न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 01 Mar 2022 08:46 PM IST
सार
असम सरकार ने पिछले साल 28 अगस्त से राज्य के अशांत क्षेत्र की स्थिति को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। अब दोबारा इसे 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
असम सरकार ने कहा है कि उसने 28 फरवरी से पूरे राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) को छह और महीनों के लिए बढ़ा दिया है। यह अधिनियम सुरक्षाबलों को कहीं भी अभियान चलाने और बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। यह किसी ऑपरेशन के गलत होने की स्थिति में सुरक्षा बलों को एक निश्चित स्तर की प्रतिरक्षा भी देता है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि पिछले छह महीनों में असम में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद राज्य सरकार ने 28/02/2022 से छह महीने तक पूरे असम राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया है, जब तक कि इसे पहले वापस नहीं लिया जाता है।
पिछले साल अगस्त में भी छह महीने के लिए बढ़ाया था
असम सरकार ने पिछले साल 28 अगस्त से राज्य के अशांत क्षेत्र की स्थिति को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। अफ्स्पा नवंबर 1990 में असम में लागू किया गया था और तब से राज्य सरकार की समीक्षा के बाद इसे हर छह महीने में बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 1 जनवरी को कहा था कि पांच-छह जिलों को छोड़कर असम से सेना को वापस ले लिया गया है और जब अफस्पा का नवीनीकरण होगा तो राज्य सरकार कुछ व्यावहारिक फैसले लेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, जहां तक अफ्स्पा का सवाल है असम 2022 में कुछ अच्छा होगा, कैसे और कब यह नहीं जानते। लेकिन मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं। हम 2022 को उम्मीद के साल के रूप में देख रहे हैं। कुछ सकारात्मक होगा। नागरिक समाज समूह और कार्यकर्ता सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए पूर्वोत्तर से कठोर कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। पिछले साल 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में एक उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद अफ्स्पा को निरस्त करने की मांग ने जोर पकड़ा है।
विस्तार
असम सरकार ने कहा है कि उसने 28 फरवरी से पूरे राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) को छह और महीनों के लिए बढ़ा दिया है। यह अधिनियम सुरक्षाबलों को कहीं भी अभियान चलाने और बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। यह किसी ऑपरेशन के गलत होने की स्थिति में सुरक्षा बलों को एक निश्चित स्तर की प्रतिरक्षा भी देता है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि पिछले छह महीनों में असम में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद राज्य सरकार ने 28/02/2022 से छह महीने तक पूरे असम राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया है, जब तक कि इसे पहले वापस नहीं लिया जाता है।
पिछले साल अगस्त में भी छह महीने के लिए बढ़ाया था
असम सरकार ने पिछले साल 28 अगस्त से राज्य के अशांत क्षेत्र की स्थिति को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। अफ्स्पा नवंबर 1990 में असम में लागू किया गया था और तब से राज्य सरकार की समीक्षा के बाद इसे हर छह महीने में बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 1 जनवरी को कहा था कि पांच-छह जिलों को छोड़कर असम से सेना को वापस ले लिया गया है और जब अफस्पा का नवीनीकरण होगा तो राज्य सरकार कुछ व्यावहारिक फैसले लेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, जहां तक अफ्स्पा का सवाल है असम 2022 में कुछ अच्छा होगा, कैसे और कब यह नहीं जानते। लेकिन मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं। हम 2022 को उम्मीद के साल के रूप में देख रहे हैं। कुछ सकारात्मक होगा। नागरिक समाज समूह और कार्यकर्ता सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए पूर्वोत्तर से कठोर कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। पिछले साल 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में एक उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद अफ्स्पा को निरस्त करने की मांग ने जोर पकड़ा है।
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