैं। कुमरास्वामी हॉल, एम्पिथेटर, वहां का लॉन और कुछ बाहरी सुंदर नजारें। मैक्स मूएलर भवन, जहां पर कला और वास्तुकारी का अनोखा नजारा देखने मिलता हैं। एनजीएमए ऑडिटोरिम, हॉर्निम सर्कल गार्डन, किताब खाना और काला घोड़ा की गलियां। चूंकि इस साल गलियां तो खुली होगी लेकिन महामारी से बचाव हो इसीलिए कम से कम दुकानें लगेंगी ज्यादातर उनमें एरियल विजुअल आर्ट यानी हवाई कला दृश्य का नजारा देखने मिलेगा जो इस बार काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की थीम ‘उड़ान’ को भी प्रस्तुत करेगा।
इस बार कोविड के नियमों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी का पालन करना यहां आने वालों के लिए जरूरी होगा। साथ ही हर आगंतुक को पंजीकरण कराने के साथ ही दोहरे टीकाकरण का प्रमाणपत्र भी दिखाना होगा। बच्चों को अपने परिवार के साथ रहना अनिवार्य होगा। साथ ही आरोग्य सेतु एप की भी जांच होगी। हर साल की तरह सारे कार्यक्रम इस बार भी निशुल्क ही किए जाएंगे। इस बारे में काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की निदेशक बृंदा मिलर कहती हैं, ‘मुम्बई में काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल अपने निर्धारित तारीख पर और वादे को पूरा करने के लिए तैयार हैं। इस 23 वें साल में हम कला और संस्कृति के इस बेजोड़ संगम को सबसे उत्कृष्ट रूप में मनाएंगे।’
फरवरी का महीना मुंबई के युवाओं के लिए कुछ खास ही होता है। इस महीने देश भर के युवा जुटते हं एक नई उड़ान के लिए जहां वह अपनी चाहत को लगाकर खुशियों के पंख खो जाते हैं काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की गलियों में। इस मेले में रंगमंच होता है, डांस होता है और होता है संस्कृति व कला का अनोखा मेल। साथ में गीत संगीत और ढेर सारी मस्ती तो होती ही है। एक ही जगह बिखरे इन लाखों रंगों में में सराबोर होने के लिए लोग महीनों तक इंतजार करते रहते हैं। काला घोड़ा की पथरीली सड़कें फिर से इस महोत्सव के लिए चकाचौंध होने जा रही हैं। कोरोना काल में जो गलियां बेजान पड़ी थीं, अब दम भरने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से थम गई थी तब काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल ने बिना रुके नौ दिनों में 70 ऑनलाइन प्रोग्राम के जरिये डिजिटल की दुनिया में सफलतापूर्वक दस्तक दी थी। इस बार नौ दिन तक होने वाले काला घोड़ा कार्निवाल की रौनक इन खूबसूरत लोकेशन पर होगी जो 100 साल पुरानी पाम्परिक बिल्डिंग तो हैं लेकिन उनकी खूबसूरती बेमिसाल हैं।
इनमें शामिल हैं, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय जहां पर बच्चों का म्यूज़ियम हैं। कुमरास्वामी हॉल, एम्पिथेटर, वहां का लॉन और कुछ बाहरी सुंदर नजारें। मैक्स मूएलर भवन, जहां पर कला और वास्तुकारी का अनोखा नजारा देखने मिलता हैं। एनजीएमए ऑडिटोरिम, हॉर्निम सर्कल गार्डन, किताब खाना और काला घोड़ा की गलियां। चूंकि इस साल गलियां तो खुली होगी लेकिन महामारी से बचाव हो इसीलिए कम से कम दुकानें लगेंगी ज्यादातर उनमें एरियल विजुअल आर्ट यानी हवाई कला दृश्य का नजारा देखने मिलेगा जो इस बार काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की थीम ‘उड़ान’ को भी प्रस्तुत करेगा।
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