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अफगानिस्तान: अंतिम उड़ान से दिल्ली पहुंचे अफगान खुफिया अधिकारी ने कहा- मुझे भागना पड़ा, नहीं तो तालिबान मुझे मार देता

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एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 17 Aug 2021 04:26 AM IST

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तालिबान के भय से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के बाद अफगान के सरकारी सुरक्षा सेवाओं में काम करने वाले अधिकारी भी जान बचाने के लिए दूसरे देशों में भाग रहे हैं। अफगानिस्तान के खुफिया अधिकारी आसिफ ने दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटे बाद कहा, मुझे भागना पड़ा, वरना तालिबान मुझे मार देते। सब खत्म हो गया। मैं अपने परिवार को साथ नहीं ला सका। इस दौरान उसकी आंखों से आंसू बहते रहे।

41 वर्षीय अधिकारी ने अपनी ‘निश्चित मौत’ से बचने के लिए रविवार को काबुल से दिल्ली के लिए आखिरी व्यावसायिक उड़ान पकड़ी और अपनी बीमार मां, पत्नी और आठ साल के बेटे को काबुल में ही छोड़ दिया। अफगान मूल के ही उसके एक हमवतन ने उसकी मदद की और उसे दिल्ली के लाजपतनगर में 500 रुपये प्रति दिन के किराये पर एक कमरा दिलाया।

नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्योरिटी (एनडीएस) में कार्यरत खुफिया अधिकारी ने कहा, तालिबान हमें पकड़ रहे हैं मार रहे हैं। उन्होंने नोटिस भेजकर कहा था कि हम सरकार के खिलाफ विद्रोह करें या मरने के लिए तैयार रहें। राष्ट्रपति गनी के देश छोड़ने के बाद हमारी उम्मीद खत्म हो गई।

सैकड़ों अधिकारी काबुल छोड़कर उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और अन्य देशों में भाग गए हैं। उसे यह भी नहीं पता कि उसके परिजन वहां सुरक्षित हैं भी या नहीं क्योंकि इंटरनेट सेवाएं बंद हो चुकी हैं। उसने कहा कि उसे नहीं लगता कि वह वापस अपने देश लौट भी पाएगा या अपने परिवार को भारत ला पाएगा।

विस्तार

तालिबान के भय से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के बाद अफगान के सरकारी सुरक्षा सेवाओं में काम करने वाले अधिकारी भी जान बचाने के लिए दूसरे देशों में भाग रहे हैं। अफगानिस्तान के खुफिया अधिकारी आसिफ ने दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटे बाद कहा, मुझे भागना पड़ा, वरना तालिबान मुझे मार देते। सब खत्म हो गया। मैं अपने परिवार को साथ नहीं ला सका। इस दौरान उसकी आंखों से आंसू बहते रहे।

41 वर्षीय अधिकारी ने अपनी ‘निश्चित मौत’ से बचने के लिए रविवार को काबुल से दिल्ली के लिए आखिरी व्यावसायिक उड़ान पकड़ी और अपनी बीमार मां, पत्नी और आठ साल के बेटे को काबुल में ही छोड़ दिया। अफगान मूल के ही उसके एक हमवतन ने उसकी मदद की और उसे दिल्ली के लाजपतनगर में 500 रुपये प्रति दिन के किराये पर एक कमरा दिलाया।

नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्योरिटी (एनडीएस) में कार्यरत खुफिया अधिकारी ने कहा, तालिबान हमें पकड़ रहे हैं मार रहे हैं। उन्होंने नोटिस भेजकर कहा था कि हम सरकार के खिलाफ विद्रोह करें या मरने के लिए तैयार रहें। राष्ट्रपति गनी के देश छोड़ने के बाद हमारी उम्मीद खत्म हो गई।

सैकड़ों अधिकारी काबुल छोड़कर उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और अन्य देशों में भाग गए हैं। उसे यह भी नहीं पता कि उसके परिजन वहां सुरक्षित हैं भी या नहीं क्योंकि इंटरनेट सेवाएं बंद हो चुकी हैं। उसने कहा कि उसे नहीं लगता कि वह वापस अपने देश लौट भी पाएगा या अपने परिवार को भारत ला पाएगा।

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