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हिंसा: पाकिस्तान में भीड़ ने श्रीलंकाई नागरिक को बीच सड़क पर मारकर जलाया, पीएम इमरान ने कहा- काला दिन

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 04 Dec 2021 02:19 AM IST

सार

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें दिखाया जा रहा है कि हजारों की भीड़ जलते शव के आसपास खड़ी है और वीडियो रिकॉर्ड कर रही है।

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पाकिस्तान में एक श्रीलंकाई नागरिक को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला और उसके शव को बीच सड़क पर आग लगा दी, पुलिस ने इस घटना पुष्टि की है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक यह मामला कथित ईशनिंदा से जुड़ा था। यह श्रीलंकाई मूल के नागरिक पाकिस्तान में एक कारखाने में बतौर प्रबंधक कार्यरत थे।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस भयानक हमले की जांच अपनी देखरेख में करेंगे, इस मॉब लिंचिंग को उन्होंने पाकिस्तान के लिए काला दिन भी कहा। उन्होंने ट्वीट किया कि कोई गलती न हो, सभी जिम्मेदार लोगों को कानून की पूरी गंभीरता के साथ दंडित किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें दिखाया जा रहा है कि भीड़ एक आदमी को पीट रही है और उनकी कार को पलट दिया और तोड़फोड़ की गई। वीडियो में साफ दिख रहा है कि भीड़ में कई लोगों ने अपनी पहचान छिपाने की कोई कोशिश नहीं की और कुछ लोग जलती लाश के सामने सेल्फी ले रहे हैं।

पाकिस्तान के पंजाब सरकार के प्रवक्ता हसन खरवार ने लाहौर में संवाददाताओं से कहा कि पुलिस इस मामले में 50 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है क्योंकि हमें 48 घंटे के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।

भीड़ ने फैक्टरी से बाहर खींचकर मारा
अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने श्रीलंकाई नागरिक को फैक्टरी से बाहर खींचा और उससे बुरी तरह मारपीट की। मारपीट के बाद जब उसकी मौत हो गई तो भीड़ ने पुलिस के पहुंचने से पहले उसके शव को जला दिया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो जारी हुए, जिसमें दिख रहा है कि श्रीलंकाई नागरिक के शव को घेरे सैकड़ों लोग खड़े हैं। वे टीएलपी के समर्थन में नारे लगा रहे थे।

इमरान सरकार को टीएलपी सामने झुकना पड़ा
कट्टरपंथी टीएलपी ने अतीत में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और इमरान सरकार को टीएलपी के प्रदर्शन के आगे झुकना पड़ा और उसके कट्टरपंथी नेताओं को छोड़ना पड़ा था।

इसके फलस्वरूप के साथ टीएलपी ने देश को पंगु बना दिया है जिसमें पेरिस स्थित व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो द्वारा पिछले साल पैगंबर मोहम्मद को चित्रित करने वाले कार्टूनों को फिर से प्रकाशित करने के बाद फ्रांस विरोधी अभियान भी शामिल है। इस मामले में फ्रांस ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।

विस्तार

पाकिस्तान में एक श्रीलंकाई नागरिक को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला और उसके शव को बीच सड़क पर आग लगा दी, पुलिस ने इस घटना पुष्टि की है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक यह मामला कथित ईशनिंदा से जुड़ा था। यह श्रीलंकाई मूल के नागरिक पाकिस्तान में एक कारखाने में बतौर प्रबंधक कार्यरत थे।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस भयानक हमले की जांच अपनी देखरेख में करेंगे, इस मॉब लिंचिंग को उन्होंने पाकिस्तान के लिए काला दिन भी कहा। उन्होंने ट्वीट किया कि कोई गलती न हो, सभी जिम्मेदार लोगों को कानून की पूरी गंभीरता के साथ दंडित किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें दिखाया जा रहा है कि भीड़ एक आदमी को पीट रही है और उनकी कार को पलट दिया और तोड़फोड़ की गई। वीडियो में साफ दिख रहा है कि भीड़ में कई लोगों ने अपनी पहचान छिपाने की कोई कोशिश नहीं की और कुछ लोग जलती लाश के सामने सेल्फी ले रहे हैं।

पाकिस्तान के पंजाब सरकार के प्रवक्ता हसन खरवार ने लाहौर में संवाददाताओं से कहा कि पुलिस इस मामले में 50 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है क्योंकि हमें 48 घंटे के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।

भीड़ ने फैक्टरी से बाहर खींचकर मारा

अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने श्रीलंकाई नागरिक को फैक्टरी से बाहर खींचा और उससे बुरी तरह मारपीट की। मारपीट के बाद जब उसकी मौत हो गई तो भीड़ ने पुलिस के पहुंचने से पहले उसके शव को जला दिया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो जारी हुए, जिसमें दिख रहा है कि श्रीलंकाई नागरिक के शव को घेरे सैकड़ों लोग खड़े हैं। वे टीएलपी के समर्थन में नारे लगा रहे थे।

इमरान सरकार को टीएलपी सामने झुकना पड़ा

कट्टरपंथी टीएलपी ने अतीत में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और इमरान सरकार को टीएलपी के प्रदर्शन के आगे झुकना पड़ा और उसके कट्टरपंथी नेताओं को छोड़ना पड़ा था।

इसके फलस्वरूप के साथ टीएलपी ने देश को पंगु बना दिया है जिसमें पेरिस स्थित व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो द्वारा पिछले साल पैगंबर मोहम्मद को चित्रित करने वाले कार्टूनों को फिर से प्रकाशित करने के बाद फ्रांस विरोधी अभियान भी शामिल है। इस मामले में फ्रांस ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।

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