videsh

तालिबान ने यूं कुचली आवाज: अफगानिस्तान में 6400 पत्रकारों को गंवानी पड़ी नौकरी, 231 मीडिया घरानों पर लगा दिया गया ताला 

Posted on

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 24 Dec 2021 09:12 AM IST

सार

अफगानिस्तान के कई प्रांतों में मीडिया आउटलेट्स को बंद कर दिया गया। सबसे ज्यादा बुरा हाल महिला पत्रकारों का हुआ। करीब 80 प्रतिशत महिला पत्रकारों को तालिबान शासन में अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। 

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

अफगानिस्तान में अपना झंडा बुलंद करने के लिए तालिबान ने हर उस आवाज को दबा दिया, जो उसके विरोध में उठी या फिर नई सरकार की आलोचना करने के लिए। एक सर्वे के मुताबिक, अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से अब तक अफगानिस्तान में करीब 6400 पत्रकारों की नौकरी चली गई। इतना ही नहीं करीब 231 मीडिया घरानों को भी बंद कर दिया गया। यह सर्वे रिपोटर्स विदआउट बॉडर्स(आरएसएफ) व अफगान इंडीपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से किया गया। सर्वे में सामने आया कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगान मीडिया में बहुत से बदलाव देखने को मिले। सर्वे के मुताबिक, 10 में से चार से अधिक मीडिया आउटलेट दिखना बंद हो गए और 60 प्रतिशत पत्रकार और मीडिया कर्मियों ने काम करना बंद कर दिया। यह सब सिर्फ पांच महीनों के अंदर हुआ, जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमाया। 

महिला पत्रकारों ने सबसे ज्यादा गंवाई नौकरी
सर्वे के अनुसार, तालिबान के सत्ता में आने का सबसे ज्यादा नुकसान महिला पत्रकारों को हुआ। करीब 80 प्रतिशत महिला पत्रकारों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। आरएसएफ के अनुसार गर्मियों की शुरुआत में अफगानिस्तान में 543 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन नवंबर के अंत तक सिर्फ 312 आउटलेट ही बचे। इसका मतलब है कि 43 प्रतिशत मीडिया आउटलेट सिर्फ तीन महीनों के अंदर ही बंद हो गए। चार महीने पहले अफगानिस्तान के हर प्रांत में कम से कम 10 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन मौजूदा समय में कई प्रांत तो ऐसे हैं जहां पर एक भी लोकल मीडिया आउटलेट नहीं बचा है। 

परवान में बचे सिर्फ तीन मीडिया आउटलेट 
आरएसएफ के मुताबिक, परवान प्रांत में 10 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन इस समय सिर्फ तीन ही संचालित हो रहे हैं। वहीं अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े प्रांत हेरात व उसके आस-पास के प्रातों में इस समय सिर्फ 18 मीडिया आउटलेट ही चल रहे हैं, जबकि इनकी संख्या 51 थी। करीब 65 प्रतिशत बंद हो गए। 

काबुल में भी बुरा हाल 
काबुल में भी मीडिया हाउस का बुरा हाल है। तालिबान के शासन में आने से पहले यहां पर कई मीडिया आउटलेट संचालित हो रहे थे, लेकिन अगस्त के बाद से ये बंद होना शुरू हो गए। हालात यह हो गए कि दो में से एक मीडिया आउटलेट बंद हो गया और करीब 51 प्रतिशत की कमी आई। 15 अगस्त से पहले इनकी संख्या 148 थी, लेकिन इस समय सिर्फ 72 मीडया आउटलेट ही संचालित हो रहे हैं। 

तालिबान ने की थी मीडिया स्वतंत्रता की बात 
15 अगस्त, 2021 को सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने पहली प्रेसवार्ता में नागरिक अधिकारों की बात की थी। इस दौरान महिला अधिकारों, मीडिया की स्वतंत्रता के मुद्दे को तालिबानी नेताओं ने जोर-शोर से सभी के सामने रखा था और इसकी पैरवी भी की थी। तालिबान की ओर से कहा गया था कि पहले के और अब के तालिबान में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन सिर्फ पांच महीने के अंदर ही तालिबान की असली सूरत दुनिया के सामने आ गई और उसने अपने विरोध में उठने वाली मीडिया की आवाज को भी कुचल डाला। 
 

विस्तार

अफगानिस्तान में अपना झंडा बुलंद करने के लिए तालिबान ने हर उस आवाज को दबा दिया, जो उसके विरोध में उठी या फिर नई सरकार की आलोचना करने के लिए। एक सर्वे के मुताबिक, अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से अब तक अफगानिस्तान में करीब 6400 पत्रकारों की नौकरी चली गई। इतना ही नहीं करीब 231 मीडिया घरानों को भी बंद कर दिया गया। यह सर्वे रिपोटर्स विदआउट बॉडर्स(आरएसएफ) व अफगान इंडीपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से किया गया। सर्वे में सामने आया कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगान मीडिया में बहुत से बदलाव देखने को मिले। सर्वे के मुताबिक, 10 में से चार से अधिक मीडिया आउटलेट दिखना बंद हो गए और 60 प्रतिशत पत्रकार और मीडिया कर्मियों ने काम करना बंद कर दिया। यह सब सिर्फ पांच महीनों के अंदर हुआ, जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमाया। 

महिला पत्रकारों ने सबसे ज्यादा गंवाई नौकरी

सर्वे के अनुसार, तालिबान के सत्ता में आने का सबसे ज्यादा नुकसान महिला पत्रकारों को हुआ। करीब 80 प्रतिशत महिला पत्रकारों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। आरएसएफ के अनुसार गर्मियों की शुरुआत में अफगानिस्तान में 543 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन नवंबर के अंत तक सिर्फ 312 आउटलेट ही बचे। इसका मतलब है कि 43 प्रतिशत मीडिया आउटलेट सिर्फ तीन महीनों के अंदर ही बंद हो गए। चार महीने पहले अफगानिस्तान के हर प्रांत में कम से कम 10 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन मौजूदा समय में कई प्रांत तो ऐसे हैं जहां पर एक भी लोकल मीडिया आउटलेट नहीं बचा है। 

परवान में बचे सिर्फ तीन मीडिया आउटलेट 

आरएसएफ के मुताबिक, परवान प्रांत में 10 मीडिया आउटलेट थे, लेकिन इस समय सिर्फ तीन ही संचालित हो रहे हैं। वहीं अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े प्रांत हेरात व उसके आस-पास के प्रातों में इस समय सिर्फ 18 मीडिया आउटलेट ही चल रहे हैं, जबकि इनकी संख्या 51 थी। करीब 65 प्रतिशत बंद हो गए। 

काबुल में भी बुरा हाल 

काबुल में भी मीडिया हाउस का बुरा हाल है। तालिबान के शासन में आने से पहले यहां पर कई मीडिया आउटलेट संचालित हो रहे थे, लेकिन अगस्त के बाद से ये बंद होना शुरू हो गए। हालात यह हो गए कि दो में से एक मीडिया आउटलेट बंद हो गया और करीब 51 प्रतिशत की कमी आई। 15 अगस्त से पहले इनकी संख्या 148 थी, लेकिन इस समय सिर्फ 72 मीडया आउटलेट ही संचालित हो रहे हैं। 

तालिबान ने की थी मीडिया स्वतंत्रता की बात 

15 अगस्त, 2021 को सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने पहली प्रेसवार्ता में नागरिक अधिकारों की बात की थी। इस दौरान महिला अधिकारों, मीडिया की स्वतंत्रता के मुद्दे को तालिबानी नेताओं ने जोर-शोर से सभी के सामने रखा था और इसकी पैरवी भी की थी। तालिबान की ओर से कहा गया था कि पहले के और अब के तालिबान में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन सिर्फ पांच महीने के अंदर ही तालिबान की असली सूरत दुनिया के सामने आ गई और उसने अपने विरोध में उठने वाली मीडिया की आवाज को भी कुचल डाला। 

 

Source link

Click to comment

Most Popular