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India Iran Relation: अफगानिस्तान को मानवीय मदद देने के लिए आगे आया ईरान, 50 हजार टन गेहूं भेजने में भारत की करेगा मदद

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Mon, 10 Jan 2022 11:02 PM IST

सार

भारत पहले ही जीवन रक्षक दवाओं और कोविड-19 टीकों की तीन अलग-अलग खेप अफगानिस्तान भेज चुका है। पहली खेप एक विशेष चार्टर उड़ान के जरिए भेजी गई थी। जिसके माध्यम से काबुल से 104 लोगों को नई दिल्ली लाया गया था। बाद की सहायता ईरान की महान एयर की उड़ान के माध्यम से काबुल भेजी गई थी।

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ईरान ने मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को मदद पहुंचाने के लिए भारत का साथ देने का फैसला किया है। ईरान ने गेहूं, दवाएं और कोरोना के टीके अफगानिस्तान पहुंचाने के लिए भारत को मदद की पेशकश की है। ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ शनिवार को टेलीफोन पर बातचीत के दौरान ईरानी विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दुल्लाहियन ने यह पेशकश की थी।

ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अब्दुल्लाहियन ने काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की भी मांग की। इसके बाद एक बयान जारी कर बताया गया कि अफगानिस्तान के संबंध में आमिर-अब्दुल्लाहियन ने देश में एक समावेशी सरकार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की मानवीय सहायता का भी उल्लेख किया। साथ ही गेहूं, दवा और कोविड-19 वैक्सीन के रूप में इस सहायता में ईरान के सहयोग की घोषणा भी की। ईरान और अफगानिस्तान लगभग 920 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

भारत पहले ही जीवन रक्षक दवाओं और कोविड-19 टीकों की तीन अलग-अलग खेप अफगानिस्तान भेज चुका है। पहली खेप एक विशेष चार्टर उड़ान के जरिए भेजी गई थी। जिसके माध्यम से काबुल से 104 लोगों को नई दिल्ली लाया गया था। बाद की सहायता ईरान की महान एयर की उड़ान के माध्यम से काबुल भेजी गई थी।

भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसकी वजह है कि पाकिस्तान के सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान को सहायता पहुंचाने के तौर-तरीके के बारे में इस्लामाबाद फैसला नहीं कर सका है। भारत के पास ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को सहायता भेजने का विकल्प मौजूद है।

जयशंकर ने शनिवार को ट्वीट किया था कि ईरानी सहयोगी, विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन से व्यापक बातचीत हुई। उनसे कोविड की कठिनाइयों, अफगानिस्तान में चुनौतियों, चाबहार की संभावनाओं और ईरानी परमाणु मुद्दे की जटिलताओं पर चर्चा हुई। गत वर्ष 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे में आने के बाद से अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर भारत और ईरान परस्पर संपर्क में हैं।

ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दो महीने पहले अफगान संकट पर भारत द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय सम्मेलन में भी भाग लिया था। सम्मेलन में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी भाग लिया था। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अब्दुल्लाहियन ने प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जयशंकर के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।

विस्तार

ईरान ने मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को मदद पहुंचाने के लिए भारत का साथ देने का फैसला किया है। ईरान ने गेहूं, दवाएं और कोरोना के टीके अफगानिस्तान पहुंचाने के लिए भारत को मदद की पेशकश की है। ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ शनिवार को टेलीफोन पर बातचीत के दौरान ईरानी विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दुल्लाहियन ने यह पेशकश की थी।

ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अब्दुल्लाहियन ने काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की भी मांग की। इसके बाद एक बयान जारी कर बताया गया कि अफगानिस्तान के संबंध में आमिर-अब्दुल्लाहियन ने देश में एक समावेशी सरकार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की मानवीय सहायता का भी उल्लेख किया। साथ ही गेहूं, दवा और कोविड-19 वैक्सीन के रूप में इस सहायता में ईरान के सहयोग की घोषणा भी की। ईरान और अफगानिस्तान लगभग 920 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

भारत पहले ही जीवन रक्षक दवाओं और कोविड-19 टीकों की तीन अलग-अलग खेप अफगानिस्तान भेज चुका है। पहली खेप एक विशेष चार्टर उड़ान के जरिए भेजी गई थी। जिसके माध्यम से काबुल से 104 लोगों को नई दिल्ली लाया गया था। बाद की सहायता ईरान की महान एयर की उड़ान के माध्यम से काबुल भेजी गई थी।

भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसकी वजह है कि पाकिस्तान के सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान को सहायता पहुंचाने के तौर-तरीके के बारे में इस्लामाबाद फैसला नहीं कर सका है। भारत के पास ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को सहायता भेजने का विकल्प मौजूद है।

जयशंकर ने शनिवार को ट्वीट किया था कि ईरानी सहयोगी, विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन से व्यापक बातचीत हुई। उनसे कोविड की कठिनाइयों, अफगानिस्तान में चुनौतियों, चाबहार की संभावनाओं और ईरानी परमाणु मुद्दे की जटिलताओं पर चर्चा हुई। गत वर्ष 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे में आने के बाद से अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर भारत और ईरान परस्पर संपर्क में हैं।

ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दो महीने पहले अफगान संकट पर भारत द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय सम्मेलन में भी भाग लिया था। सम्मेलन में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी भाग लिया था। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अब्दुल्लाहियन ने प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जयशंकर के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।

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