बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 28 Dec 2021 10:29 AM IST
सार
Industrialist Ratan Tata turns 84: दुनिया के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का आज जन्मदिन है। रतन टाटा सिर्फ उद्योग जगत में ही अपनी सफलता के लिए नहीं जाने जाते बल्कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व से भी अलग पहचान बनाई है। आज उनका 84वां जन्मदिन मनाया जा रहा है।
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विस्तार
सूरत के लाल की दुनिया में पहचान
गौरतलब है कि रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था। रतन टाटा नवल टाटा के बेटे हैं जिन्हे नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद गोद लिया था। रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और कैथेड्रल में ही अपनी माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जॉन केनौन कॉलेज से वास्तुकला में अपनी बीएससी की। फिर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में संचारात्मक इंजीनियरिंग और 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया।
1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष
रतन टाटा साल 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया मगर वे अभी भी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। अपने कार्यकाल में वे टाटा ग्रुप के सभी प्रमुख कम्पनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों का हासिल किया।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित
टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा को साल 2008 में पद्म विभूषण और साल 2000 में पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। रतन टाटा को उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। आंकड़ों के अनुसार, उनके नेतृत्व में टाटा समूह के राजस्व में 40 गुना से अधिक और लाभ में 50 गुना से अधिक की वृद्धि हुई।
सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी
बता दें कि रतन टाटा का परिवार हमेशा से ही सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे रहता है। रतन टाटा को हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखा जाता है। कोरोना महामारी के दौर की अगर बात करें तो उन्होंने पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ की बड़ी राशि दान की थी और इसके अलावा भी वे कई तरह के सामजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं।