ऐसे हुई बजट शब्द की उत्पत्ति
बजट शब्द की उत्पति फ्रेंच भाषा के लातिन शब्द बुल्गा से हुई, जिसका अर्थ होता है चमड़े का थैला। बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई। इसके बाद अंग्रजी शब्द बोगेट अस्तित्व में आया और इसी बोगेट शब्द से बजट शब्द की उत्पत्ति हुई। इसलिए पहले बजट चमड़े के बैग में लेकर आया जाता था।
1850 के दशक से शुरू हुई बजट प्रथा
बजट की प्रथा 1850 के दशक में ग्रेट ब्रिटेन में शुरू हुई जब विलियम ग्लैडस्टोन 1852 से 55 तक राजकोष के चांसलर थे। ग्लेडस्टोन बाद में प्रधानमंत्री भी बने। ब्रिटेन में इस प्रथा को हिन्दुस्तानी शब्द बजट पर्दा के रूप में जाना गया। ग्लैडस्टोन के वक्त से ही यह एक नियमित प्रथा बन गई कि चांसलर के बजट पढ़ने से पहले उसका कोई हिस्सा लीक नहीं हो।
ब्रिटिश काल में पेश हुआ भारत का पहला बजट
आम बजट दरअसल, सरकार की ओर से दिया जाने वाला सालभर के लिए देश की आय और खर्च का लेखा-जोखा होता है। इसे पेश करने की शुरुआत ब्रिटेन द्वारा की गई थी। ब्रिटिश काल में पहली बार भारत में 7 अप्रैल 1860 को बजट पेश किया गया था। इस बजट को ब्रिटिश सरकार में वित्त मंत्री जेम्स विल्सन के द्वारा पेश किया गया था।
स्वतंत्र भारत का पहला आम बजट
स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट कब पेश किया गया यह सवाल लगभग सभी के मन में रहता है। तो जा लें कि भारत के पहले वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। बता दें कि चेट्टी का जन्म 1892 में हुआ था। वे एक वकील, राजनेता, और अर्थशास्त्री थे।
ये वित्त मंत्री नहीं कर सके बजट पेश
केसी नियोगी भारत के अकेले ऐसे वित्त मंत्री रहे, जिन्होंने इस पद पर रहते हुए भी एक भी बजट पेश नहीं किया। दरअसल, वे 35 दिनों तक 1948 में वित्त मंत्री रहे थे। भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था।
11 बजे ही क्यों पेश होता है बजट?
बजट अब सुबह 11 बजे पेश किया जाता है, हालांकि ऐसा पहले से नहीं चल रहा। इससे पहले ब्रिटिश काल में बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था, ऐसा इसलिए किया जाता था, ताकि रात भर बजट पर काम करने वाले अधिकारियों को थोड़ा आराम मिल सके। यही नहीं 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था, लेकिन 1955-56 से सरकार ने इसे हिंदी में भी प्रकाशित करना शुरू कर दिया। 1999 में बजट पेश करने के समय को बदलकर सुबह 11 बजे किया गया।
चमड़े का लाल बैग में आता था बजट
ब्रिटिश काल में जब वित्त मंत्री संसद में सरकार का खर्च और आय की जानकारी देते थे और इसे चमड़े के लाल बैग में लेकर आया जाता था। इसके नाम से जुड़े तत्यों के चलते ऐसा होता था और यहीं परंपरा निरंतर जारी रही। लेकिन भाजपा सरकार ने लाल बैग की परंपरा को खत्म किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में चमड़े के ब्रीफकेस के बजाय बही-खाता (पारंपरिक लाल कपड़े में लिपटे कागज) में बजट दस्तावेजों को ले जाने की प्रथा शुरू की।