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By Election Results 2021: यूपी के बाद दूसरी बार महाराष्ट्र से बाहर बजा शिवसेना का डंका

साठ के दशक में मराठी मानुष के हित के लिए बनी शिवसेना ने महाराष्ट्र में पैर जमाने के बाद हिंदुत्व का चोला ओढ़ा और देश के अन्य राज्यों में पांव पसारने की कोशिश की। लेकिन, महाराष्ट्र के बाहर उसे केवल एक बार उत्तर प्रदेश में कामयाबी मिली जब बाहुबली पवन पांडेय शिवसेना विधायक चुने गए। 

इसके तकरीबन 30 साल बाद केंद्र शासित राज्य दादरा नगर हवेली में शिवसेना ने भगवा लहराया है। शिवसेना के नेता और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने इसे अन्याय—तानाशाही के खिलाफ जीत करार देते हुए कहा है कि यह नए विकास पर्व का शंखनाद है। 

महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना को साल 1991 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहली बार कामयाबी मिली थी, जब बाहुबली पवन पांडेय अकबरपुर से विधायक चुने गए थे। चुनाव जीतने के बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के विश्वासपात्र बने पवन पांडेय उस वक्त उत्तर प्रदेश में सबसे मजबूत चेहरा बनकर उभरे थे। 

उस वक्त उनके नेतृत्व में शिवसेना ने गोरखपुर, बलिया, मेरठ, वाराणसी और लखनऊ के स्थानीय निकाय चुनाव में भी अपनी मौजदूगी दर्ज कराई थी। लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में पवन पांडेय दोबारा चुनाव नहीं जीत सके। इसी कालखंड में मायावती सूबे की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को निशाना बनाना शुरू किया। 

इससे बाहुबली पवन पांडेय को भागकर मुंबई आना पड़ा। उत्तर प्रदेश में शिवसेना में नेतृत्व नहीं होने से पार्टी का विस्तार थम गया। यूपी विधानसभा में शिवसेना की उपस्थिति दर्ज होने के बाद शिवसेना की यह दूसरी बड़ी उपलब्धि है जब संसद में केंद्रशासित राज्य दादरा नगर हवेली से शिवसेना सांसद के रूप में कलाबेन डेलकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। 

कलाबेन ने इस सीट से सांसद रहे पति मोहन डेलकर की मौत के बाद यह सीट शिवसेना उम्मीदवार के रूप में जीती है। कलाबेन के पति मोहन डेलकर बीते फरवरी महीने में दक्षिण मुंबई के होटल में मृत पाए गए थे। उसके बाद डेलकर परिवार शिवसेना के नजदीक आया था। कलाबेन ने भाजपा उम्मीदवार महेश गावित को करीब 50 हजार के भारी मतों के अंतर से पराजित किया। 

आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में लड़ी शिवसेना, लेकिन नहीं खुला खाता
दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र के बाहर भी पार्टी के विस्तार की कोशिश की। हालांकि वह किसी राज्य में चुनाव प्रचार के लिए कभी नहीं गए। लेकिन उनका सपना था कि शिवसेना का विस्तार दूसरे राज्यों में भी होना चाहिए।

55 साल पहले 1966 में गठित शिवसेना ने अतीत में दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन, महाराष्ट्र के अलावा किसी राज्य में पार्टी का जनाधार नहीं बढ़ पाया। लेकिन दादरा नगर हवेली की जीत से शिवसेना काफी खुश है।

शिवसेना की राष्ट्रीय पार्टी बनने की महत्वाकांक्षा
दादरा नगर हवेली लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद शिवसेना की महत्वाकांक्षा राष्ट्रीय पार्टी बनने की है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में शिवसेना बड़ा दांव खेल सकती है। फिलहाल, शिवसेना उत्तर प्रदेश में ज्यादा जोर लगाएगी।

शिवसेना प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने कहा कि यह तो अभी शुरूआत है। आने वाले दिनों में शिवसेना दमन और दक्षिण गुजरात में भी चुनाव लड़ेगी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद हमारी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राउत ने कहा कि यूपी के चुनाव में शिवसेना मजबूती से उतरेगी।

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