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नेपाल में कयास तेज: क्या अब चुनाव तक कायम रह पाएगा सत्ताधारी गठबंधन?
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 04 Feb 2022 11:57 AM IST
सार
नेपाली कांग्रेस में देउबा विरोधी धड़ा पहले से ही इस राय का है कि पार्टी को संसदीय चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। इस धड़े के नेता शेखर कोइराला हैं। उन्होंने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मैं किसी गठबंधन सहयोगी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के खिलाफ हूं। स्थानीय चुनावों में तो ऐसा करना असंभव है।’
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देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट के अलावा जनता समाजवादी दल और राष्ट्रीय जनमोर्चा भी शामिल हैं। अब नेपाली मीडिया और राजनीतिक पर्यवेक्षक यह अनुमान लगा रहे हैं कि क्या पांचों दल आपसी तालमेल के साथ स्थानीय चुनाव लड़ेंगे? ज्यादातर पर्यवेक्षकों की राय है कि अब इस सवाल का जवाब इस बात से मिलेगा कि अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की मदद लेने के बारे में प्रधानमंत्री देउबा क्या रुख अपनाते हैं।
एमसीसी की मदद पर बवाल
उधर कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि प्रधानमंत्री देउबा भी गठबंधन के एकजुट चुनाव लड़ने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि गठबंधन किसी तरह अगले संसदीय चुनाव तक बना रहे। जबकि जानकारों का मानना है कि एमसीसी की सहायता के सवाल गठबंधन में संसदीय चुनाव से पहले ही फूट पड़ जाने की वास्तविक संभावना है। खासकर अगर देउबा ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) की मदद से इस मुद्दे पर संसद में अनुमोदन प्रस्ताव पारित कराया, तो गठबंधन के कायम रहने की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी।
अकेले चुनाव लड़ सकती है नेपाली कांग्रेस
पर्यवेक्षकों के मुताबिक असल में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टियों को गठबंधन की जरूरत ज्यादा है। उनका जनाधार कमजोर है। जबकि नेपाली कांग्रेस के पास एक ठोस समर्थन आधार है। लेकिन नेपाली कांग्रेस के देउबा खेमे का आकलन है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में यूएमएल अभी भी सबसे मजबूत पार्टी है। इसलिए अगर सत्ताधारी गठबंधन की पार्टियां अलग-अलग लड़ीं, तो यूएमएल की जीत की संभावना बेहतर हो जाएगी।
विस्तार
देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट के अलावा जनता समाजवादी दल और राष्ट्रीय जनमोर्चा भी शामिल हैं। अब नेपाली मीडिया और राजनीतिक पर्यवेक्षक यह अनुमान लगा रहे हैं कि क्या पांचों दल आपसी तालमेल के साथ स्थानीय चुनाव लड़ेंगे? ज्यादातर पर्यवेक्षकों की राय है कि अब इस सवाल का जवाब इस बात से मिलेगा कि अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की मदद लेने के बारे में प्रधानमंत्री देउबा क्या रुख अपनाते हैं।
एमसीसी की मदद पर बवाल
उधर कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि प्रधानमंत्री देउबा भी गठबंधन के एकजुट चुनाव लड़ने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि गठबंधन किसी तरह अगले संसदीय चुनाव तक बना रहे। जबकि जानकारों का मानना है कि एमसीसी की सहायता के सवाल गठबंधन में संसदीय चुनाव से पहले ही फूट पड़ जाने की वास्तविक संभावना है। खासकर अगर देउबा ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) की मदद से इस मुद्दे पर संसद में अनुमोदन प्रस्ताव पारित कराया, तो गठबंधन के कायम रहने की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी।
अकेले चुनाव लड़ सकती है नेपाली कांग्रेस
पर्यवेक्षकों के मुताबिक असल में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टियों को गठबंधन की जरूरत ज्यादा है। उनका जनाधार कमजोर है। जबकि नेपाली कांग्रेस के पास एक ठोस समर्थन आधार है। लेकिन नेपाली कांग्रेस के देउबा खेमे का आकलन है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में यूएमएल अभी भी सबसे मजबूत पार्टी है। इसलिए अगर सत्ताधारी गठबंधन की पार्टियां अलग-अलग लड़ीं, तो यूएमएल की जीत की संभावना बेहतर हो जाएगी।