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कुवैत : योग पर महिलाएं कट्टरपंथियों के खिलाफ, शिविरों के आयोजन पर लगाई रोक
सार
कुवैत सरकार ने योग के आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इसे लेकर देश की महिलाएं एकजुट हो गई हैं।
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दरअसल, योग सिखाने वाले एक टीचर ने फरवरी में रेगिस्तान में वेलनेस ‘योगा रिट्रीट’ का विज्ञापन दिया था। देश के रूढिवादी कट्टरपंथी नेताओं ने इसका विरोध किया और इसे इस्लाम पर हमला करार दिया। इन लोगों ने सार्वजनिक जगहों पर पद्मासन और श्वानासन की योग मुद्रा को इस्लाम के लिए खतरनाक बताया है। विवाद बढ़ता देख सरकार ने आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन इसे लेकर देश की महिलाएं एकजुट हो गई हैं।
उन्होंने सरकार के फैसले को अपने अधिकारों के खिलाफ बताया। निजी आजादी का हवाला देते हुए महिला अधिकार कार्यकर्ता नजीब हयात ने कहा, हमें अपनी आजादी को लेकर सर्द रात में प्रदर्शन करना पड़ रहा है। ये संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार प्रतिबंध नहीं हटा लेती। महिला अधिकार कार्यकर्ता एलनॉद अलशरख ने कहा महिला आजादी को लेकर अब सजग होना पड़ेगा।
खुले में योग पर प्रतिबंध जारी रहेगा : सरकार
हालांकि विपक्षी सांसद हमदान अल आजमी ने खुले में योग को ‘सांस्कृतिक उपहास’ बताकर प्रतिबंध का समर्थन किया है। उधर, सरकार का कहना है कि योग बाहरी (विदेशी) है, यह कुवैत के समाज में कभी भी मान्य नहीं रहा है। इसलिए हमें खुले में योग करने पर प्रतिबंध को जारी रखना होगा।
दो खेमों में बंटा समाज
कुवैत की महिलाओं के लिए योग, जहां महिला अधिकारों की लड़ाई का एक प्रतीक बन गया है वहीं, हालांकि इस मसले पर देश का समाज दो खेमों में बंटा दिख रहा है। रूढ़िवादियों का कहना है कि महिलाओं की ऐसी कोशिशें उनके देश के पारंपरिक मूल्यों पर हमला करने जैसी हैं। इन लोगों के निशाने पर सरकार भी है। जबकि कई महिलाओं ने कुवैत की संसद के बाहर प्रदर्शन भी किया है।
महिलाओं को बेहद कम अधिकार
कुवैत उन देशों में शामिल रहा है जहां पर महिलाओं को बेहद कम अधिकार दिए गए हैं। हालांकि पूर्व में अपने कट्टरवादी विचारधारा के लिए पहचाने जाने वाले सऊदी अरब और इराक में भी अब महिलाओं को काफी अधिकार दिए जा चुके हैं। सऊदी अरब में तो महिलाओं के लिए ये एक नए युग जैसा है। वहीं कुवैत आज भी अपने पुराने रवैये को अपनाए हुए है।
विस्तार
दरअसल, योग सिखाने वाले एक टीचर ने फरवरी में रेगिस्तान में वेलनेस ‘योगा रिट्रीट’ का विज्ञापन दिया था। देश के रूढिवादी कट्टरपंथी नेताओं ने इसका विरोध किया और इसे इस्लाम पर हमला करार दिया। इन लोगों ने सार्वजनिक जगहों पर पद्मासन और श्वानासन की योग मुद्रा को इस्लाम के लिए खतरनाक बताया है। विवाद बढ़ता देख सरकार ने आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन इसे लेकर देश की महिलाएं एकजुट हो गई हैं।
उन्होंने सरकार के फैसले को अपने अधिकारों के खिलाफ बताया। निजी आजादी का हवाला देते हुए महिला अधिकार कार्यकर्ता नजीब हयात ने कहा, हमें अपनी आजादी को लेकर सर्द रात में प्रदर्शन करना पड़ रहा है। ये संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार प्रतिबंध नहीं हटा लेती। महिला अधिकार कार्यकर्ता एलनॉद अलशरख ने कहा महिला आजादी को लेकर अब सजग होना पड़ेगा।
खुले में योग पर प्रतिबंध जारी रहेगा : सरकार
हालांकि विपक्षी सांसद हमदान अल आजमी ने खुले में योग को ‘सांस्कृतिक उपहास’ बताकर प्रतिबंध का समर्थन किया है। उधर, सरकार का कहना है कि योग बाहरी (विदेशी) है, यह कुवैत के समाज में कभी भी मान्य नहीं रहा है। इसलिए हमें खुले में योग करने पर प्रतिबंध को जारी रखना होगा।
दो खेमों में बंटा समाज
कुवैत की महिलाओं के लिए योग, जहां महिला अधिकारों की लड़ाई का एक प्रतीक बन गया है वहीं, हालांकि इस मसले पर देश का समाज दो खेमों में बंटा दिख रहा है। रूढ़िवादियों का कहना है कि महिलाओं की ऐसी कोशिशें उनके देश के पारंपरिक मूल्यों पर हमला करने जैसी हैं। इन लोगों के निशाने पर सरकार भी है। जबकि कई महिलाओं ने कुवैत की संसद के बाहर प्रदर्शन भी किया है।
महिलाओं को बेहद कम अधिकार
कुवैत उन देशों में शामिल रहा है जहां पर महिलाओं को बेहद कम अधिकार दिए गए हैं। हालांकि पूर्व में अपने कट्टरवादी विचारधारा के लिए पहचाने जाने वाले सऊदी अरब और इराक में भी अब महिलाओं को काफी अधिकार दिए जा चुके हैं। सऊदी अरब में तो महिलाओं के लिए ये एक नए युग जैसा है। वहीं कुवैत आज भी अपने पुराने रवैये को अपनाए हुए है।