पांच दशकों तक अपने शानदार अभिनय से फिल्मी पर्दे पर अपनी धाक जमाने वाली अभिनेत्री दुर्गा खोटे की आज जयंती है। दुर्गा खोटे का जन्म 14 जनवरी 1905 को मुंबई में हुआ था। अपने समय में वे इंडस्ट्री की सबसे पढ़ी लिखीं एक्ट्रेस में भी गिनी जाती थीं। उन्होंने हिन्दी सिनेमा में महिलाओं के लिए नए आयाम बनाए। उन दिनों महिलाओं का किरदार भी पुरुष ही निभाया करते थे। ऐसे दौर में दुर्गा खोटे ने फिल्मों में एंट्री की और हीरोइन के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
दुर्गा खोटे ने पहली बार 1931 में मूक फिल्म फरेबी जलाल में अभिनय किया। इसके बाद उन्होंने विधुर, अमर ज्योति और वीर कुणाल जैसी फिल्मों में काम किया। दुर्गा खोटे ने लीड एक्ट्रेस से लेकर मां तक के रोल प्ले किए। हालांकि उनकी ये सफर आसान नहीं था। दुर्गा ने जब हिंदी सिनेमा में आने का फैसला लिया तो उनके परिवार में हड़कंप मच गया।
दुर्गा जब 18 साल की थीं तब उनकी शादी एक बेहद अमीर खानदान में कर दी गई थी। दुर्गा के पति का नाम विश्वनाथ खोटे था। दोनों के दो बेटे भी हुए। विश्वनाथ मैकेनिकल इंजीनियर थे। जब दुर्गा 24 साल की हुईं तो उनके पति का निधन हो गया। इसके बाद उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा। इस कठिन समय से गुजरने के लिए ही उन्होंने फिल्मों का रुख किया।
दुर्गा पढ़ी-लिखी थीं। दुर्गा ने पैसे कमाने के लिए सबसे पहले ट्यूशन का सहारा लिया। इसके बाद दुर्गा ने दूसरी शादी की, लेकिन वो शादी भी ज़्यादा दिन नहीं चली। उसी दौरान इनके छोटे बेटे हरिन की मौत हो गई। इस गम में वे बेहद टूट गईं। दुर्गा ने हिंदी और मराठी के अलावा बंगाली फिल्मों में भी काम किया। दुर्गा का सबसे यादगार किरदार फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में जोधाबाई का था।
50 साल के लंबे करियर में 200 से भी ज़्यादा फिल्में कीं। दुर्गा खोटे ने फिल्म निर्माण में भी अपना हाथ आजमाया। फिल्म इंडस्ट्री में उनके शानदार योगदान के लिए इन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साथ ही इन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है। दुर्गा अपने जमाने की सबसे मंहगी और अमीर अभिनेत्री थीं।
