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Budget 2022: नरेंद्र मोदी कार्यकाल में बदलीं ये दशकों पुरानी बजट परंपराएं, वाजपेयी सरकार में भी हुआ था ये बड़ा बदलाव

Budget 2022: नरेंद्र मोदी कार्यकाल में बदलीं ये दशकों पुरानी बजट परंपराएं, वाजपेयी सरकार में भी हुआ था ये बड़ा बदलाव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 22 Jan 2022 11:06 AM IST

सार

Budget Traditions Change In BJP Led Government:  देश का बजट पेश होने में महज कुछ दिन का समय ही शेष रह गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां आम बजट पेश करेंगी। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं केंद्र में भाजापा की अगुआई वाली अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट के साथ जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया।   

 

अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी

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देश का बजट पेश होने में महज कुछ दिन का समय ही शेष रह गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां आम बजट पेश करेंगी। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं केंद्र में भाजापा की अगुआई वाली अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट के साथ जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया।   

आम बजट की तारीख बदल दी 
साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी। यानी बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपराओं में एक बड़ा बदलाव था। 

रेल बजट का आम बजट में विलय
परंपराओं को बदलने की दौड़ में नरेंद्र मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया था। आपको बता दें कि 2016 से पहले रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था। गौरतलब है कि देश का पहला रेल बजट वर्ष 1924 में पेश हुआ था।

लाल ब्रीफकेस की परंपरा तोड़ी
बजट इतिहास की परंपराओं को देखें तो 1947 से देश का आम बजट संसद में पेश होने के लिए एक लाल रंग के ब्रीफकेस में आया करता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया और उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव पर कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया है।

मोदी ने रईसों पर लगाया सरचार्ज
बजट इतिहास की कई परंपराओं को बदलते हुए मोदी सरकार ने एक और बड़ा बदलाव किया। ये बदलाव था देश के रईसों पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को हटा दिया गया और इसके बजाय सरचार्ज लगाया जाने लगा। 2016 के बजट में सरकार ने 1 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाले अमीरों पर सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया। 

वाजपेयी सरकार में बदला था समय 
नरेंद्र मोदी सरकार से पहले भाजापा की अगुवाई वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदल दिया था। 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया था। तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है।  

विस्तार

देश का बजट पेश होने में महज कुछ दिन का समय ही शेष रह गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां आम बजट पेश करेंगी। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं केंद्र में भाजापा की अगुआई वाली अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट के साथ जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया।   

आम बजट की तारीख बदल दी 

साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी। यानी बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपराओं में एक बड़ा बदलाव था। 

रेल बजट का आम बजट में विलय

परंपराओं को बदलने की दौड़ में नरेंद्र मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया था। आपको बता दें कि 2016 से पहले रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था। गौरतलब है कि देश का पहला रेल बजट वर्ष 1924 में पेश हुआ था।

लाल ब्रीफकेस की परंपरा तोड़ी

बजट इतिहास की परंपराओं को देखें तो 1947 से देश का आम बजट संसद में पेश होने के लिए एक लाल रंग के ब्रीफकेस में आया करता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया और उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव पर कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया है।

मोदी ने रईसों पर लगाया सरचार्ज

बजट इतिहास की कई परंपराओं को बदलते हुए मोदी सरकार ने एक और बड़ा बदलाव किया। ये बदलाव था देश के रईसों पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को हटा दिया गया और इसके बजाय सरचार्ज लगाया जाने लगा। 2016 के बजट में सरकार ने 1 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाले अमीरों पर सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया। 

वाजपेयी सरकार में बदला था समय 

नरेंद्र मोदी सरकार से पहले भाजापा की अगुवाई वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदल दिया था। 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया था। तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है।  

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