ऐसे हुई बजट शब्द की उत्पत्ति
बजट शब्द की उत्पति फ्रेंच भाषा के लातिन शब्द बुल्गा से हुई, जिसका अर्थ होता है चमड़े का थैला। बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई। इसके बाद अंग्रजी शब्द बोगेट अस्तित्व में आया और इसी बोगेट शब्द से बजट शब्द की उत्पत्ति हुई। इसलिए पहले बजट चमड़े के बैग में लेकर आया जाता था।
ब्रिटिश सरकार में पेश हुआ था पहला बजट
आम बजट दरअसल, सरकार की ओर से दिया जाने वाला सालभर के लिए देश की आय और खर्च का लेखा-जोखा होता है। इसे पेश करने की शुरुआत ब्रिटेन द्वारा की गई थी। ब्रिटिश काल में पहली बार भारत में 7 अप्रैल 1860 को बजट पेश किया गया था। इस बजट को ब्रिटिश सरकार में वित्त मंत्री जेम्स विल्सन के द्वारा पेश किया गया था।
स्वतंत्र भारत का पहला आम बजट
स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट कब पेश किया गया यह सवाल लगभग सभी के मन में रहता है। तो जा लें कि भारत के पहले वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। बता दें कि चेट्टी का जन्म 1892 में हुआ था। वे एक वकील, राजनेता, और अर्थशास्त्री थे।
तीन प्रधानमंत्रियों ने किया बजट पेश
देश का बजट हमेशा से ही वित्त मंत्री पेश करते आए हैं, लेकिन भारत के इतिहास में तीन ऐसे मौके आए हैं, जब प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत का बजट पेश करने वाले शीर्ष पद पर बैठने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने पहली बार 13 फरवरी 1958 को वित्त विभाग संभाला और बजट पेश किया। इसके अलावा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया था।
ये वित्त मंत्री नहीं कर सके बजट पेश
केसी नियोगी भारत के अकेले ऐसे वित्त मंत्री रहे, जिन्होंने इस पद पर रहते हुए भी एक भी बजट पेश नहीं किया। दरअसल, वे 35 दिनों तक 1948 में वित्त मंत्री रहे थे। भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था।
11 बजे ही क्यों पेश होता है बजट?
बजट हमेशा ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है, हालांकि ऐसा पहले से नहीं चल रहा। इससे पहले ब्रिटिश काल में बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था, ऐसा इसलिए किया जाता था, ताकि रात भर बजट पर काम करने वाले अधिकारियों को थोड़ा आराम मिल सके। यही नहीं 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था, लेकिन 1955-56 से सरकार ने इसे हिंदी में भी प्रकाशित करना शुरू कर दिया।
बजट में हलवा सेरेमनी की परंपरा
बता दें कि हलवा सेरेमनी के पीछे मान्यता रही है कि हर शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए। इसलिए बजट जैसे बड़े इवेंट से पहले इस सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। इस परंपरा के तहत वर्तमान वित्त मंत्री खुद बजट से जुड़े कर्मचारियों और वित्त अधिकारियों को हलवा बांटते हैं।
चमड़े का लाल बैग
ब्रिटिश काल में जब वित्त मंत्री संसद में सरकार का खर्च और आय की जानकारी देते थे और इसे चमड़े के लाल बैग में लेकर आया जाता था। इसके नाम से जुड़े तत्यों के चलते ऐसा होता था और यहीं परंपरा निरंतर जारी रही। लेकिन भाजपा सरकार ने लाल बैग की परंपरा को खत्म किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में चमड़े के ब्रीफकेस के बजाय बही-खाता (पारंपरिक लाल कपड़े में लिपटे कागज) में बजट दस्तावेजों को ले जाने की प्रथा शुरू की।
बजट पेश करने वाली महिलाएं
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी स्वतंत्र भारत का बजट पेश करने वाली पहली महिला थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने वित्त विभाग भी संभाला और बजट पेश किया। इसके बाद 5 जुलाई, 2019 को निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करने वाली भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं। मतलब निर्मला सीतारमण से पहले कोई ऐसी महिला नहीं थीं, जो पूरी तरह से केवल वित्त मंत्री रही हो।