कहो ना प्यार है
– फोटो : अमर उजाला
फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ को लेकर 22 साल पहले दर्शकों में कितना क्रेज रहा होगा, इसकी बानगी आप फिल्म के निर्माता निर्देशक और फिल्म के लीड हीरो ऋतिक रोशन के पिता राकेश रोशन की इस बात से समझ सकते हैं कि ये उनके करियर की दूसरी फिल्म थी जिसके शोज इसके वितरकों ने सूर्योदय से पहले शुरू कर दिए। और, ऐसा तब हुआ जबकि ऐसा न करने के लिए राकेश रोशन ने सारे वितरकों से लिखित में कानूनी स्टाम्प पेपर वादे लिखवा लिए थे। फिल्म ‘करण अर्जुन’ के लिए ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि शाहरुख खान और सलमान खान इस फिल्म की रिलीज से पहले सुपरस्टार बन चुके थे और दोनों को एक साथ देखने के लिए पब्लिक पागल थी। लेकिन, एक नए हीरो की फिल्म के पहले दिन के पहले शोज सूर्योदय से पहले? राकेश रोशन हमेशा अपनी फिल्मों की कामयाबी को किस्मत का खेल मानते आए हैं। इसे भी वह किस्मत का ही आशीर्वाद मानकर चुप हो जाते हैं। ऋतिक का उनके घर में आना ही उनके जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद रहा है। इसके बाद से ही एक संघर्षशील अभिनेता फिल्म ‘खेल खेल में’ से एक हिट हीरो बना। फिर एक कामयाब निर्माता बना और उसके बाद एक कामयाब फिल्म निर्देशक।
कहो ना प्यार है
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई
नए सितारों की लकी डेट 14 जनवरी
14 जनवरी वैसे नए सितारों के लिए बहुत सौभाग्यशाली तारीख रही है। आमतौर पर इस दिन पूरे देश में मकर संक्रांति से जुड़े पर्व बनाए जाते हैं। जीनत अमान का जलवा भी दर्शकों ने इसी दिन फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ में देखा, वह भी एक सुपरस्टार की बहन के रोल में जिसे करने के लिए उस दौर की सुपरस्टार हीरोइन मुमताज ने सिरे से ना कर दी थी। जीनत अमान की मुलाकात देव आनंद से एक पार्टी में हुई जिसमें जीनत ने देव आनंद को कोई भाव नहीं दिया। देव आनंद को उनकी यही अदा भाई और वह हिंदी सिनेमा की सुपरस्टार बन गईं। ऋतिक रोशन के सुपरस्टार बनने की कहानी इतनी आसान नहीं है। वह संगीतकार रोशन की तीसरी पीढ़ी हैं। संस्कारी बालक के तौर पर नाना जे ओम प्रकाश की देखरेख में उनकी परवरिश हुई। फिल्मों में पहले मौके भी उन्हीं की फिल्मों में ऋतिक को मिले। लेकिन ऋतिक रोशन की हीरा बनकर चमकने से पहले असली घिसाई उनके पिता ने की।
कहो ना प्यार है
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कारीगरों के सम्मान की ट्रेनिंग
राकेश रोशन के मुताबिक वह ऋतिक रोशन को कैमरे के सामने लाने से पहले उन्हें कैमरे के पीछे की दुनिया अच्छे से समझा देना चाहते थे। वह चाहते थे कि ऋतिक को ये बात अच्छी तरह से समझ आ जाए कि कोई चीज बनाने में छोटे से छोटा योगदान करने वाला भी अगर रत्ती भर भी दुखी है तो फाइनल प्रोडक्ट अच्छा नहीं बनेगा। राकेश रोशन की ये सीख ऋतिक ने तभी से गांठ बांध ली। राकेश रोशन की फिल्मों की शूटिंग के दौरान सारे कलाकार और सारे कर्मचारी एक साथ ही खाना खाते थे। एक ही होटल में रुकते थे। राकेश रोशन ने कभी ये नहीं किया कि सितारे किसी आलीशान होटल में ठहरें और कर्मचारी किसी धर्मशाला में। फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ में पहली बार दूसरों से दुलार करने की ये परंपरा ऋतिक ने परदे पर दिखाई।
कहो ना प्यार है
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पुरस्कारों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड
फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई का अपनी रिलीज के साल में तो रिकॉर्ड बनाया ही, इसने एक रिकॉर्ड सबसे ज्यादा पुरस्कार बटोरने का भी बनाया। अकेले फिल्मफेयर पुरस्कारों में इस फिल्म ने नौ पुरस्कार समेट लिए थे। ऋतिक रोशन अब तक के इकलौते ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर और बेस्ट डेब्यू मेल दोनों पुरस्कार एक ही साल मिले। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इसकी एंट्री हुई एक ऐसी फिल्म के लिए है जिसने साल 2002 तक कुल मिलाकर 92 पुरस्कार जीत लिए थे। बाद में हालांकि ये गिनती और भी बढ़ती रही। हिंदी सिनेमा की ये अब तक की सर्वाधिक पुरस्कार जीतने वाली फिल्म है। राकेश रोशन हिंदी फिल्मों में 1970 से काम करते रहे, लेकिन उनको अपने करियर का पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला तो फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ के लिए
फिल्म समीक्षा की कटिंग
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‘आ पहुंचा एक नया स्टार’
14 जनवरी 2000 को रिलीज हुई फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ की मेरी समीक्षा रविवार 16 जनवरी के ‘अमर उजाला’ के सभी संस्करणों में छपी गई, ‘आ पहुंचा एक नया स्टार’। दिल्ली यूपी फिल्म वितरण क्षेत्र का मुख्यालय रहे भगीरथ पैलेस मार्केट से इतने फोन मुझे पहले किसी फिल्म समीक्षा के नहीं, आए जितने सोमवार को दिन भर आए। ‘कहो ना प्यार है’ की कहानी कोई बहुत अनोखी नहीं थी। लेकिन फिल्म का हीरो अनोखा था। एक जैसी शक्लों वाले दो लड़के एक ही लड़की के जीवन में अलग अलग मौकों पर आते हैं। इंसान को जीवन में प्यार कई बार होता है, लेकिन एक समय में वह एक से ही होता है। कहानी की नायिका सोनिया की कहानी भी यही थी। राज और रोहित दोनों से उसे प्यार होता है, लेकिन अलग अलग वजहों से, अलग अलग मौकों पर।