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Artificial Intelligence (AI): क्या होते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, दुनिया के बड़े लोग क्यों इसे लेकर चिंतित हैंं?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में सब कुछ जानें
– फोटो : Istock

साल 1965 में इंटेल के को फाउंडर गोर्डोन ई मूरे ने दुनिया के सामने एक नई थ्योरी रखी। इस थ्योरी में उन्होंने बताया कि कंप्यूटर में उपयोग होने वाले ट्रांजिस्टर हर दो साल में अपनी प्रोसेसिंग पावर को बढ़ाकर दोगुना कर लेते हैं। बाद में मूरे के इस नियम को मूरे लॉ के नाम से जाना जाने लगा। आज जिस तेजी से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड और उसकी काम करने की क्षमता में वृद्धि हो रही है। मूरे लॉ की मानें तो उसकी ये क्षमता आने वाले समय में और भी तेजी से बढ़ेगी। ऐसे में आज जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास हो रहा है, उसे लेकर दुनिया के कई बड़े बिलियनेयर और विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने के बाद एक नई चर्चा केंद्र का विषय बनी है कि क्या एआई इंसानी बुद्धिमत्ता को पीछे छोड़ देगा? इस सवाल की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ इसको लेकर एकमत हैं। वो इस बात की कड़ी संभावना जता रहे हैं कि आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस का विकास इंसान को विकास की दौड़ में पीछे कर सकता है।

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आज दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रही है। कहा जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास आने वाले दौर को एक नया रूप देगा। उसी के समानांतर इस विकसित होती तकनीक को लेकर कई चेतावनियां अभी से सामने आने लगी हैं। स्टीफन हॉकिंग, एलन मस्क से लेकर कई विशेषज्ञ एआई से जुड़े खतरे पर अपनी व्याख्याएं दे रहे हैं। मशहूर लेखक मैक्स टैगमार्क अपनी पुस्तक लाइफ 3.0 में बताते हैं, कि सदी के अंत तक आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस का विकास इंसानी बुद्धिमत्ता को पछाड़ देगा।

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सदी के महान वैज्ञानिक रहे स्टीफन हॉकिंग ने भी एआई के विकास से होने वाले खतरों को लेकर हमें आगाह किया था। वहीं एलन मस्क का मानना है कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवता के लिए सबसे बढ़िया और सबसे बुरी दोनों चीजें साबित हो सकती है।” ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या और क्यों दुनिया इसको लेकर काफी चिंतित दिख रही है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से –

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अभिप्राय एक ऐसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता से है जो खुद सोचने, समझने और चीजों को अंजाम देने में सक्षम होती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की टर्म को सर्वप्रथम 1955 में जॉन मैकार्थी ने उछाला था। आज इन्हें ही फादर ऑफ एआई कहा जाता है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझने से पहले हमें इंसानी मस्तिष्क को समझना होगा। इंसानी दिमाग पैटर्न समझने में काफी तेज होता है। उसकी इसी क्षमता के कारण हमने कई विकसित सभ्यताओं और नए आविष्कारों को जन्म दिया। आज हम अपनी यही शक्ति मशीनों को दे रहे हैं। भविष्य में जब मशीनों को इंसान की इस शक्ति का एक्सपोजर मिलेगा, तो इससे एक बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। इंसानी मस्तिष्क एक सीमा के भीतर रहकर सूचनाओं को प्रोसेस करते हैं। वहीं बात जब मशीनों पर आती है, तो वह बड़ी ही तेजी से अपने भीतर डाटा की प्रोसेसिंग करके निष्कर्ष हमारे सामने रख देते हैं। वहीं क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास उसकी इस क्षमता को एक नए शिखर पर ले जाने का काम करेगा। 

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भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अनंत मात्रा में डाटा को संग्रह करके उतने ही बड़े परिणाम निकालने की क्षमता रखेंगे। ऐसे में एआई के उद्देश्य अगर हमारे उद्देश्यों से जरा भी बेमेल होते हैं, तो ये संपूर्ण मानवजाति पर खतरा साबित हो सकते हैं। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कई विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं।

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