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अफगानिस्तान: पाकिस्तान के बाद रूस और चीन भी तालिबान के समर्थन में

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पाकिस्तान के बाद चीन और रूस भी तालिबान के समर्थन में उतर गए हैं। रूस ने कहा है कि बीते 24 घंटे में तालिबान ने काबुल को पिछली सरकार के तुलना में ज्यादा सुरक्षित बना दिया है।  

रूस के अफगानिस्तान में राजदूत दमित्री झिरनोव ने यह बात कही। चीन ने भी कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के साथ बेहतर रिश्ता चाहता है। जबकि जर्मनी और ब्रिटेन तालिबान के विरोध में हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता की वैधता के मुद्दे पर दुनिया के देश बंटते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुछ देश तालिबान के साथ हैं, तो कुछ विरोध में और कुछ देशों ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। चीन, पाक, रूस और तुर्की ने तालिबान से दोस्ती के संकेत दिए हैं।

वहीं, ब्रिटेन ने तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देने का ऐलान किया है। कतर और जर्मनी भी तालिबान का विरोध कर चुके हैं। चीन ने उम्मीद जताई कि तालिबान अफगानिस्तान में खुले एवं समग्र इस्लामिक सरकार की स्थापना के अपने वादे को निभाएगा और बिना हिंसा एवं आतंकवाद के शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करेगा।

ईरान ने बताया अच्छा मौका
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा है कि अफगानिस्तान में फौज की शिकस्त और अमेरिका की वापसी को शांति और सुरक्षा की बहाली के एक मौके के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि ईरान अफगानिस्तान में स्थिरता बहाल करने के लिए मदद करेगा और फिलहाल ये उसकी पहली जरूरत है।

रूस ने कहा, अफगानों के लिए अच्छा दिन
रूस ने तालिबान के समर्थन में बयान देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के दौरान स्थिति अशरफ गनी के शासनकाल से बेहतर रहेगी। रूसी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि हमारे दूतावास के अधिकारी तालिबान के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। तालिबान के प्रति रूस का रुख क्या होगा इस बाद में फैसला लिया जाएगा।

ब्रिटेन ने किया विरोध
ब्रिटेन ने कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान सरकार की मान्यता नहीं दी जा सकती। तालिबान के कब्जे की आलोचना करते हुए ब्रिटेन ने कहा कि यह विश्व समुदाय की विफलता है। ब्रिटिश रक्षामंत्री बेन वालेस ने कहा कि पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान में आधा-अधूरा काम किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में समस्या अभी खत्म नहीं हुई है, विश्व को मदद करनी चाहिए।

जर्मनी ने बताया भयानक
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी विशेष रूप से नाटकीय और भयानक है। उन्होंने कहा कि यह उन लाखों अफगानों के लिए भयानक है जिन्होंने एक स्वतंत्र समाज के लिए काम किया था और जिन्होंने समर्थन के साथ पश्चिमी समुदाय ने लोकतंत्र पर, शिक्षा पर, महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया है।

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पाकिस्तान के बाद चीन और रूस भी तालिबान के समर्थन में उतर गए हैं। रूस ने कहा है कि बीते 24 घंटे में तालिबान ने काबुल को पिछली सरकार के तुलना में ज्यादा सुरक्षित बना दिया है।  

रूस के अफगानिस्तान में राजदूत दमित्री झिरनोव ने यह बात कही। चीन ने भी कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के साथ बेहतर रिश्ता चाहता है। जबकि जर्मनी और ब्रिटेन तालिबान के विरोध में हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता की वैधता के मुद्दे पर दुनिया के देश बंटते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुछ देश तालिबान के साथ हैं, तो कुछ विरोध में और कुछ देशों ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। चीन, पाक, रूस और तुर्की ने तालिबान से दोस्ती के संकेत दिए हैं।

वहीं, ब्रिटेन ने तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देने का ऐलान किया है। कतर और जर्मनी भी तालिबान का विरोध कर चुके हैं। चीन ने उम्मीद जताई कि तालिबान अफगानिस्तान में खुले एवं समग्र इस्लामिक सरकार की स्थापना के अपने वादे को निभाएगा और बिना हिंसा एवं आतंकवाद के शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करेगा।

ईरान ने बताया अच्छा मौका

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा है कि अफगानिस्तान में फौज की शिकस्त और अमेरिका की वापसी को शांति और सुरक्षा की बहाली के एक मौके के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि ईरान अफगानिस्तान में स्थिरता बहाल करने के लिए मदद करेगा और फिलहाल ये उसकी पहली जरूरत है।

रूस ने कहा, अफगानों के लिए अच्छा दिन

रूस ने तालिबान के समर्थन में बयान देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के दौरान स्थिति अशरफ गनी के शासनकाल से बेहतर रहेगी। रूसी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि हमारे दूतावास के अधिकारी तालिबान के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। तालिबान के प्रति रूस का रुख क्या होगा इस बाद में फैसला लिया जाएगा।

ब्रिटेन ने किया विरोध

ब्रिटेन ने कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान सरकार की मान्यता नहीं दी जा सकती। तालिबान के कब्जे की आलोचना करते हुए ब्रिटेन ने कहा कि यह विश्व समुदाय की विफलता है। ब्रिटिश रक्षामंत्री बेन वालेस ने कहा कि पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान में आधा-अधूरा काम किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में समस्या अभी खत्म नहीं हुई है, विश्व को मदद करनी चाहिए।

जर्मनी ने बताया भयानक

जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी विशेष रूप से नाटकीय और भयानक है। उन्होंने कहा कि यह उन लाखों अफगानों के लिए भयानक है जिन्होंने एक स्वतंत्र समाज के लिए काम किया था और जिन्होंने समर्थन के साथ पश्चिमी समुदाय ने लोकतंत्र पर, शिक्षा पर, महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया है।

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