इस साल फरवरी में कई ग्रहों की चाल बदली है। गुरु ग्रह कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं और 20 मार्च,रविवार की प्रातः 9 बजकर 35 मिनट पर इसी राशि में गुरु वापस आ जाएंगे। इस अवधि में शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, धार्मिक अनुष्ठान, नया व्यवसाय खोलना, मकान की नींव डालना, नया निवेश आदि करना वर्जित माना जाता है। साधारण या आंचलिक भाषा में इसे तारा डूबना कहा जाता है। इसी कारण विवाह का पहला मुहूर्त 15 अप्रैल को पड़ेगा जब शहनाईयां बजनी या बैंड बाजा बारात का मौसम आरंभ होगा। इसी अवधि में चुनाव भी होने हैं और उनके परिणामों के उपरांत सरकारों का गठन भी होना है। अब कौन जीतेगा,कौन हारेगा,कौन सी पार्टी बनाएगी सरकार और कौन बनेगा मुख्यमंत्री,किसकी जाएगी कुर्सी,किसका होगा राज, यह सब व्यक्तिगत भाग्य ,जन्म पत्रिका में दी गई दशा-दिशा एवं ग्रह चाल पर निर्भर करता है। फिर भी कुछ मुख्य ग्रहों का देश दुनिया और जनमानस पर प्रभाव अवश्य पड़ता है जिसे ज्योतिष ग्रहों की चाल से देखता है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु मुख्य ग्रह है धनु या मीन राशि है उनकी दिनचर्या में थोड़ा बहुत विघ्न आ सकता है। ऐसे उम्मीदवार जो चुनाव लड़ रहे हैं,उन्हें झटका लग सकता है। उनकी तस्वीर और तकदीर बदल सकती है।
गुरु के अस्त होने का व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। सत्तारुढ़ दलों की परेशानियां बढ़ेंगी। जीत की राह उतनी आसान नहीं होगी जितनी नजर आ रही थी या है। राजनेताओं में वैमनस्यता का भाव बढ़ सकता है। बहुत आशावान उम्मीदवारों को उम्मीद से कम मिलेगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रह का अस्त होना एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। प्रति वर्ष,कुछ दिनों के लिए आकाश में कोई-कोई ग्रह दिखायी नहीं देता है क्योंकि वह सूर्य के अत्यन्त समीप आ जाता है। वर्ष के इन दिनों को ग्रह-अस्त, ग्रह-लोप, ग्रह-मौद्य, ग्रह-मौद्यामि के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को संपन्नता, विवाह, वैभव, विवेक और धार्मिक कार्य आदि का कारक माना जाता है इसलिए इनका अस्त होना शुभ नहीं माना जाता। यह धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन,दान, पुण्य और वृद्धि आदि के कारक माने जाते हैं। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु,विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है। जानिए गुरु अस्त का किन राशियों पर प्रभाव…
मेष- मेष राशि लिए गुरु अस्त शुभ नहीं माना जा रहा है। कार्यस्थल पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। जीवनसाथी के साथ तनाव हो सकता है। मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है। लाइफ पार्टनर के साथ तनाव हो सकता है। बिजनेस में आर्थिक परेशानियां आ सकती है।
वृषभ- इस अवधि में मन की इच्छाएं अधूरी रह सकती हैं। नौकरी में बदलाव का विचार कर रहे हैं,तो फिलहाल टाल दें। इस दौरान व्यापार में मंदी आ सकती है। जीवनसाथी के साथ अनबन हो सकती है। सेहत का ध्यान रखें। काम में सफलता मिलने में देरी होगी। नौकरी में बदलाव आ सकता है। बिजनेस में आर्थिक मंदी के हालात उत्पन्न हो सकते हैं। जीवनसाथी के साथ मनमुटाव हो सकता है।
मिथुन- करियर में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान बनते काम बिगड़ सकते हैं। आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। पारिवारिक मुश्किलों के कारण मानसिक तनाव हो सकता है। वैवाहिक जीवन में पार्टनर से मनमुटाव हो सकता है। बने हुए काम बिगड़ सकते हैं। आर्थिक तंगी परेशान कर सकती है। मानसिक तनाव महसूस करेंगे।