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Budget 2022: क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने की ये है योजना, सरकार की तैयारी को इस तरह समझें

Budget 2022: क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने की ये है योजना, सरकार की तैयारी को इस तरह समझें

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 15 Jan 2022 10:36 AM IST

सार

Union Budget 2022: साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी में जमकर निवेश हुआ और भारत में भी क्रिप्टो निवेशकों की संख्या में तेज इजाफा देखा गया। यही कारण है कि सरकार को क्रिप्टो को लेकर गहन विचार-विमर्श करते हुए एक बिल तैयार करना पड़ा। हालांकि, यह संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं हो सकता। अब लोगों को बजट 2022 में डिजिटल करेंसी को लेकर किसी बड़े एलान की उम्मीद है।

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साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी में जमकर निवेश हुआ और भारत में भी क्रिप्टो निवेशकों की संख्या में तेज इजाफा देखा गया। यही कारण है कि सरकार को क्रिप्टो को लेकर गहन विचार-विमर्श करते हुए एक बिल तैयार करना पड़ा। हालांकि, यह संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं हो सकता। अब लोगों को बजट 2022 में डिजिटल करेंसी को लेकर किसी बड़े एलान की उम्मीद है। इस बीच विशेषज्ञों की मानें तो संभावना बन रही है कि बजट के दौरान सरकार क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर भारी-भरकम टैक्स लगा सकती है। 

1 फरवरी को पेश किया जाएगा बजट
देश के आम करदाताओं, कारोबारी-व्यापारियों के साथ ही भारतीय क्रिप्टो निवेशक भी बजट 2022 का बेसब्री के साथ इंतजार कर रहा है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी इस बजट में कुछ घोषणाएं की जाना संभव है। इस संबंध में आई रिपोर्टों की मानें तो केद्र सरकार फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विभिन्न कर विशेषज्ञों की सलाह ले रही है। दरसअल, सरकार अब क्रिप्टोकरेंसी में निवेश अथवा ट्रेडिंग से होने वाली आय पर टैक्स को साफतौर पर परिभाषित करना चाहती है। वह इस बात पर विचार-विमर्श कर रही है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय को कारोबारी आय  या कैपिटल गेन के तौर पर देखा जा सकता है।

क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों पर बढ़ सकता है बोझ
गौरतलब है कि प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी बिल में क्रिप्टोकरेंसी को एक कमोडिटी के तौर पर मानने और वर्चुअल करेंसी को उनके इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग नजरिए से देखने का प्रावधान शामिल था। यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश होना था, लेकिन टैक्स और इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न मुद्दों के चलते इसे टाल दिया गया। अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में किए जाने वाले एलान के तहत क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों पर टैक्स का बोझ काफी बढ़ने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार क्रिप्टो एसेट्स पर इनकम टैक्स स्लैब को 35 प्रतिशत से लेकर 42 प्रतिशत के बीच रख सकती है। इसके साथ ही सरकार क्रिप्टो ट्रेंडिंग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने पर भी विचार कर रही है।

क्रिप्टो एक्सचेंजों पर जीएसटी लगाने की तैयारी
कई रिपोर्टों में डिजिटल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े किसी भी प्रकार के लेन-देन पर इनकम टैक्स के सबसे ऊंचे स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाए जाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। बता दें कि जब क्रिप्टो बिल की चर्चा जोरों पर जारी थी उस सम भी जारी की गईं कई रिपोर्टों में इस बात का जिक्र किया गया था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर भी एक फीसदी जीएसटी लगाने की योजना बना रही है, जिसे सोर्स पर कलेक्ट किया जाएगा। इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री का रेगुलेशन बाजार नियामक सेबी के हाथों सौंपे जाने की चर्चा है। यानी क्रिप्टो निवेशकों पर सेबी की पैनी निगाह हर समय रहेगी और क्रिप्टोकरेंसी का हर लेन-देन आयकर विभाग की रडार पर होगा। बहरहाल, सरकार की पूरी योजना क्या है इसका खुलासा को बजट पेश होने के दौरान ही हो सकेगा। 

कर विशेषज्ञों ने दी ये जरूरी सलाह
एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी में भारतीयों द्वारा निवेश 2030 तक बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। नैसकॉम और वजीरएक्स के मुताबिक, फिलहाल भारत में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो निवेशकों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। कर विशेषज्ञों की राय है कि निर्धारित सीमा से अधिक क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को टीडीएस/टीसीएस प्रोविजंस के दायरे में लाया जाना चाहिए। ऐसा करने से सरकार को निवेशकों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाले नुकसान को अन्य आय से एडजस्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

विस्तार

साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी में जमकर निवेश हुआ और भारत में भी क्रिप्टो निवेशकों की संख्या में तेज इजाफा देखा गया। यही कारण है कि सरकार को क्रिप्टो को लेकर गहन विचार-विमर्श करते हुए एक बिल तैयार करना पड़ा। हालांकि, यह संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं हो सकता। अब लोगों को बजट 2022 में डिजिटल करेंसी को लेकर किसी बड़े एलान की उम्मीद है। इस बीच विशेषज्ञों की मानें तो संभावना बन रही है कि बजट के दौरान सरकार क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर भारी-भरकम टैक्स लगा सकती है। 

1 फरवरी को पेश किया जाएगा बजट

देश के आम करदाताओं, कारोबारी-व्यापारियों के साथ ही भारतीय क्रिप्टो निवेशक भी बजट 2022 का बेसब्री के साथ इंतजार कर रहा है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी इस बजट में कुछ घोषणाएं की जाना संभव है। इस संबंध में आई रिपोर्टों की मानें तो केद्र सरकार फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विभिन्न कर विशेषज्ञों की सलाह ले रही है। दरसअल, सरकार अब क्रिप्टोकरेंसी में निवेश अथवा ट्रेडिंग से होने वाली आय पर टैक्स को साफतौर पर परिभाषित करना चाहती है। वह इस बात पर विचार-विमर्श कर रही है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय को कारोबारी आय  या कैपिटल गेन के तौर पर देखा जा सकता है।

क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों पर बढ़ सकता है बोझ

गौरतलब है कि प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी बिल में क्रिप्टोकरेंसी को एक कमोडिटी के तौर पर मानने और वर्चुअल करेंसी को उनके इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग नजरिए से देखने का प्रावधान शामिल था। यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश होना था, लेकिन टैक्स और इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न मुद्दों के चलते इसे टाल दिया गया। अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में किए जाने वाले एलान के तहत क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों पर टैक्स का बोझ काफी बढ़ने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार क्रिप्टो एसेट्स पर इनकम टैक्स स्लैब को 35 प्रतिशत से लेकर 42 प्रतिशत के बीच रख सकती है। इसके साथ ही सरकार क्रिप्टो ट्रेंडिंग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने पर भी विचार कर रही है।

क्रिप्टो एक्सचेंजों पर जीएसटी लगाने की तैयारी

कई रिपोर्टों में डिजिटल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े किसी भी प्रकार के लेन-देन पर इनकम टैक्स के सबसे ऊंचे स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाए जाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। बता दें कि जब क्रिप्टो बिल की चर्चा जोरों पर जारी थी उस सम भी जारी की गईं कई रिपोर्टों में इस बात का जिक्र किया गया था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर भी एक फीसदी जीएसटी लगाने की योजना बना रही है, जिसे सोर्स पर कलेक्ट किया जाएगा। इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री का रेगुलेशन बाजार नियामक सेबी के हाथों सौंपे जाने की चर्चा है। यानी क्रिप्टो निवेशकों पर सेबी की पैनी निगाह हर समय रहेगी और क्रिप्टोकरेंसी का हर लेन-देन आयकर विभाग की रडार पर होगा। बहरहाल, सरकार की पूरी योजना क्या है इसका खुलासा को बजट पेश होने के दौरान ही हो सकेगा। 

कर विशेषज्ञों ने दी ये जरूरी सलाह

एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी में भारतीयों द्वारा निवेश 2030 तक बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। नैसकॉम और वजीरएक्स के मुताबिक, फिलहाल भारत में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो निवेशकों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। कर विशेषज्ञों की राय है कि निर्धारित सीमा से अधिक क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को टीडीएस/टीसीएस प्रोविजंस के दायरे में लाया जाना चाहिए। ऐसा करने से सरकार को निवेशकों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाले नुकसान को अन्य आय से एडजस्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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