सार
पिछले चार साल में लॉन्च हुए 72% आईफोन को iOS 15 का अपडेट मिल चुका है। iOS 14 महज 25 फीसदी फोन में ही है और 2% फोन में इससे पुराने वर्जन हैं।
स्मार्टफोन मार्केट में इस वक्त दो ही ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन का कब्जा है। पहला एपल के आईओएस है और दूसरा गूगल का एंड्रॉयड ओएस है। आईओएस वाले आईफोन साल में एक ही बार लॉन्च होते हैं, जबकि एंड्रॉयड ओएस वाले फोन हर दिन लॉन्च हो रहे हैं, लेकिन जब अपने फोन को अपडेट देने की बात आती है तो उसमें एपल बाजी मार ले जाता है। अपने आईफोन को अपडेट देने के मामले में एपल, गूगल के मुकाबले बहुत आगे है। अब यहां सवाल यह है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है, मोबाइल कंपनियां या गूगल? आए जानते हैं…
एपल के डाटा के मुताबिक पिछले चार साल में लॉन्च हुए 72% आईफोन को iOS 15 का अपडेट मिल चुका है। iOS 14 महज 25 फीसदी फोन में ही है और 2% फोन में इससे पुराने वर्जन हैं। वहीं चार साल से पुराने 63% आईफोन को भी iOS 15 का अपडेट मिल चुका है। 30% आईफोन iOS 14 पर और 7% पुराने वर्जन पर काम कर रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो पांच साल पहले लॉन्च हुए आईफोन को भी आईओएस 15 का अपडेट मिल चुका है।
Google ने अब एंड्रॉयड के लेटेस्ट वर्जन पर काम करने वाले फोन का डाटा जारी करना बंद कर दिया है। पिछले साल नवंबर में गूगल ने कहा था कि उसका सबसे लोकप्रिय एंड्रॉयड ओएस Android 12 है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक एंड्रॉयड 12 के लॉन्च होने के बाद भी 26.5% एंड्रॉयड फोन में एंड्रॉयड 10 है जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था।
Android 11 वाले फोन की संख्या भी महज 24.2% ही है। Android 12 वाले कितने फोन हैं, यह फिलहाल एक राज ही है, हालांकि कुछ कंपनियों ने अपने फोन के लिए Android 12 का अपडेट देना शुरू कर दिया है। आपको जानकार हैरानी होगी कि अभी भी 18.2% फोन Android 9 Pie पर काम कर रहे हैं और 13.7% फोन में अभी भी Android 8 Oreo है।
इन आंकड़ों से ही साफ हो गया है कि आज भी लोग एंड्रॉयड फोन के मुकाबले आईफोन पर भरोसा क्यों करते हैं। एपल ने पांच साल पुराने फोन को भी लेटेस्ट अपडेट दे दिया है, जबकि एंड्रॉयड फोन वाले आज भी चार साल पुराने ओएस से गुजारा कर रहे हैं। एंड्रॉयड फोन की सिक्योरिटी भी इसीलिए खतरे में रहती है।
एपल अपनी डिवाइस के लिए खुद ही अपडेट जारी करता है, जबकि गूगल के साथ ऐसा नहीं है। गूगल सिर्फ अपने पिक्सल फोन के लिए ही सीधे तौर पर एंड्रॉयड अपडेट जारी करता है। इसके अलावा स्टॉक एंड्रॉयड वाले फोन को भी डायरेक्ट अपडेट मिलता है। जब बात कस्टमाइज एंड्रॉयड वर्जन की आती है तब मामला बिगड़ता है।
दरअसल गूगल एंड्रॉयड का लेटेस्ट अपडेट अपनी ओर से समय पर जारी कर देता है, लेकिन स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां इसे ग्राहकों तक पहुंचाने में देरी करती हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि जिन फोन में स्टॉक एंड्रॉयड (नोकिया, मोटोरोला) होता है, उन्हें अधिक अपडेट मिलता है। गूगल से अपडेट मिलने के बाद फोन कंपनियां अपने ओएस को कस्टमाइज करती हैं और फिर अपनी सुविधानुसार, अपने सर्वर की क्षमता के मुताबिक अपडेट जारी करती हैं, जिसकी वजह से एंड्रॉयड यूजर्स को समय पर अपडेट नहीं मिल पाता है।
विस्तार
स्मार्टफोन मार्केट में इस वक्त दो ही ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन का कब्जा है। पहला एपल के आईओएस है और दूसरा गूगल का एंड्रॉयड ओएस है। आईओएस वाले आईफोन साल में एक ही बार लॉन्च होते हैं, जबकि एंड्रॉयड ओएस वाले फोन हर दिन लॉन्च हो रहे हैं, लेकिन जब अपने फोन को अपडेट देने की बात आती है तो उसमें एपल बाजी मार ले जाता है। अपने आईफोन को अपडेट देने के मामले में एपल, गूगल के मुकाबले बहुत आगे है। अब यहां सवाल यह है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है, मोबाइल कंपनियां या गूगल? आए जानते हैं…
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