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आपबीती: कोरोना महामारी में जरूरत पर काम ना आए, ऐसे स्वास्थ्य बीमा का क्या लाभ

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अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Wed, 18 Aug 2021 09:59 AM IST

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दिल्ली निवासी चिराग सेठी के ससुर मई में कोरोना संक्रमित हो गए थे। 10 दिन के इलाज के बाद वह संक्रमण से उबरने में तो कामयाब रहे। लेकिन स्वास्थ्य बीमा होने के बावजूद इलाज का खर्च हुए 2.5 लाख रुपये का भुगतान नगद में करना पड़ा। अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं थी चिराग अभी बीमा कंपनी से रिम्बर्समेंट मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

वह कहते हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरत पड़ने पर जो काम न आए, ऐसे स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का क्या लाभ। चिराग ऐसे अकेले नहीं हैं जिन्हें स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होने के बावजूद महामारी में इलाज का लाभ नहीं मिला।

इलाज की सुविधा मिली भी तो कैशलेस नहीं। इस दौरान कई ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें बीमा कंपनियों ने क्लेम ही खारिज कर दिए। इन वजहों से हजारों परिवारों को संगठन के दौरान इलाज कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि क्लेम खारिज करने और सुविधाएं नहीं देने के पीछे बीमा कंपनियों के अपने तर्क हैं।

नहीं मिला कैशलेस इलाज रिम्बर्समेंट का इंतजार
कोलकाता निवासी अनुभव दत्ता के पिता की कोरोना इलाज के दौरान मौत हो गई। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होने के बावजूद अस्पताल में कैशलेस इलाज नहीं मिला। अस्पताल ने भर्ती से पहले 30,000 जमा करने को कहा उनके इलाज पर कुल 2.7 लाख रुपये खर्च हुए। इसे चुकाने के लिए उन्होंने न सिर्फ परिवार के बचत का इस्तेमाल किया बल्कि क्रेडिट से भी भुगतान करना पड़ा। अनुभव दत्ता अब भी बीमा कंपनी से रिम्बर्समेंट का इंतजार कर रहे हैं।

ज्यादातर मामलों में ओपीडी के खर्च पर कवर नहीं 
हम अधिकांश क्लेम का भुगतान करते हैं लेकिन कई मामलों में ये खारिज होते हैं। ज्यादातर बीमा कंपनियां अकाउंट-पेशेंट ट्रीटमेंट (ओपीडी) कवर नहीं करती हैं। कई मामलों में क्लेम के लिए मरीज को अस्पताल में 24 घंटे भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। पॉलिसीधारकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। – प्रवक्ता, मैक्स बूपा, हेल्थ इंश्योरेंस

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दिल्ली निवासी चिराग सेठी के ससुर मई में कोरोना संक्रमित हो गए थे। 10 दिन के इलाज के बाद वह संक्रमण से उबरने में तो कामयाब रहे। लेकिन स्वास्थ्य बीमा होने के बावजूद इलाज का खर्च हुए 2.5 लाख रुपये का भुगतान नगद में करना पड़ा। अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं थी चिराग अभी बीमा कंपनी से रिम्बर्समेंट मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

वह कहते हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरत पड़ने पर जो काम न आए, ऐसे स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का क्या लाभ। चिराग ऐसे अकेले नहीं हैं जिन्हें स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होने के बावजूद महामारी में इलाज का लाभ नहीं मिला।

इलाज की सुविधा मिली भी तो कैशलेस नहीं। इस दौरान कई ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें बीमा कंपनियों ने क्लेम ही खारिज कर दिए। इन वजहों से हजारों परिवारों को संगठन के दौरान इलाज कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि क्लेम खारिज करने और सुविधाएं नहीं देने के पीछे बीमा कंपनियों के अपने तर्क हैं।

नहीं मिला कैशलेस इलाज रिम्बर्समेंट का इंतजार

कोलकाता निवासी अनुभव दत्ता के पिता की कोरोना इलाज के दौरान मौत हो गई। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होने के बावजूद अस्पताल में कैशलेस इलाज नहीं मिला। अस्पताल ने भर्ती से पहले 30,000 जमा करने को कहा उनके इलाज पर कुल 2.7 लाख रुपये खर्च हुए। इसे चुकाने के लिए उन्होंने न सिर्फ परिवार के बचत का इस्तेमाल किया बल्कि क्रेडिट से भी भुगतान करना पड़ा। अनुभव दत्ता अब भी बीमा कंपनी से रिम्बर्समेंट का इंतजार कर रहे हैं।

ज्यादातर मामलों में ओपीडी के खर्च पर कवर नहीं 

हम अधिकांश क्लेम का भुगतान करते हैं लेकिन कई मामलों में ये खारिज होते हैं। ज्यादातर बीमा कंपनियां अकाउंट-पेशेंट ट्रीटमेंट (ओपीडी) कवर नहीं करती हैं। कई मामलों में क्लेम के लिए मरीज को अस्पताल में 24 घंटे भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। पॉलिसीधारकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। – प्रवक्ता, मैक्स बूपा, हेल्थ इंश्योरेंस

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