Movie Review
दसवीं
कलाकार
अभिषेक बच्चन
,
निमृत कौर
और
यामी गौतम
लेखक
रितेश शाह
और
सुरेश नायर
निर्देशक
तुषार जलोटा
निर्माता
मैडॉक फिल्म्स
और
जियो स्टूडियोज
ओटीटी
नेटफ्लिक्स और जियो सिनेमा
अभिषेक बच्चन से लोगों को उम्मीदें बहुत रही हैं। मेहनत भी वह बहुत करते हैं अपने किरदारों को परदे पर जीवंत करने में। उनकी शख्सीयत के चारों तरफ एक आवरण सा दिखता है। वह लोगों से खुलकर मिलना चाहते हैं। उनके भीतर का बच्चन उन्हें ऐसा करने से लगातार रोकता रहता है। सोच और सलाह का ये द्वंद्व अभिषेक के जीवन में शुरू से रहा है। मणिरत्नम जैसे निर्देशक बिरले ही उनके जीवन को छूकर निकले। ‘युवा’ और ‘गुरु’ उनके अभिनय का आसमान हैं। लेकिन, तुषार जलोटा जैसे निर्देशक उनकी धरती पर तब आते हैं जब उन्हें दूसरा कोई हीरो मिलता नहीं है। अनुराग बसु और संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशकों के सहायक रहे तुषार का सिनेमा हिंदी सिनेमा के बने बनाए खांचों से खिलने की कोशिश करता दिखता है। समर्पण में उनके कमी नहीं है लेकिन उनकी कल्पनाएं ना तो विलक्षण हैं और न ही नई। फिल्म ‘दसवीं’ यहीं सिनेमा की केजी में पहुंच जाती है।
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