सार
भवन की दिशा का चयन हमेशा अपने कुंडली के लग्नेश के दिशा अनुसार करना चाहिए। अगर आपके कुंडली के लग्न स्वामी का दिशा पश्चिम है और आप पूर्व दिशा के भवन का चयन करते है इस स्थिति में आपको हानि ही होगी।
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विस्तार
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है उसका अपना मकान हो और वह अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक उस मकान में निवास कर सके। अक्सर लोग जब भी घर खरीदने का विचार करते हैं तो वास्तुशास्त्र का भी ध्यान रखते हैं। आज कल वास्तु को लेकर लोगो में इतनी जागरूकता है कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसका भवन वास्तु अनुरूप हो जो उसके लिए कल्याणकारी रहे। वास्तु में एक आम धारणा है कि पूर्व दिशा का भवन अत्यंत शुभ रहता है, लेकिन कई बार यही पूर्व दिशा का भवन आपको हानि पहुंचाना आरंभ करता है। कई बार लोगों के जीवन में अचानक धन हानि या कोई दुर्घटना या घर के वरिष्ठ व्यक्ति की तबियत खराब रहने लगती है। कई बार पूर्व दिशा का मकान होते हुए भी आपके व्यापार में हानि होना आरंभ हो जाती है, यहां तक कि पति-पत्नी का अनबन या संबंध विच्छेद तक हो जाता है। कारण यह है कि अगर आपकी कुंडली पूर्व दिशा के अनुसार नहीं है तो आपको कभी भी पूर्व दिशा का भवन फलित नहीं होगा।
ऐसे करें भवन की दिशा का चयन
- दिशा का चयन हमेशा अपने कुंडली के लग्नेश के दिशा अनुसार करना चाहिए। अगर आपके कुंडली के लग्न स्वामी का दिशा पश्चिम है और आप पूर्व दिशा के भवन का चयन करते है इस स्थिति में आपको हानि ही होगी। आपके भवन की दिशा आपकी कुंडली से तय हो तो कल्याणकारी रहेगा।
- वेदो में हर दिशा का अपना ग्रह स्वामी होता है, वैसे ही हर व्यक्ति का एक ग्रह स्वामी होता है। जब आप नया मकान लेते हैं तब अपनी कुंडली के अनुसार अपनी दिशा तय कीजिए।
- यदि आपकी कुंडली नहीं है तो अपनी पत्नी के कुंडली के अनुसार या बच्चोे की कुंडली के अनुसार दिशा तय करनी चाहिए।
- जब तक ग्रहों का दिशा से तालमेल नहीं होगा तब तक उपयुक्त वास्तु होने के पश्चात भी आपको वास्तु का उचित परिणाम नहीं प्राप्त होगा बल्कि अनिष्ट की संभावना प्रबल रहती है।