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संयुक्त राष्ट्र : महासचिव गुटेरस के प्रवक्ता ने कहा- म्यांमार में 37 हजार लोग हुए विस्थापित

सार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के एक सहायक प्रवक्ता फ्लोरेंसिया सोटो नीनो ने कहा कि म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की टीम, उत्तर-पश्चिम में देश की सेना और चिन राज्य के साथ-साथ मैगवे और सागिंग क्षेत्रों में स्थानीय पोपुलर डिफेंस फोर्सेज के बीच लड़ाई बढ़ जाने से चिंतित है। इसके चलते म्यामांर के करीब 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
 

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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार म्यामांर के उत्तर पश्चिम में महिलाओं एवं बच्चों समेत करीब 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के एक प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा लड़ाई बढ़ने की आशंका के चलते भारत सहित अन्य देशों में चले गए हैं।

महासचिव की सहायक प्रवक्ता फ्लोरेंसिया सोटो नीनो ने कहा कि म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की टीम, उत्तर-पश्चिम में देश की सेना और चिन राज्य के साथ-साथ मैगवे और सागिंग क्षेत्रों में स्थानीय पोपुलर डिफेंस फोर्सेज के बीच लड़ाई बढ़ जाने से चिंतित है। 

नीनो ने कहा कि इसके चलते बहुत ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं और संपत्ति बर्बाद हुई हैं। यह स्थिति,सेना द्वारा एक फरवरी को म्यांमार सरकार पर अपना नियंत्रण करने के नौ महीने बाद है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पश्चिमी चिन के थंटलांग शहर में 160 से अधिक घर जलाने और गोलाबारी की चिंताजनक खबरें भी आई हैं।

कई लोग लड़ाई बढ़ने के खौफ के बीच चले गए भारत सहित अन्य देश
हमारे सहयोगियों का कहना है कि अब देश के उत्तर-पश्चिम में महिलाओं और बच्चों सहित करीब 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं। मौजूदा लड़ाई की आशंका से कई लोग अपने घर छोड़ कर भारत सहित अन्य स्थानों पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि यह संख्या दिसंबर 2019 से जारी पूर्व लड़ाई में विस्थापित हुए 7,000 से अधिक लोगों के अतिरिक्त है। 

नागरिकों को निशाना नहीं बनाने की अपील को दोहराया
 नीनो ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की टीम संघर्षरत पक्षों से नागरिकों और मानवतावादियों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए अपने आग्रह को दोहराती है। उन्होंने कहा, टीम फिर से कहती है कि सहायता कर्मियों और उनकी संपत्तियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए

लगा दिया गया था आपातकाल
म्यांमार की सेना ने इस साल एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए नवंबर 2020 के चुनाव परिणामों को धता बता दिया था। सेना ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं, सरकारी कर्मचारियों और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सूकी और उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के अन्य नेताओं को हिरासत में ले लेने के बाद आपातकाल लगा दिया था।

8 नवंबर के आम चुनाव के परिणामों को लेकर सत्तारूढ़ एनएलडी सरकार के साथ  बढ़ते टकराव के बीच सेना ने तख्तापलट किया। एनएलडी ने चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज की थी। हालांकि, सेना ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। दशकों के सैन्य शासन के बाद 2011 में म्यांमार में लोकतंत्र बहाल हुआ था।

विस्तार

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार म्यामांर के उत्तर पश्चिम में महिलाओं एवं बच्चों समेत करीब 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के एक प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा लड़ाई बढ़ने की आशंका के चलते भारत सहित अन्य देशों में चले गए हैं।

महासचिव की सहायक प्रवक्ता फ्लोरेंसिया सोटो नीनो ने कहा कि म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की टीम, उत्तर-पश्चिम में देश की सेना और चिन राज्य के साथ-साथ मैगवे और सागिंग क्षेत्रों में स्थानीय पोपुलर डिफेंस फोर्सेज के बीच लड़ाई बढ़ जाने से चिंतित है। 

नीनो ने कहा कि इसके चलते बहुत ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं और संपत्ति बर्बाद हुई हैं। यह स्थिति,सेना द्वारा एक फरवरी को म्यांमार सरकार पर अपना नियंत्रण करने के नौ महीने बाद है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पश्चिमी चिन के थंटलांग शहर में 160 से अधिक घर जलाने और गोलाबारी की चिंताजनक खबरें भी आई हैं।

कई लोग लड़ाई बढ़ने के खौफ के बीच चले गए भारत सहित अन्य देश

हमारे सहयोगियों का कहना है कि अब देश के उत्तर-पश्चिम में महिलाओं और बच्चों सहित करीब 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं। मौजूदा लड़ाई की आशंका से कई लोग अपने घर छोड़ कर भारत सहित अन्य स्थानों पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि यह संख्या दिसंबर 2019 से जारी पूर्व लड़ाई में विस्थापित हुए 7,000 से अधिक लोगों के अतिरिक्त है। 

नागरिकों को निशाना नहीं बनाने की अपील को दोहराया

 नीनो ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की टीम संघर्षरत पक्षों से नागरिकों और मानवतावादियों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए अपने आग्रह को दोहराती है। उन्होंने कहा, टीम फिर से कहती है कि सहायता कर्मियों और उनकी संपत्तियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए

लगा दिया गया था आपातकाल

म्यांमार की सेना ने इस साल एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए नवंबर 2020 के चुनाव परिणामों को धता बता दिया था। सेना ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं, सरकारी कर्मचारियों और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सूकी और उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के अन्य नेताओं को हिरासत में ले लेने के बाद आपातकाल लगा दिया था।

8 नवंबर के आम चुनाव के परिणामों को लेकर सत्तारूढ़ एनएलडी सरकार के साथ  बढ़ते टकराव के बीच सेना ने तख्तापलट किया। एनएलडी ने चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज की थी। हालांकि, सेना ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। दशकों के सैन्य शासन के बाद 2011 में म्यांमार में लोकतंत्र बहाल हुआ था।

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