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Digital Currency: क्या भारत में लगेगी क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी? जानिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

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पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: ‌डिंपल अलावाधी
Updated Tue, 17 Aug 2021 11:50 AM IST

सार

देश में क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है, बड़ी संख्या में लोग अब निवेश के इस विकल्प का रुख कर रहे हैं। ऐसे में अब भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसने जा रही है। 

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केंद्र सरकार जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी पर बड़ा कदम उठा सकती है। इस संदर्भ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक मंत्रिमंडल के सामने रख दिया गया है। सीतारमण ने जानकारी दी कि उन्हें डिजिटल मुद्रा से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है। आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित क्रिप्टोकरेंसी पर अंतर-मंत्रालयी समिति ने डिजिटल करेंसी से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने और विशिष्ट कार्यों का प्रस्ताव पेश करने के लिए अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में क्या की है सिफारिश
समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से जारी किसी भी डिजिटल करेंसी को छोड़कर सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री ने कहा कि, ‘क्रिप्टोकरेंसी (विधेयक) पर मंत्रिमंडल का नोट तैयार है और मैं मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही हूं।’ इससे पहले वितत मंत्री ने कहा था कि क्रिप्टो एसेट्स को अवैध गतिविधियों व पेमेंट सिस्टम से खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इसलिए निवेशकों के बीच यह आशंका गहरा रही है कि सरकार बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का फैसला कर सकती है। 

खुद की डिजिटल करेंसी पेश कर सकता है आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी केंद्र सरकार को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी अपनी चिंताओं के बारे में जानकारी दे दी है। हाल ही में केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा था कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से अपनी खुद की डिजिटल करेंसी पेश करने की रणनीति पर काम कर रहा है। आरबीआई पायलट आधार पर थोक और खुदरा क्षेत्रों में इसे पेश करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय बैंक सोच- विचार के स्तर से काफी आगे बढ़ चुका है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आगे आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा था कि उपभोक्ताओं को उन डिजिटल करेंसी में अस्थिरता के भयावह स्तर से बचाने की जरूरत है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। कई देशों के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की संभावना तलाशने में लगे हैं। कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिए सीबीडीसी को लागू किया है। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है। 

क्या है सीबीडीसी?
सीबीडीसी का पूरा नाम है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है। जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है, इसे उसी देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है। भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया भी कह सकते हैं। यह दो तरह की होती हैं- खुदरा और थोक। खुदरा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। वहीं थोक डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाएं करती हैं।

विस्तार

केंद्र सरकार जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी पर बड़ा कदम उठा सकती है। इस संदर्भ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक मंत्रिमंडल के सामने रख दिया गया है। सीतारमण ने जानकारी दी कि उन्हें डिजिटल मुद्रा से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है। आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित क्रिप्टोकरेंसी पर अंतर-मंत्रालयी समिति ने डिजिटल करेंसी से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने और विशिष्ट कार्यों का प्रस्ताव पेश करने के लिए अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में क्या की है सिफारिश

समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से जारी किसी भी डिजिटल करेंसी को छोड़कर सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री ने कहा कि, ‘क्रिप्टोकरेंसी (विधेयक) पर मंत्रिमंडल का नोट तैयार है और मैं मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही हूं।’ इससे पहले वितत मंत्री ने कहा था कि क्रिप्टो एसेट्स को अवैध गतिविधियों व पेमेंट सिस्टम से खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इसलिए निवेशकों के बीच यह आशंका गहरा रही है कि सरकार बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का फैसला कर सकती है। 

खुद की डिजिटल करेंसी पेश कर सकता है आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी केंद्र सरकार को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी अपनी चिंताओं के बारे में जानकारी दे दी है। हाल ही में केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा था कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से अपनी खुद की डिजिटल करेंसी पेश करने की रणनीति पर काम कर रहा है। आरबीआई पायलट आधार पर थोक और खुदरा क्षेत्रों में इसे पेश करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय बैंक सोच- विचार के स्तर से काफी आगे बढ़ चुका है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आगे आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा था कि उपभोक्ताओं को उन डिजिटल करेंसी में अस्थिरता के भयावह स्तर से बचाने की जरूरत है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। कई देशों के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की संभावना तलाशने में लगे हैं। कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिए सीबीडीसी को लागू किया है। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है। 

क्या है सीबीडीसी?

सीबीडीसी का पूरा नाम है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है। जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है, इसे उसी देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है। भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया भी कह सकते हैं। यह दो तरह की होती हैं- खुदरा और थोक। खुदरा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। वहीं थोक डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाएं करती हैं।

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