पं. मनोज कुमार द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य, नई दिल्ली Published by: रुस्तम राणा Updated Thu, 29 Jul 2021 12:39 PM IST
स्नान दान के लिए तो यह बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि मानी जाती है विशेषकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि होती है। आइये जानते हैं सावन अमावस्या व इसके महत्व के बारे में।
श्रावण मास वर्षा ऋतु का माह होता है। इस माह में मौसम का नज़ारा इतना मनोरम होता है कि बादलों की घटा में प्रकृति की छटा भी बिखरी हुई नज़र आती है। हर ओर हरियाली छाने लगती है। पेड़ पौधे बारिश की बूंदों में धुलकर एकदम तरोताज़ा हो जाते हैं। इसीलिए सावन मास की अमावस्या बहुत खास मानी जाती है।
श्रावणी अमावस्या से पहले सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। सावन शिवरात्रि से अगला दिन श्रावणी अमावस्या का होता है। गर्मी से झुलसते पेड़ों को सावन की रूत नया जीवनदान देती है और हर ओर हरियाली छा जाती है। इस अमावस्या के तीन दिन बाद ही त्यौहारों का बीजारोपण करने वाला पर्व हरियाली तीज आता है इसलिए यह अमावस्या हरियाली अमावस्या भी कही जाती है।