वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ग्रीस
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 01 Dec 2021 03:03 AM IST
सार
ग्रीस में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में करीब 28 महिला सांसद शामिल हैं। यह संसद सभी महिला अफगान सांसदों के लिए खुली होगी।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद लाखों लोगों ने दूसरे देशों में जाकर शरण ली। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। तालिबान के इरादों से भली-भांति परिचित अफगान महिलाओं ने देश से भागना ही जरूरी समझा। अफगान महिलाओं के लिए दुनियाभर ने चिंता व्यक्त की, इसे लेकर कई कार्यक्रम भी किए गए। वहीं अब तालिबान से जान बचाकर ग्रीस में शरण लेने वाली अफगान महिला सांसदों ने एक नई महिला संसद की शुरुआत की है।
फिलहाल ग्रीस में अफगानिस्तान की आधी सांसद और सीनेटर शरण ले रही हैं और वे सभी फगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए अभियान जारी रखेंगी। साथ ही शरणार्थियों के पुनर्वास का समर्थन भी करेंगी
इस अभियान को पूर्व अफगान सांसद नाजीफा बेक ने शुरू किया है। उन्होंने बताया कि हमारा काम पूरा नहीं हुआ है। हमें अफगान लोगों ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था। अफगान लोग और खासकर महिलाएं और लड़कियां एक गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहे हैं। हम जहां भी होंगे उन लोगों की सेवा करना जारी रखेंगे।
तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान की संसद में करीब 27 फीसदी महिला सांसद थीं। ग्रीस में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में करीब 28 महिला सांसद शामिल हैं। यह संसद सभी महिला अफगान सांसदों के लिए खुली होगी।
महिला संसद समिति की अध्यक्ष हमीदा अहमदजई ने कहा है कि तालिबान ने कुछ ही हफ्तों में अफगानिस्तान में दो दशकों की प्रगति को नष्ट कर दिया है। हमें अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखना चाहिए और उन लोगों को बचाना चाहिए जो खतरे में हैं। उन्होंने आगे कहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान को वैधता नहीं देने की अपील करते हैं।
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद महिलाओं को अपने कैबिनेट में जगह नहीं दी। हालांकि उसने कई बार महिलाओं को अपनी सरकार में जगह देने की बात कही लेकिन तालिबान की महिलाओं के प्रति मानसिकता से दुनिया परिचित है।
विस्तार
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद लाखों लोगों ने दूसरे देशों में जाकर शरण ली। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। तालिबान के इरादों से भली-भांति परिचित अफगान महिलाओं ने देश से भागना ही जरूरी समझा। अफगान महिलाओं के लिए दुनियाभर ने चिंता व्यक्त की, इसे लेकर कई कार्यक्रम भी किए गए। वहीं अब तालिबान से जान बचाकर ग्रीस में शरण लेने वाली अफगान महिला सांसदों ने एक नई महिला संसद की शुरुआत की है।
फिलहाल ग्रीस में अफगानिस्तान की आधी सांसद और सीनेटर शरण ले रही हैं और वे सभी फगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए अभियान जारी रखेंगी। साथ ही शरणार्थियों के पुनर्वास का समर्थन भी करेंगी
इस अभियान को पूर्व अफगान सांसद नाजीफा बेक ने शुरू किया है। उन्होंने बताया कि हमारा काम पूरा नहीं हुआ है। हमें अफगान लोगों ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था। अफगान लोग और खासकर महिलाएं और लड़कियां एक गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहे हैं। हम जहां भी होंगे उन लोगों की सेवा करना जारी रखेंगे।
तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान की संसद में करीब 27 फीसदी महिला सांसद थीं। ग्रीस में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में करीब 28 महिला सांसद शामिल हैं। यह संसद सभी महिला अफगान सांसदों के लिए खुली होगी।
महिला संसद समिति की अध्यक्ष हमीदा अहमदजई ने कहा है कि तालिबान ने कुछ ही हफ्तों में अफगानिस्तान में दो दशकों की प्रगति को नष्ट कर दिया है। हमें अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखना चाहिए और उन लोगों को बचाना चाहिए जो खतरे में हैं। उन्होंने आगे कहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान को वैधता नहीं देने की अपील करते हैं।
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद महिलाओं को अपने कैबिनेट में जगह नहीं दी। हालांकि उसने कई बार महिलाओं को अपनी सरकार में जगह देने की बात कही लेकिन तालिबान की महिलाओं के प्रति मानसिकता से दुनिया परिचित है।
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